राम मंदिर समारोह में सरकारी भागीदारी गलत, पक्षपातपूर्ण रवैया न अपनाए सरकार, 22 जनवरी के प्रोग्राम पर जमीयत का बयान

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पास किए गए प्रस्ताव में कहा गया है- सभा को इस बात पर भी चिंता है कि अपने फैसलों में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को कठोरता से लागू करने संबंधित आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर हिंदू पक्ष के दावों की भी सुनवाई कर रही हैं.

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जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर सरकार की सक्रियता पर चिंता जताई है. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर सरकार की सक्रियता पर चिंता जताई है.

आशुतोष मिश्रा

  • सहारनपुर,
  • 07 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:08 AM IST

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर महमूद मदनी गुट वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास किया गया है. इसमें अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम को लेकर जमीयत ने चिंता जताई है. साथ ही दूसरे इबादतगाहों पर खड़े हो रहे विवाद को लेकर भी उसकी ओर से प्रस्ताव पास किया गया है. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में होने वाले भव्य समारोह में सरकार की सक्रिय भागीदारी को एक अनुचित प्रक्रिया बताया है. 

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जमीयत ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि सरकार और उसकी संस्थाओं को पक्षपातपूर्ण नीति से बचना चाहिए. इस प्रस्ताव में कहा गया है, 'बाबरी मस्जिद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय के मानकों पर खरा नहीं उतरता. यह निर्णय न्याय की भावना के विपरीत, आस्था और तकनीकी पहलुओं पर आधारित है. सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं माना है कि इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था'.

जमीयत ने अपने प्रस्ताव में अदालतों को लेकर क्या कहा?

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पास किए गए प्रस्ताव में कहा गया है, 'सभा को इस बात पर भी चिंता है कि अपने फैसलों में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को कठोरता से लागू करने संबंधित आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर हिंदू पक्ष के दावों की भी सुनवाई कर रही हैं. यह रवैया न्याय व्यवस्था में देश के न्यायप्रिय लोगों का विश्वास कम करने का कारण है. हम मुसलमानों और देश की जनता से यह अपील करते हैं कि वे इन परिस्थितियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने में संभव प्रयास करें'.

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'कुछ शक्तियां मुस्लिमों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहीं'

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (मदनी गुट) के अध्यक्ष महमूद मदनी ने अधिवेशन के दौरान अपने संबोधन में कहा, 'कुछ शक्तियां मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नीचा दिखाने और उनको मानसिक प्रताड़ना और चोट पहुंचाने की लगातार कोशिशें कर रही हैं. देश में जो घृणा का वातावरण बनाया जा रहा है वह किसी भी तरह से देशहित में नहीं है. इसके अलावा हम इसे चुनाव को अनुचित तरीके से प्रभावित करने का माध्यम भी मानते हैं'. 

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी जमीयत ने पास किया प्रस्ताव

लोकसभा चुनाव को लेकर भी जमीयत ने प्रस्ताव पास किया है जिसके मुताबिक, 'संस्था के पदाधिकारी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों का व्यक्तिगत रूप से समर्थन कर सकते हैं. जमीयत-उलमा-ए-हिंद के तौर पर चुनावों में किसी विशेष राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया जा सकता है'. बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द या जमीयत उलमा-ए-हिन्द, भारत में अग्रणी इस्लामी संगठनों में से एक है. यह संगठन या संस्था 2008 में दो गुटों में विभाजित हुआ. एक गुट के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हैं और दूसरे के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी हैं.

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