5000 के बिजली बिल की जगह जमा हो गए 1 अरब 97 करोड़ रुपये! गोरखपुर से लखनऊ तक मची हलचल

यूपी के गोरखपुर में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक युवक 5000 रुपये का बिजली बिल जमा करने गया था लेकिन कर्मचारियों की गलती की वजह से उसका 1 अरब 97 करोड़ रुपये का बिल जमा हो गया जिसे देखकर लखनऊ में अधिकारियों के होश उड़ गए. इसके बाद इस गलती को सुधारा गया.

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यह सांकेतिक तस्वीर है यह सांकेतिक तस्वीर है

रवि गुप्ता

  • गोरखपुर,
  • 01 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक युवक पांच हजार रुपये का बिजली बिल जमा करने पहुंचा था लेकिन गड़बड़ी की वजह से उसका एक अरब रुपये से अधिक का बिजली बिल जमा हो गया! यह पढ़कर आप हैरान हो गए होंगे कि भला ऐसा कैसे हो सकता है. यही हैरानी बाद में बिजली बोर्ड के अधिकारियों को भी हुई जिसके बाद गलती सुधारी गई.

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दरअसल गोरखपुर के ग्रामीण वितरण खण्ड द्वितीय के नौसढ़ उपखंड में छोहाड़ी देवी का बेटा घर का बिजली बिल जमा करने विभाग के काउंटर पर पहुंचा था. छोहाड़ी देवी के बेटे ने बिल का बकाया 4950 रुपये जमा कर दिया और उसकी रसीद लेकर घर वापस आ गया. बिजली बिल भुगतान की जो रसीद उसे विभाग की तरफ से दी गई थी उसमें रकम वाले कॉलम में कनेक्शन आईडी लिख दी गई जो कि 10 अंकों का था. 

बिल का भुगतान होने के बाद जब विभाग की तरफ से हिसाब मिलाया जा रहा था तब इस गलती का एहसास हुआ. बिजली विभाग के कर्मचारियों को लगा कि किसी ने एक अरब 97 करोड़ रुपये का बिल भुगतान कर दिया है. जब इस जमा राशि की सूचना लखनऊ में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों को हुई तो उन्होंने इसकी जानकारी मांगी. 

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जांच में सामने आई लापरवाही

जांच में पता चला कि बिजली निगम के ऑपरेटर की लापरवाही और सिस्टम की खामियों की वजह से एक उपभोक्ता का 1 अरब 97 करोड़ रुपये का बिल जमा हो गया. गड़बड़ी सामने आने के बाद उसे ठीक करने के लिए देर रात तक अधिकारी और कर्मचारी माथापच्ची करते रहे. इसके बाद लखनऊ स्थित शक्ति भवन के डेटा सेंटर से दिशा-निर्देश मिलने के बाद उस पेमेंट को कैंसिल किया गया.

वहीं इस गड़बड़ी को लेकर गोरखपुर में बिजली वितरण विभाग के चीफ इंजीनियर आशु कालिया ने बताया कि गलती से कैशियर ने अमाउंट की जगह उसका अकाउंट नंबर डाल दिया जो कि दस अंक का होता है. इसी वजह से असुविधा की स्थिति पैदा हुई, यह एक मानवीय भूल थी जिसे बाद में सुधार लिया गया.

 

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