संभल में विवादित धर्मस्थल जामा मस्जिद के पास स्थित कब्रिस्तान की जमीन को लेकर एक बार फिर प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है. करीब 8 बीघा कब्रिस्तान की भूमि पर मकान और दुकानें बनाए जाने के आरोपों के बीच जिला प्रशासन ने 30 दिसंबर को पैमाइश कराने का फैसला किया है. जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया के निर्देश पर गठित 29 अधिकारियों और कर्मचारियों की बड़ी टीम इस जमीन की नापजोख करेगी.
यह मामला केवल जमीन की पैमाइश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा से भी जोड़े जा रहे हैं. शिकायतकर्ता का दावा है कि उस दिन जामा मस्जिद के एडवोकेट कमिशन सर्वे के दौरान हुई पत्थरबाजी और फायरिंग में इन्हीं अवैध रूप से बने मकानों और दुकानों की छतों का इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में प्रशासन इस पूरे प्रकरण को बेहद संवेदनशील मानते हुए हर कदम फूंक-फूंककर रख रहा है.
कैसे उठा यह मामला
संभल सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कोट पूर्वी निवासी और श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) के राष्ट्रीय संयोजक एडवोकेट सुभाष चंद्र त्यागी ने कुछ दिन पहले जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा था. शिकायत में आरोप लगाया गया कि विवादित धर्मस्थल जामा मस्जिद के पास स्थित गाटा संख्या 32/2 की लगभग 0.478 हेक्टेयर भूमि, जो कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है, उस पर विशेष समुदाय के लोगों ने अवैध रूप से मकान और दुकानें बना ली हैं. शिकायतकर्ता का कहना है कि यह जमीन वर्ष 1990 से पहले तक पूरी तरह कब्रिस्तान के रूप में उपयोग में थी. उस समय वहां शायद एक मकान मौजूद था, जो स्वयं भी अवैध था. धीरे-धीरे इस जमीन को चारों ओर से घेर लिया गया और फिर दुकानों और तीन-चार मंजिला मकानों का निर्माण कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि कब्रिस्तान की पवित्र भूमि पर इस तरह का निर्माण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा बन सकता है.
30 दिसंबर को होगी पैमाइश
शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कब्रिस्तान की जमीन की पैमाइश कराने के निर्देश दिए. इसके तहत एसडीएम सदर रामानुज के निर्देशन में तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक बड़ी राजस्व टीम गठित की गई है. इस टीम में तीन नायब तहसीलदार, 22 लेखपाल और 4 कानूनगो शामिल हैं. राजस्व विभाग की यह टीम 30 दिसंबर को मौके पर पहुंचकर गाटा संख्या के रकबे के अनुसार जमीन की पैमाइश करेगी. पैमाइश के दौरान यह स्पष्ट किया जाएगा कि कब्रिस्तान की कितनी जमीन पर निर्माण हो चुका है और कितना हिस्सा अब भी खाली है. इसके बाद पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
अवैध कब्जा हटाने की तैयारी
हालांकि प्रशासन की ओर से अभी यह स्पष्ट किया गया है कि फिलहाल पैमाइश कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यदि जांच में अवैध कब्जा पाए जाते हैं तो भविष्य में उन्हें हटाने की कार्रवाई भी की जा सकती है. प्रशासन इस पूरे मामले को कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाना चाहता है, ताकि किसी भी तरह के विवाद या टकराव की स्थिति न बने.
पैमाइश से पहले पुलिस का एहतियात
कब्रिस्तान की जमीन से जुड़ा मामला पहले ही संवेदनशील माना जा रहा है. ऐसे में पैमाइश के दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था या विरोध की आशंका को देखते हुए पुलिस ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई के निर्देश पर संभल सदर कोतवाली पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. एएसपी आलोक भाटी और एसडीएम सदर रामानुज की मौजूदगी में कोतवाली परिसर में उन दुकानदारों और मकान मालिकों के साथ बैठक की गई, जिन पर कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप है. बैठक में एएसपी आलोक भाटी, सदर कोतवाली प्रभारी गजेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर क्राइम जितेंद्र वर्मा और एसएसआई संदीप बालियान मौजूद रहे. पुलिस अधिकारियों ने बैठक में साफ शब्दों में कहा कि पैमाइश के दौरान किसी भी तरह का अवरोध, विरोध या हंगामा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. राजस्व विभाग की टीम को निष्पक्ष तरीके से काम करने दिया जाए, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके.
एसडीएम संभल ने क्या बताया
एसडीएम सदर रामानुज ने बताया कि पैमाइश की प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सभी प्रभावित पक्षकारों को पहले ही सूचना दे दी गई है. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिस अधीक्षक के साथ कोतवाली परिसर में बैठक कर सभी पक्षों को बुलाया गया, ताकि बाद में किसी तरह का विवाद न हो. एसडीएम के अनुसार, पैमाइश के लिए नायब तहसीलदारों के साथ लेखपालों की बड़ी टीम तैनात की गई है. प्रभावित पक्षकारों की मौजूदगी में ही पैमाइश कराई जाएगी, जिससे किसी भी पक्ष को आपत्ति का मौका न मिले.
शिकायतकर्ता के गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता एडवोकेट सुभाष चंद्र त्यागी ने कब्रिस्तान की जमीन को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि विवादित धर्मस्थल हरिहर मंदिर, जिसे वर्तमान में जामा मस्जिद कहा जाता है, उसके उत्तर दिशा में स्थित यह जमीन पूरी तरह कब्रिस्तान की थी. कानून के अनुसार, कब्रिस्तान की सीमा में किसी भी जीवित व्यक्ति को रहने का अधिकार नहीं होता, फिर भी यहां पर दुकानें और मकान बना दिए गए. त्यागी का आरोप है कि न केवल कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा किया गया, बल्कि 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के दौरान इन्हीं अवैध निर्माणों की छतों का इस्तेमाल पुलिस और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी और फायरिंग के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया, तो भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा हो सकती हैं. इसी आशंका को देखते हुए उन्होंने 12 दिसंबर 2025 को जिलाधिकारी को पत्र देकर विधिवत पैमाइश कराने और जांच में गैरकानूनी पाए जाने पर मकान और दुकानों को हटाने की मांग की थी.
प्रशासन की अगली चुनौती
संभल प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती 30 दिसंबर की पैमाइश को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराना है. एक ओर जमीन से जुड़े कानूनी पहलू हैं, तो दूसरी ओर सामाजिक और सांप्रदायिक संवेदनशीलता. प्रशासन का कहना है कि वह कानून के दायरे में रहते हुए ही कार्रवाई करेगा और किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा. फिलहाल सभी की नजरें 30 दिसंबर पर टिकी हैं. उस दिन होने वाली पैमाइश न केवल कब्रिस्तान की जमीन की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगी, बल्कि यह भी तय करेगी कि इस लंबे समय से चले आ रहे विवाद में आगे की कार्रवाई किस दिशा में जाएगी.
अभिनव माथुर