'उसे अपना गला नहीं पकड़ने दिया, वरना ये इंटरव्यू ना दे पाता...' तेंदुए से भिड़ने वाले मिहीलाल ने बताया कैसे बचाई जान 

मिहीलाल बताते हैं, मैं पौधा लेने जा रहा था, देखा कि भट्ठे पर काफी लोग जमा हैं. जैसे ही मैं पास पहुंचा, अचानक भट्ठे के अंदर से तेंदुआ निकला और मुझ पर झपटा. उस वक्त वहां से भागने का कोई रास्ता नहीं था. मैं जानता था कि अगर पीठ दिखाई तो जान से हाथ धो बैठूंगा, इसलिए मैं डट गया. वह बताते हैं कि तेंदुए के जबड़े से बचते हुए मैंने पूरी ताकत से उसे पकड़ लिया.

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लखीमपुर के तेंदुए से भिड़ने वाले मिहीलाल से डीएम दुर्गा नागपाल खुद मिलने पहुंचीं लखीमपुर के तेंदुए से भिड़ने वाले मिहीलाल से डीएम दुर्गा नागपाल खुद मिलने पहुंचीं

अभिषेक वर्मा

  • लखीमपुर खीरी ,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:56 PM IST

लखीमपुर खीरी के मिहीलाल ने अपनी हिम्मत, सूझबूझ और आत्मबल से ऐसा काम कर दिया कि जिले भर में उनकी चर्चा हो रही है. डीएम दुर्गा नागपाल खुद उनसे मिलने पहुंची और उनके साहस की सराहना की.  यह घटना है बबुरी गांव की, जहां एक ईंट भट्ठे पर रोज की तरह मजदूरी चल रही थी. तभी जंगल से भटक कर एक तेंदुआ ईंट भट्ठे की ओर आ निकला. वहां काम कर रहे मिहीलाल नाम के युवक पर उसने झपट्टा मार दिया और फिर जो हुआ, उसने मिहीलाल को एक साधारण मजदूर से एक नायक बना दिया.

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 आमने-सामने की भिड़ंत

मिहीलाल बताते हैं, मैं पौधा लेने जा रहा था, देखा कि भट्ठे पर काफी लोग जमा हैं. जैसे ही मैं पास पहुंचा, अचानक भट्ठे के अंदर से तेंदुआ निकला और गरजते हुए मुझ पर झपटा. उस वक्त वहां से भागने का कोई रास्ता नहीं था. मैं जानता था कि अगर पीठ दिखाई तो जान से हाथ धो बैठूंगा, इसलिए मैं डट गया. वह बताते हैं कि तेंदुए के जबड़े से बचते हुए मैंने पूरी ताकत से उसे पकड़ लिया. हाथ में गंभीर चोटें आईं, चेहरे पर पंजा लगा, पैर भी घायल हुआ, लेकिन उसे अपना गला नहीं पकड़ने दिया. अगर उसने गला दबोच लिया होता तो आज मैं जिंदा न होता. आपसे बात तक ना कर पाता. 

करीब 15 मिनट तक यह संघर्ष चला. इतने में भट्ठे के अन्य मजदूर और ग्रामीण भी जमा हो गए और उन्होंने ईंट-पत्थर बरसाने शुरू कर दिए. घायल तेंदुआ खुद को छुड़ाकर किसी तरह भाग निकला. लेकिन तब तक मिहीलाल के साहस और जान की बाजी लगाने का वीडियो एक कर्मचारी ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया था. 

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मिहीलाल की बहादुरी की तारीफ

यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही एक तरफ जहां मिहीलाल की बहादुरी की तारीफ हो रही थी, वहीं दूसरी तरफ वन्यजीव संरक्षण को लेकर भी सवाल उठने लगे. वन विभाग हरकत में आया और तत्काल रेस्क्यू टीम भेजी गई. 

जान बची पर लड़ाई अब भी याद है: मिहीलाल
जिला अस्पताल में भर्ती मिहीलाल की हालत अब स्थिर है. उनके चेहरे पर जख्म के निशान हैं. पट्टियों से हाथ लिपटा है. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा कि डर तो लगा था, लेकिन अगर मैं वहां से भागता तो किसी और पर हमला हो सकता था. मुझे लगा, अगर मैं रुक जाऊं और उसे रोक लूं, तो शायद कोई और बच जाए. 

दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन के डीएफओ सौरीश सहाय ने बताया, घटना की सूचना मिलते ही हमारी टीम मौके पर पहुंच गई. तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करके रेस्क्यू कर लिया गया है. पीड़ित मिहीलाल को तत्काल इलाज के लिए भेजा गया और अब वे खतरे से बाहर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें साफ दिखता है कि मिहीलाल ने अत्यंत साहस का परिचय दिया. 

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