मुर्दाघर के फ्रीजर से नहीं निकल पाई दादी, डॉक्टरों की एक गलती की वजह से हुई मौत

अस्पताल के मुर्दाघर के फ्रीजर में बंद एक दादी ने वहां से निकलने की काफी कोशिश की. अंत में ठंड की वजह से उनका पूरा शरीर अकड़ गया और उनकी मौत हो गई. ऐसे में सवाल ये उठता है कि महिला मुर्दाघर के फ्रीज में कैसे पहुंची? जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी.

Advertisement
अस्पताल के फ्रीजर में बंद महिला की जमने से हुई मौत (Representational Photo - Pexels) अस्पताल के फ्रीजर में बंद महिला की जमने से हुई मौत (Representational Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST

एक अस्पताल में मुर्दाघर के फ्रीज में एक महिला को गलती से बंद कर दिया गया. महिला की जब आंख खुली तो उसने बाहर निकलने की काफी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई. जमा देने वाली ठंड की वजह से उसकी अंदर ही मौत हो गई.

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, मारिया डी जीसस अरोयो नाम की एक महिला को लॉस एंजिल्स के बॉयल हाइट्स स्थित उनके घर में हार्ट अटैक आया. इसके बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इस दादी को मृत घोषित किए जाने के बाद मुर्दाघर के फ्रीजर में रख दिया गया. कुछ देर बाद महिला को होश आया और उसने फ्रीजर से निकलने की कोशिश की, लेकिन ठंड से वजह से उनकी मौत हो गई.

Advertisement

परिवार का दावा- जीवित रहते फ्रीजर में कर दिया था बंद
उनके परिवार ने दावा किया कि उन्हें जीवित रहते हुए ही मुर्दाघर के फ्रीजर में रख दिया गया था.डॉक्टरों ने उनके शरीर को निर्जीव समझ एक बॉडी बैग में बंद करके फ्रीजर में रख दिया गया - लेकिन वह तब भी जीवित थीं.

मारिया डी जीसस अरोयो 26 जुलाई, 2010 को कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स स्थित अपने बॉयल हाइट्स स्थित आवास पर हृदयाघात के बाद बेहोश हो गईं. उन्हें व्हाइट मेमोरियल मेडिकल सेंटर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाने के वक्त हुआ खुलासा
कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, मारिया का शव अस्पताल के एक रेफ्रिजरेटेड शवगृह में रखा गया था. हालांकि, जब कई दिनों बाद अंतिम संस्कार गृह के कर्मचारी बैग लेने पहुंचे तो, उन्होंने पाया कि बैग आधा खुला था और महिला अंदर औंधे मुंह पड़ी थी. महिला की टूटी हुई थी और चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था.

Advertisement

अस्पताल के खिलाफ परिवार की कानूनी कार्रवाई में दावा किया गया है कि 80 साल की महिला को जिंदा रहते ही मुर्दाघर के फ्रीजर में डाल दिया गया था  और बाद में जमा देने वाले तापमान के कारण उसकी मौत हो गई.

मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, इस भयावह गलती का पता तब तक नहीं चला जब तक कि अंतिम संस्कार करने वाले लोग उनकी बॉडी को लेने नहीं पहुंचे. जब उनकी बॉडी को फ्रीजर से निकाला गया तो पता चला कि वह आधे खुले हुए बॉडी बैग में मुंह के बल लेटी हुई थीं.

डॉक्टर ने भी बाद में मौत की पुष्टि की
परिवार द्वारा नियुक्त एक रोगविज्ञानी, डॉ. विलियम मैनियन ने बाद में यह निर्धारित किया कि जब उन्हें फ्रीजर में रखा गया था, तब वह होश में थीं और उन्हें चोटें तब लगी थीं, जब वह ठंडे तापमान में जागने के बाद बॉडी बैग से बाहर निकलने का प्रयास कर रही थीं.

कानूनी दस्तावेजों में, पैथोलॉजिस्ट ने कहा कि महिला को जिंदा जमा दिया गया था. जब वह जगीं और वहां से निकलने  की कोशिश की तो उनका चेहरा क्षतिग्रस्त हो गया और उसने अपना चेहरा नीचे की ओर कर लिया, क्योंकि वह अपनी जमी हुई कब्र से बाहर निकलने का असफल प्रयास कर रही थीं.

Advertisement

2012 में केस कर दिया गया था खारिज 
उसके परिवार ने सबसे पहले जनवरी 2011 में लापरवाही का दावा दायर किया था. 2012 में मैनियन की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, उन्होंने गलत तरीके से हुई मौत और चिकित्सा कदाचार का एक अतिरिक्त मुकदमा दायर किया.

अब फिर से रीओपन हुआ है मामला
निचली अदालत ने क़ानून की सीमाओं के आधार पर मामले को खारिज कर दिया था. अब कैलिफोर्निया के द्वितीय जिला अपील न्यायालय में केस को फिर से ओपन किया गया है. अदालत ने कहा कि वादी के पास यह संदेह करने की कोई वजह नहीं थी कि मृतक को अस्पताल के मुर्दाघर में रखे जाने के समय वह जीवित थीं, मृत नहीं.परिवार गलत तरीके से जिंदा होने का दावा पहले नहीं कर सकता था.
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement