5 साल कैद, भूख और जुल्म की कहानी... कंकाल जैसी बन गई जवान बेटी, रिटायर्ड सीनियर क्लर्क की मौत

यूपी के महोबा में एक नौकर दंपति ने रेलवे से रिटायर्ड सीनियर क्लर्क ओमप्रकाश सिंह राठौर और उनकी मानसिक रूप से विक्षिप्त बेटी को पांच साल तक कैद में रखा. भूख और प्रताड़ना से बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि बेटी कंकाल जैसी हालत में मिली. मामला सामने आने के बाद पुलिस जांच में जुटी है और परिजन सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

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पिता और बेटी दोनों सालों पहले ऐसे दिखते थे  (Photo: Screengrab) पिता और बेटी दोनों सालों पहले ऐसे दिखते थे (Photo: Screengrab)

नाह‍िद अंसारी

  • महोबा ,
  • 30 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

यूपी के महोबा जिले में संपत्ति के लालच में एक नौकर दंपति ने रेलवे से रिटायर्ड बुजुर्ग और उनकी मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटी को करीब पांच साल तक कैद में रखकर ऐसा जुल्म ढाया, जिसकी कल्पना भर से रूह कांप जाए. इस खौफनाक वारदात में रेलवे में सीनियर क्लर्क के पद से रिटायर्ड 70 वर्षीय ओमप्रकाश सिंह की मौत हो गई और उनकी  26-27 साल की बेटी जिंदा कंकाल जैसी हो गई. बस किसी तरह उसकी सांसें चल रही थीं.

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ओमप्रकाश सिंह राठौर कभी सम्मानित जीवन जीते थे. सूट-टाई पहनकर दफ्तर जाने वाले ओमप्रकाश की जिंदगी का अंत इस तरह होगा, किसी ने सोचा भी नहीं था. उनकी 27 वर्षीय बेटी रश्मि मानसिक रूप से विक्षिप्त थी और पिता ही उसके एकमात्र सहारे थे. लेकिन इसी बेबसी का फायदा उठाकर घर में काम करने वाले नौकर दंपति ने दोनों को धीरे-धीरे मौत के हवाले कर दिया. परिजनों के मुताबिक, वर्ष 2016 में ओमप्रकाश की पत्नी का निधन हो गया था. इसके बाद वह अपनी बेटी रश्मि के साथ अलग मकान में रहने लगे. बेटी की हालत को देखते हुए उन्होंने चरखारी निवासी रामप्रकाश कुशवाहा और उसकी पत्नी रामदेवी को देखभाल के लिए घर में रखा. शुरुआत में सब सामान्य लगा, लेकिन धीरे-धीरे नौकर दंपति की नीयत बदलने लगी. आरोप है कि कुछ ही समय बाद उन्होंने पूरे मकान पर कब्जा कर लिया और ओमप्रकाश व उनकी बेटी को घर के नीचे के कमरों में सीमित कर दिया.

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बताया जा रहा है कि नौकर दंपति खुद ऊपर के कमरों में आराम से रहते थे, जबकि बुजुर्ग पिता और उसकी बेटी अंधेरे, गंदे और संकरे कमरों में बंद पड़े रहते थे. उन्हें न भरपेट भोजन दिया जाता था, न ही इलाज की कोई व्यवस्था की गई. कई बार तो दिन-दिन भर खाना तक नसीब नहीं होता था. भूख और कमजोरी से ओमप्रकाश धीरे-धीरे टूटते चले गए, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई. परिजनों का आरोप है कि जब भी कोई मिलने आता, नौकर बहाना बना देता था कि ओमप्रकाश किसी से मिलना नहीं चाहते या तबीयत ठीक नहीं है. सामाजिक कटाव का यह जाल इतना मजबूत था कि किसी को अंदर की सच्चाई का अंदाजा नहीं हो सका. इसी दौरान नौकर दंपति ने कथित तौर पर मकान और बैंक बैलेंस पर भी नजरें गड़ा ली थीं. आरोप है कि संपत्ति हड़पने की नीयत से ही दोनों बाप-बेटी को सुनियोजित तरीके से कैद में रखा गया.

दरवाजा खुला तो हर कोई सन्न

सोमवार को जब ओमप्रकाश की मौत की खबर परिजनों तक पहुंची, तो वे दौड़ते हुए घर पहुंचे. जैसे ही घर का दरवाजा खुला, अंदर का मंजर देखकर हर कोई सन्न रह गया. ओमप्रकाश का शव जमीन पर पड़ा था. शरीर इतना सूख चुका था कि मानो केवल चमड़ी और हड्डियों का ढांचा रह गया हो. भूख, बीमारी और जुल्म ने उनकी जान ले ली थी.

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लेकिन इससे भी ज्यादा भयावह दृश्य पास के कमरे में था, जहां उनकी बेटी रश्मि मिली. 26-27 साल की युवती उम्र से कहीं ज्यादा बूढ़ी दिख रही थी. वह नग्न अवस्था में अंधेरे कमरे में पड़ी थी. शरीर में मांस का नामोनिशान नहीं था. पसलियां बाहर निकली हुई थीं, आंखें गड्ढों में धंसी थीं. ऐसा लग रहा था जैसे जिंदा कंकाल हो, जिसमें बस किसी तरह सांसें चल रही हों. जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखें भर आईं. परिजनों का कहना है कि रश्मि की हालत किसी 80 साल की बुजुर्ग महिला से भी बदतर थी. मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण वह खुद कुछ कहने या मदद मांगने की स्थिति में भी नहीं थी. यही उसकी सबसे बड़ी मजबूरी बन गई. पिता के मरने के बाद भी उसे भूखा और बेसहारा छोड़ दिया गया था.

पड़ोसियों को भी नहीं चला कुछ पता 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन हरकत में आया. ओमप्रकाश को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नवीन चौहान के अनुसार, बुजुर्ग को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, ताकि मौत के सही कारणों की पुष्टि हो सके. इस पूरे मामले ने पड़ोसियों को भी झकझोर दिया है. लोगों का कहना है कि वे कभी-कभी घर में नौकर दंपति को आते-जाते देखते थे, लेकिन अंदर इतनी बड़ी क्रूरता चल रही है, इसका किसी को अंदाजा नहीं था. पड़ोसियों के मुताबिक, ओमप्रकाश कभी मिलनसार व्यक्ति हुआ करते थे, लेकिन पिछले कई वर्षों से उन्हें किसी ने खुले में नहीं देखा.

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फिलहाल, मृतक के परिजन रश्मि की देखभाल में जुट गए हैं. उसका इलाज कराया जा रहा है और उसे धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौटाने की कोशिश की जा रही है. परिजन दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह केवल हत्या नहीं, बल्कि वर्षों तक चला अमानवीय अत्याचार है, जिसके लिए कड़ी सजा जरूरी है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और नौकर दंपति से पूछताछ की जा रही है. प्रारंभिक जांच में संपत्ति विवाद और लालच की बात सामने आ रही है. अधिकारियों का कहना है कि सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जाएगी और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दिलाई जाएगी.

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