स्वीडन में बकरीद के मौके पर एक शख्स ने कुरान जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था. इसको लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी कड़ी में यूपी के झांसी में शुक्रवार को मुस्लिमों द्वारा घटना का विरोध किया गया. कुछ लोगों ने स्वीडन का झंडा जलाया और वहां के राष्ट्रपति के खिलाफ नारे लगाए. साथ ही मुस्लिम समाज के लोगों ने निवेदन किया कि देश की राष्ट्रपति स्वीडन में भारत की ओर से इसका विरोध करें.
दरअसल, झांसी में शुक्रवार की दोपहर मुस्लिम समाज के लोग जुमे की नमाज पढ़ने मरकज मस्जिद पहुंचे थे. वहां से लौटने के दौरान स्वीडन के राष्ट्रपति के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. मुस्लिम समाज ने स्वीडन का झंडा भी जलाया. इसके बाद देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा और निवेदन किया कि वो स्वीडन में भारत की ओर से कुरान जलाए जाने का विरोध करें.
ये है पूरा मामला
स्वीडन में 28 जून को स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने सलवान मोमिका नाम के शख्स ने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था. 37 वर्षीय मोमिका ने लगभग 200 लोगों की मौजूदगी में कुरान जलाई थी. इसमें से कई लोग कुरान जलाए जाने का समर्थन कर रहे थे. वर्षों पहले मोमिका इराक से भागकर स्वीडन आया था. उसको कुरान जलाकर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति स्वीडन के अधिकारियों ने दी थी.
स्वीडिश पुलिस ने क्या कहा?
स्वीडिश न्यूज वेबसाइट SVT Nyheter के मुताबिक, स्टॉकहोम पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि तीन धार्मिक ग्रंथों को जलाने की अनुमति मांगी गई है. पुलिस ने बताया है कि सभी आवेदन की जांच की जा रही है कि अनुरोध शर्तें नियमों के अनुरूप है या नहीं.
हेलसिंगबर्ग में धार्मिक ग्रंथ जलाए जाने की अनुमति मांग पत्र की जांच कर रहे साउथ रीजन की पुलिस ने कहा कि यदि प्रदर्शन की मंजूरी मिलती है तो अगले सप्ताह बुधवार को धार्मिक ग्रंथ जलाने की अनुमति दी जा सकती है.
Nordvästra Skåne एरिया के हेड ऑफ पुलिस मैटियास सिगफ्रिडसन ने कहा कि हमारा नजरिया किसी खास धर्म को लेकर अलग नहीं हो सकता है. लेकिन यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी बहस का हिस्सा है. और यह बहस अभी भी जारी है.
अमित श्रीवास्तव