उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के बहुचर्चित रामबाबू तिवारी आत्महत्या कांड में पुलिस प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. इस मामले में एसपी कौशांबी राजेश कुमार ने लापरवाही बरतने के आरोप में सैनी कोतवाली के एसएचओ बृजेश कुमार करवरिया को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है. इसके साथ ही चौकी इंचार्ज पथरावा आलोक राय और अभियोग के विवेचक कृष्ण स्वरूप को निलंबित कर दिया गया है. सैनी कोतवाली की कमान अब संतोष कुमार शर्मा को सौंपी गई है.
इस मामले में मुख्य आरोपी और ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल अभी तक फरार है. एसपी ने उसे पकड़ने के लिए 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. यह मामला सैनी कोतवाली के लोहंदा गांव का है, जहां 4 जून को रामबाबू तिवारी ने सैनी थाना से कुछ ही दूरी पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.
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रामबाबू ने अपने पेट और सीने पर खुद सुसाइड नोट लिखकर आरोप लगाया था कि ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल, उसके भाई और कुछ सहयोगियों ने पुलिस की मिलीभगत से उसके बेटे को झूठे रेप केस में फंसा दिया. सुसाइड नोट में यह भी लिखा गया कि उसने कई बार पुलिस और प्रशासन से बेटे की बेगुनाही की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
इससे आहत होकर उसने अपनी जान दे दी. मामले में पुलिस ने मृतक के परिजनों की तहरीर पर ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल और उसके चार सहयोगियों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया है, जिसमें से दो आरोपियों को जेल भेज दिया गया है.
5 जून को पोस्टमार्टम के बाद जब परिजन शव लेकर गांव लौट रहे थे, तो उन्होंने कानपुर-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया और जमकर हंगामा किया. पुलिस के समझाने के बावजूद जब हालात बिगड़े, तो भीड़ ने पुलिस टीम से धक्का-मुक्की की. इसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को खदेड़ा और यातायात बहाल कराया.
इस प्रकरण में पुलिस ने अलग से केस दर्ज कर 10 नामजद और 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिन पर राजमार्ग जाम करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस पर हमला करने के आरोप हैं.
अखिलेश कुमार