यूपी में वृद्धावस्था पेंशन के लिए अब नहीं भरना पड़ेगा फॉर्म, योगी सरकार का बड़ा फैसला

यूपी सरकार ने वृद्धा पेंशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है. शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने कहा कि अब वृद्धावस्था पेंशन के लिए फॉर्म भरने की जरूरत नहीं है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (File Photo: ITG) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (File Photo: ITG)

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 15 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठ में वृद्धा पेंशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत अब राज्य में बिना फॉर्म भरे ही वृद्धावस्था पेंशन मिल जाएगी. यह पेंशन हर परिवार में 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को दी जाएगी. अब तक यह पेंशन 67.50 लाख बुजुर्गों को मिल रही है.

वृद्धावस्था लाभार्थियों की ऐसे पहचान करेगी सरकार

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बैठक में कहा गया कि एक परिवार एक पहचान, योजना के तहत हर परिवार के 60 साल के बुजुर्ग का डाटा सरकार के पास होगा. इसी डाटा के आधार पर वृद्धावस्था पेंशन दी जाएगी. वृद्धा पेंशन के अलावा राज्य में कई अन्य बड़े फैसले भी लिए गए हैं. 

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समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि 'एक परिवार, एक पहचान' प्रणाली के तहत परिवार पहचान पत्र के माध्यम से लाभार्थियों की स्वचालित रूप से पहचान की जाएगी और लाभार्थी की सहमति के बाद पेंशन स्वीकृत की जाएगी.

आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांसफर होगी राशि

असीम अरुण ने कहा कि यह प्रणाली 60 वर्ष की आयु के करीब पहुंच रहे व्यक्तियों को डिजिटल रूप से ट्रैक करेगी और एसएमएस, व्हाट्सएप या फोन कॉल के माध्यम से सहमति प्रक्रिया शुरू करेगी. जहां डिजिटल सहमति प्राप्त नहीं होती है, वहां अधिकारी या स्थानीय सहायक लाभार्थियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करेंगे.

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असीम अरुण ने कहा कि सहमति के 15 दिनों के भीतर पेंशन स्वीकृति पूरी हो जाएगी और भुगतान सीधे आधार से जुड़े बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा. कैबिनेट ने दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1962 को ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे राज्य में लागू करने के लिए संशोधनों को भी मंजूरी दी. श्रम मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि संशोधित ढांचा छोटे प्रतिष्ठानों पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना व्यापक श्रम सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.

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किरायेदारी नियमों को सरल बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी

कैबिनेट ने 10 साल तक के किराये के समझौतों के लिए स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में रियायत देकर किरायेदारी नियमों को सरल बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी. इस कदम का उद्देश्य लिखित और पंजीकृत किराये के अनुबंधों को प्रोत्साहित करना और अनौपचारिक समझौतों से उत्पन्न विवादों को कम करना है. बयान में कहा गया है कि तदनुसार, एक वर्ष के लिए 2 लाख रुपये के किराये के समझौतों पर स्टांप शुल्क घटाकर 500 रुपये कर दिया गया है. 
 

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