उत्तर प्रदेश के कानपुर की तंग और व्यस्त बिरहाना रोड पर स्थित एक छोटी, गुमनाम सी दुकान ने देश के बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. इस पते पर रजिस्टर्ड कंपनी के जरिए सरकारी बैंकों से करीब ₹3,000 करोड़ का कर्ज लेने का मामला सामने आया है. इस कथित बैंकिंग घोटाले की जांच अब CBI कर रही है. पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े ₹32 करोड़ के धोखाधड़ी केस में कारोबारी राजेश बोथरा की गिरफ्तारी के बाद यह मामला सुर्खियों में आया है.
जांच एजेंसियों के मुताबिक, बोथरा समूह ने 'Frost' ब्रांड के तहत Frost Infrastructure & Energy Ltd, Frost International Ltd और Frost Global Ltd नाम की तीन कंपनियों का संचालन किया. कागजों में ये कंपनियां अलग-अलग थीं, लेकिन नियंत्रण और फंड लेनदेन एक ही समूह के हाथ में बताया जा रहा है.
Frost Infrastructure & Energy Ltd जिस पते पर रजिस्टर्ड थी, वहां कोई बड़ी व्यावसायिक गतिविधि नहीं पाई गई. इसके बावजूद इन कंपनियों को सरकारी बैंकों के कंसोर्टियम से लगभग ₹3,000 करोड़ का लोन स्वीकृत किया गया, जिसमें SBI, इलाहाबाद बैंक, OBC, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.
CBI का आरोप है कि कर्ज हासिल करने और रकम के उपयोग में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया. जांच में फर्जी Bills of Lading, नकली खरीद-बिक्री और ऑफशोर कंपनियों के जरिए कागज़ी व्यापार के सबूत मिले हैं.
जांच के अनुसार, भारतीय बैंकों से मिली राशि पहले बोथरा की पत्नी से जुड़ी बताई जा रही Fareast Distribution & Logistics को भेजी गई, फिर दुबई की Landmark Investment Shipping तक पहुंची. इसके बाद यही पैसा भारत के कई चर्चित स्टार्टअप्स में निवेश के रूप में दिखाया गया.
इन निवेशों में Swiggy, Faasos, BlueStone, Sugar Cosmetics, HomeLane, Beer Café और Travel Triangle जैसे नाम सामने आए हैं. जांच एजेंसियां इन निवेशों के स्रोत और वैधता की पड़ताल कर रही हैं. हैरानी की बात यह है कि कंसोर्टियम में शामिल छह सरकारी बैंकों में से अब तक केवल PNB ने कानूनी कार्रवाई की है. अन्य बैंकों की चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
सिमर चावला