'मेरे शरीर में 250 टांके, हाथ-पैर में रॉड... कोर्ट की पूरी बहस अंग्रेजी में हुई' उन्नाव रेप पीड़िता ने बयां किया अपना एक-एक दर्द

उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता ने गहरा दर्द और आक्रोश जताया है. उन्होंने कहा कि पूरी बहस अंग्रेजी टू अंग्रजी में हुई. मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया. उन्होंने कहा कि आरोपी को जमानत मिलने से मैं टूट गई. सुरक्षा हटने और पुलिस के दुर्व्यवहार के आरोप लगाते हुए पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया और कहा कि यह फैसला हर बेटी की हिम्मत तोड़ने वाला है.

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उन्नाव रेप पीड़िता ने आजतक के हर एक सवाल का जवाब दिया   (Photo: Screengrab) उन्नाव रेप पीड़िता ने आजतक के हर एक सवाल का जवाब दिया (Photo: Screengrab)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 25 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

यूपी का उन्नाव रेप केस, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. इस बार वजह है दिल्ली हाई कोर्ट का हालिया आदेश, जिसने आरोपी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बेल देने की बात कही है ने पीड़िता के पुराने जख्मों को फिर से हरा कर दिया है. इस आदेश के बाद पीड़िता ने आजतक से अपना हर एक-एक दर्द बयां किया. पीड़िता ने आरोप लगाया कि इंडिया गेट प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उसे जबरन गाड़ी में डाला, खींचा और धक्का दिया. उन्होंने बताया कि मेरे पूरे शरीर में करीब 250 टांके हैं, हाथ-पैर में रॉड पड़ी है. फिर भी पुलिस ने मुझे घसीटा. मुझे बहुत दर्द हुआ.

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मैं कोर्ट गई थी, लेकिन खुद को बेबस महसूस किया

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पीड़िता ने कहा, मैं हाई कोर्ट गई थी. जब जजमेंट सुन रही थी, तो विरोध करने की कोशिश की, लेकिन वहां मेरी आवाज कौन सुनता ? पूरी बहस अंग्रेजी में हो रही थी. अगर बहस हिंदी में होती, तो शायद मैं पूछ पाती कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है. पीड़िता का कहना है कि उसे यह अहसास हुआ कि आम लोगों, खासकर गरीब और पीड़ित महिलाओं के लिए कितनी न्याय कितनी जटिल हो गई है.

इतना दुख हुआ कि सुसाइड का ख्याल आया

पीड़िता ने बेहद भावुक होकर बताया कि फैसले के बाद वह पूरी तरह टूट गई थी. मुझे इतना दुख हुआ, इतना आहत हुई कि लगा मैं सुसाइड कर लूं. लेकिन फिर अपने बच्चों को देखा, अपने परिवार को सोचा. मरने से इंसाफ नहीं मिलेगा. अगर भगवान ने मुझे जिंदा रखा है, तो शायद संघर्ष के लिए रखा है. उसका सवाल सीधा है कि अगर ऐसे जघन्य अपराध के आरोपी को जमानत मिल सकती है, तो पीड़ित और गवाह आखिर कैसे सुरक्षित रहेंगे ?

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सुरक्षा हटने का आरोप, डर के साए में परिवार

पीड़िता ने आरोप लगाया कि जमानत की प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद उनके परिवार, पैरोकारों और गवाहों की सुरक्षा धीरे-धीरे हटा ली गई. मेरे चाचा की बेल खारिज हो चुकी है, लेकिन उसके बाद हमारे गवाहों की सुरक्षा हटाई गई. हमने पुलिस से लेकर कोर्ट तक कई बार आवेदन दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पीड़िता का कहना है कि जब आरोपी प्रभावशाली हो, तो डर सिर्फ जेल से बाहर आने का नहीं होता, बल्कि उसके समर्थकों और नेटवर्क से भी होता है.

आज मेरे साथ हुआ है, कल मेरी बेटी के साथ हो सकता है

पीड़िता की आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वह भविष्य की बात करती है. वह कहती है कि आज मेरे साथ हुआ है. कल मेरी बेटी के साथ हो सकता है, मेरे बेटे के साथ हो सकता है. मैं मां हूं, मैंने झेल लिया. लेकिन मेरी बेटी कैसे झेलेगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने सिर्फ उसे नहीं, बल्कि हर उस बेटी को डरा दिया है जो न्याय की उम्मीद लेकर जी रही है.

मेरे चाचा ने कोई अपराध नहीं किया, फिर भी 7 साल से जेल में हैं

पीड़िता ने एक और गंभीर सवाल उठाया. कहा कि मेरे चाचा ने न किसी बेटी को छेड़ा, न किसी के साथ रेप किया, फिर भी सात साल से जेल में हैं. और जिसने मेरे साथ यह किया, जो सत्ता में ताकतवर है, उसे जमानत मिल रही है.उसने खुलकर कहा कि आरोपी एक समय सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़ा रहा है, यही वजह है कि सिस्टम उसके आगे कमजोर नजर आता है.

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रेप के आरोपी को बेल, यह इतिहास का पहला फैसला ?

पीड़िता का दावा है कि गैंगरेप जैसे मामले में जमानत मिलना अपने-आप में खतरनाक संकेत है. अगर रेप में बेल मिल गई, तो मर्डर केस में भी मिल जाएगी. यही डर सता रहा है. उसने कहा कि जब एक लड़की के साथ रेप होता है और उसके पिता की हत्या तक हो जाती है, उसके बाद भी अगर आरोपी को राहत मिलती है, तो यह न्याय व्यवस्था पर बड़ा सवाल है.

इंडिया गेट पर प्रदर्शन और पुलिस पर गंभीर आरोप

हाई कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता ने इंडिया गेट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की कोशिश की, पीड़िता का कहना है कि वहां जो हुआ, उसने और तोड़ दिया. पुलिस ने कहा कि यहां धरना देना एलाउड नहीं है. मैंने पूछा अगर धरना एलाउड नहीं है, तो क्या रेप एलाउड है ? बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा क्या सिर्फ पोस्टरों तक सीमित है ? पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे जबरन गाड़ी में डाला, खींचा और धक्का दिया. उन्होंने बताया कि मेरे पूरे शरीर में करीब 250 टांके हैं, हाथ-पैर में रॉड पड़ी है. फिर भी पुलिस ने मुझे घसीटा. मुझे बहुत दर्द हुआ.

मुझे बंधक बनाकर रखा गया

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पीड़िता का दावा है कि उसे एक घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया और कहा गया कि वह आरोपी के खिलाफ न बोले. पुलिस वाले कह रहे थे तुम कुलदीप सेंगर के खिलाफ मत बोलो. इतना ही नहीं, उसने एक पुलिस अधिकारी पर शराब पीकर ड्यूटी करने का आरोप भी लगाया.

पैसे में बहुत ताकत होती है

पीड़िता ने कहा कि उसे लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. हमने कई एप्लीकेशन दी हैं कि हमें खतरा है. कहा जा रहा है कि बाहर निकलते ही खत्म कर देंगे. पैसे में बहुत ताकत होती है, भैया. उसका कहना है कि सिर्फ सीआरपीएफ की तैनाती सुरक्षा की गारंटी नहीं बन सकती.

हम चुप नहीं बैठेंगे, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

पीड़िता ने साफ किया कि वह अब पीछे हटने वाली नहीं है. जब तक आरोपी की बेल खारिज नहीं होती, हम शांत नहीं बैठेंगे. चाहे मुझे जेल ही क्यों न जाना पड़े. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा जताया. कहा कि मुझे आंख बंद करके भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट मुझे न्याय देगा. जैसे ही कोर्ट खुलेगा, हम वहां एप्लीकेशन लगाएंगे.

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