अंडमान में मर्डर, क्या कभी नहीं मिल पाएगा अमेरिकी का शव?

सर्वाइवल इंटरनेशनल नाम की संस्था ने कहा है कि पुलिस को अमेरिकी शख्स की बॉडी हासिल करने का प्रयास बंद कर देना चाहिए.

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अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की फाइल फोटो अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की फाइल फोटो

अभि‍षेक आनंद

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह के नॉर्थ सेंटीनल आइलैंड पर अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की कथित तौर से 17 नवंबर को हत्या कर दी गई थी. लेकिन 10 दिन बाद भी पुलिस को उनका शव हासिल करने में सफलता नहीं मिली है.

वहीं, सर्वाइवल इंटरनेशनल नाम की संस्था ने कहा है कि पुलिस को अमेरिकी शख्स की बॉडी हासिल करने का प्रयास बंद कर देना चाहिए. संस्था का मानना है कि उनका शव हासिल करने की कोशिश जनजाति और पुलिस, दोनों के लिए 'बेहद खतरनाक' साबित हो सकती है.

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बाहरी लोगों को देखते ही ये जनजाति उन पर तीरों से हमला करने लगती है. अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की भी तीर से ही हमला कर हत्या करने की बात सामने आई थी. चाऊ पर अंडमान द्वीप के सेंटनलीज आदिवासियों के साथ संपर्क करने की जिद सवार थी. वे उन्हें ईसाई धर्म से रूबरू कराना चाहते थे.

वहीं, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की पुलिस ने नॉर्थ सेंटीनल आइलैंड जाने की कोशिश की थी, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है. जैसे ही पुलिस अधिकारियों की नाव द्वीप के पास पहुंची, उन्होंने देखा कि जनजाति अपने तीरों के साथ वहां खड़े थे.

द्वीप समूह के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने ट्वीटर पर कहा है कि ये अब तक का सबसे अधिक चैलेंजिंग केस बन गया है. पाठक ने कहा कि पुलिस की नाव 400 मीटर दूर थी, तभी उन्होंने जनजाति को तीर कमान के साथ द्वीप के तट पर खड़े देखा.

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जनजाति से बाहरी का संपर्क करना है बैन

नॉर्थ सेंटीनल द्वीप पर ऐसी जनजाति रहती है जिसके बारे में किसी को भी अधिक जानकारी नहीं है. भारत सरकार ने इन्हें संरक्षित जनजाति घोषित किया है. इनसे किसी भी बाहरी व्यक्ति का संपर्क करना मना है. इनके साथ फोटो और वीडियो लेना भी गैर कानूनी है.

इस जनजाति से जब कभी बाहरी व्यक्तियों ने संपर्क करने की कोशिश की, वे असफल हो गए. इनकी अपनी भाषा है जिसे समझना काफी मुश्किल माना जाता है. ये जनजाति मुद्रा का भी इस्तेमाल नहीं करती. इस जनजाति की आबादी 50 के आसपास मानी जाती है. रिपोर्टों के मुताबिक, इस जनजाति के लोगों पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता.

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