उत्तर प्रदेश में बागपत के धनौरा सिल्वरनगर निवासी विकास राणा को एक फर्जी एजेंट ने विदेशी नौकरी के नाम पर कंबोडिया भेजा था. वहां पहुंचते ही उसका पासपोर्ट, मोबाइल और सभी कागज जब्त कर लिए गए. वहां बंद कमरे में उससे साइबर फ्रॉड करवाया जा रहा था. ना उसे बाहर जाने की अनुमति थी और ना ही किसी से संपर्क का कोई अधिकार. यह वह जगह थी जिसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ‘साइबर टॉर्चर कैंप’ कहती हैं.
दरअसल विकास से संपर्क टूटने पर उसकी पत्नी ने 25 सितंबर को साइबर सेल बागपत में शिकायत दर्ज कराई थी. SP सूरज कुमार राय ने मामले को तुरंत गंभीरता से लिया और इसे गृह मंत्रालय के I4C सेंटर को भेजा गया. फिर भारतीय दूतावास कंबोडिया और स्थानीय पुलिस को भी अलर्ट किया गया.भारतीय एजेंसियों, कंबोडिया पुलिस और बागपत पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन ने आखिर सफलता पाई. जिस बिल्डिंग में विकास को बंधक बनाकर रखा गया था, वहीं कंबोडिया पुलिस ने दबिश देकर उसे सकुशल रेस्क्यू किया.
इसके बाद भारतीय दूतावास ने उसे सुरक्षित रूप से प्रत्यावर्तन कर भारत भेजा. भारत पहुंचकर परिवार से मिलने पर भावुक विकास राणा ने कहा की मुझे वहां टॉर्चर किया गया और यातनाएं दी गई. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी, CM योगी और बागपत पुलिस ने मुझे नई जिदगी दी है. उसने SP बागपत और I4C टीम को भी धन्यवाद दिया.
वहीं SP बागपत सूरज कुमार राय ने अपील करते हुए कहा कि कंबोडिया, म्यांमार, लाओस जैसे देशों में ऊंची सैलरी का झांसा देकर युवाओं को साइबर फ्रॉड में फंसाया जा रहा है. पासपोर्ट छीनकर उन्हें बंधक बनाया जाता है. लोग ऐसे किसी झांसे में बिल्कुल न आएं. साथ ही कहा कि अगर कोई साईबर स्लेवरी का शिकार है तो उसकी जानकरी साइबर टीम को अवश्य दे. राय ने बताया कि 25 सितंबर को शिकायत मिली थी कि विकास राणा को कंबोडिया में बंधक बनाकर साईबर क्राइम कराया जा रहा है. जिसके बाद भारतीय एजेंसियों और गृह मंत्रालय की मदद से उसे वापस भारत लाया गया है.
मनुदेव उपाध्याय