बंद दरवाजा, टूटा ताला और सच.... अभिषेक ने क्यों पूरी दीवार पर चिपका दी सोनल की फोटाे और व्हाट्सएप चैट

गोंडा में बीटेक एमबीए पास इंजीनियर अभिषेक श्रीवास्तव ने पड़ोसन सोनल सिंह और उसके पति द्वारा कथित ब्लैकमेलिंग व फर्जी मुकदमे से उपजी बदनामी से टूटकर अपने घर में जान दे दी. मरने से पहले उसने महिला की फोटो और व्हाट्सएप चैट दीवारों पर चिपकाईं. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने पति-पत्नी को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू की है.

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गोंडा के अभिषेक श्रीवास्तव ने ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर जान ने दी (Photo ITG) गोंडा के अभिषेक श्रीवास्तव ने ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर जान ने दी (Photo ITG)

अंचल श्रीवास्तव

  • गाेंडा ,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

बीटेक और एमबीए डिग्री हासिल कर चुका गोंडा का 32 वर्षीय अभिषेक श्रीवास्तव अपने ही घर में जिंदगी से हार मान चुका था. कमरे की दीवारों पर चिपकी एक महिला की तस्वीरें, व्हाट्सएप चैट के प्रिंटआउट और जमीन पर बिखरे कागज उसकी चुप चीख बन चुके थे. यह कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था, बल्कि महीनों से भीतर ही भीतर चल रही उस जंग का अंत था, जिसमें अभिषेक अकेला पड़ गया था.

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बंद दरवाजा, टूटा ताला और खामोश सच

17 दिसंबर की दोपहर जब काफी देर तक अभिषेक ने दरवाजा नहीं खोला, तो बहन को अनहोनी की आशंका हुई. सूचना पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा. अंदर का मंजर देखकर हर कोई सन्न रह गया. पंखे से लटका अभिषेक का शरीर, मुंह में ठूंसा कपड़ा, हाथ बेल्ट से बंधे और पैर भी जकड़े हुए. लेकिन इस सब से ज्यादा चौंकाने वाली चीज थी दीवारें. जहां एक महिला की कई तस्वीरें, मोबाइल चैट के स्क्रीनशॉट और कुछ लिखे हुए पन्ने चिपके थे. मानो अभिषेक मरते-मरते भी अपनी कहानी दुनिया को बता जाना चाहता हो.

कौन था अभिषेक श्रीवास्तव?

अभिषेक गोंडा नगर के गायत्रीपुरम मोहल्ले में अपनी छोटी बहन के साथ रहता था. उसके माता-पिता, जो पेशे से अधिवक्ता थे, का पहले ही निधन हो चुका था. पढ़ाई में तेज अभिषेक ने बीटेक और फिर एमबीए किया था और एक पेंट कंपनी में नौकरी करता था. माता-पिता के जाने के बाद वही घर और वही बहन उसकी पूरी दुनिया थी. बाहर से देखने पर उसकी जिंदगी सुलझी हुई लगती थी, लेकिन भीतर कुछ और ही चल रहा था.

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पड़ोस से शुरू हुआ रिश्ता

अभिषेक के घर के ठीक सामने सोनल सिंह अपने पति अजीत सिंह के साथ रहती थी. सोनल का पति रोज सुबह काम पर निकल जाता था और अभिषेक की बहन भी स्कूल में पढ़ाने चली जाती थी. घर में अक्सर अभिषेक अकेला रह जाता था. उद्भव श्रीवास्तव, जो अभिषेक के चचेरे भाई हैं, बताते हैं कि अभिषेक ने अपने घर के बाहर नाम और मोबाइल नंबर लिखवा रखा था. इसी नंबर के जरिए सोनल ने बातचीत शुरू की. पहले सामान्य बातचीत, फिर हालचाल और धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ती चली गईं. कुछ ही समय में यह रिश्ता रिलेशनशिप में बदल गया. अभिषेक सोनल पर भरोसा करने लगा. उसने महंगे गिफ्ट ऑनलाइन भेजे, पैसों की मदद भी की. अभिषेक को लगता था कि वह किसी अपने के लिए कर रहा है.

रिश्ते में आया मोड़ और शुरू हुआ दबाव

उद्भव के मुताबिक, कुछ समय बाद हालात बदलने लगे. सोनल के पति अजीत ने अभिषेक के घर के सामने कूड़ा फेंकना शुरू कर दिया. अभिषेक ने इसका विरोध किया और अपनी बाउंड्री पर लिखवा दिया कि यहां कूड़ा न फेंका जाए. यहीं से मनमुटाव बढ़ने लगा. रिश्ते की मिठास धीरे-धीरे कड़वाहट में बदल गई. इसके बाद जो हुआ, उसने अभिषेक की जिंदगी को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया.

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फर्जी मुकदमा और जेल की बदनामी

उद्भव का आरोप है कि सोनल और उसके पति ने मिलकर अभिषेक पर फर्जी आरोप लगाए और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. नतीजा यह हुआ कि अभिषेक को जेल जाना पड़ा. करीब 10 दिन बाद वह जमानत पर बाहर आया, लेकिन जेल जाने की बदनामी उसके लिए सबसे बड़ा झटका थी. एक पढ़ा-लिखा, नौकरीपेशा युवक, जो कभी कानून से नहीं टकराया था, वह खुद को समाज में दोषी महसूस करने लगा.

सुलह की कोशिश और बढ़ती ब्लैकमेलिंग

जेल से बाहर आने के बाद अभिषेक ने हालात सुधारने की कोशिश की. उसने सोनल से बात कर मुकदमे में सुलह की बात कही. लेकिन आरोप है कि इस दौरान सोनल, उसके पति अजीत और अजीत के भाई ने और ज्यादा पैसों की मांग शुरू कर दी. उद्भव का कहना है कि यह सिर्फ पैसों की बात नहीं थी. उन्हें अभिषेक का घर और वह संपत्ति चाहिए थी, जो माता-पिता के निधन के बाद उसे मिली थी. अभिषेक पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि पैसे दो, वरना और बदनामी झेलो.

टूटता आत्मसम्मान और आखिरी तैयारी

जेल जाने की बदनामी, लगातार ब्लैकमेलिंग और मानसिक दबाव ने अभिषेक को अंदर से तोड़ दिया. उसने किसी से खुलकर यह बात नहीं कही, लेकिन उसके कमरे की दीवारें गवाही देती हैं कि वह कितना परेशान था. मरने से पहले उसने सोनल के साथ हुई चैट, उसकी तस्वीरें और स्क्रीनशॉट का प्रिंट निकलवाया और दीवारों पर चिपका दिया. यह उसके लिए अपनी बेगुनाही साबित करने का आखिरी तरीका था.

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परिवार का आरोप और पुलिस की कार्रवाई

घटना के बाद अभिषेक के चचेरे भाई उद्भव श्रीवास्तव ने नगर कोतवाली में सोनल सिंह और उसके पति अजीत सिंह के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया. एफआईआर में ब्लैकमेलिंग, फर्जी मुकदमे में फंसाने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए गए. पुलिस ने मामले की जांच के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अपर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार रावत के अनुसार, घटना की विधिक कार्रवाई की जा रही है और सभी पहलुओं की गहन जांच हो रही है.

पुलिस कार्यशैली से नाराज परिवार

उद्भव श्रीवास्तव पुलिस की शुरुआती कार्यशैली से खिन्न नजर आए. उनका कहना है कि अगर समय रहते अभिषेक की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता, तो शायद यह नौबत नहीं आती. उनका आरोप है कि एक अकेले युवक को योजनाबद्ध तरीके से फंसाया गया और वह मानसिक दबाव सहन नहीं कर सका.

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