अमेरिका में इंग्लिश टेस्ट में फेल होने पर 7,000 ट्रक ड्राइवरों पर प्रतिबंध, भारतीयों पर बड़ा असर

अमेरिका में अब अंग्रेजी परीक्षा पास करना ट्रक ड्राइवरों के लिए जरूरी हो गया है. इससे हजारों भारतीय मूल के ड्राइवरों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है, और कई लोग इस नीति को भेदभावपूर्ण और अनुचित बता रहे हैं.

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नए नियम के मुताबिक, अब हर ट्रक ड्राइवर को अंग्रेज़ी पढ़ने और बोलने में इतना सक्षम होना जरूरी है कि वह लोगों से बात कर सके, सड़क के संकेत समझ सके और अधिकारियों से सही तरीके से बातचीत कर सके. ( Photo: AI Generated) नए नियम के मुताबिक, अब हर ट्रक ड्राइवर को अंग्रेज़ी पढ़ने और बोलने में इतना सक्षम होना जरूरी है कि वह लोगों से बात कर सके, सड़क के संकेत समझ सके और अधिकारियों से सही तरीके से बातचीत कर सके. ( Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

अमेरिका में हाल ही में 7,000 से ज़्यादा ट्रक ड्राइवरों की नौकरियां चली गई हैं, क्योंकि वे अंग्रेजी की अनिवार्य परीक्षा में पास नहीं हो सके. यह जानकारी अमेरिकी परिवहन सचिव सीन डफी ने दी. बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर ड्राइवर भारतीय मूल के हैं, खासकर पंजाब और हरियाणा से. अमेरिका के ट्रकिंग उद्योग में लगभग 1.5 लाख सिख काम करते हैं, जिनमें करीब 90% ट्रक ड्राइवर हैं.  सरकार ने यह कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि हाल के समय में भारतीय ट्रक ड्राइवरों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गई थीं. इस वजह से अब अंग्रेजी दक्षता परीक्षा को और सख्ती से लागू किया जा रहा है.

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 7,248 ट्रक ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया
परिवहन सचिव सीन डफी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि अक्टूबर 2025 तक 7,248 ट्रक ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया गया है, क्योंकि वे अंग्रेजी की परीक्षा में पास नहीं हो सके. यह संख्या जुलाई में निकाले गए 1,500 ड्राइवरों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसका मतलब है कि हाल के महीनों में नियमों को और सख्ती से लागू किया जा रहा है. नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी ट्रकर्स एसोसिएशन के अनुसार, अमेरिका में लगभग 1.3 से 1.5 लाख ट्रक ड्राइवर पंजाब और हरियाणा से हैं, और नए नियमों से उनमें से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं.

ट्रक ड्राइवर को अंग्रेजी बोलना और समझना जरूरी
पहले 2016 में ओबामा सरकार के समय एक नियम था कि निरीक्षक सिर्फ भाषा के आधार पर किसी ड्राइवर को नौकरी से नहीं निकाल सकते थे. लेकिन बाद में ट्रंप प्रशासन ने इस नियम को रद्द कर दिया. अब सरकार ने दोबारा यह साफ कर दिया है कि हर व्यावसायिक ट्रक ड्राइवर को अंग्रेजी बोलना और समझना जरूरी है, वरना उन्हें काम करने की अनुमति नहीं मिलेगी.

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एफएमसीएसए (Federal Motor Carrier Safety Administration) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर तक 5,000 से ज़्यादा ड्राइवरों को अंग्रेजी न जानने के कारण सेवा से बाहर किया गया है. यह संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि अब ज़्यादा राज्यों में इस नियम का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है.

अमेरिका में अब एक नया नियम लागू हुआ है — 49 CFR 391.11(b)(2) — जिसके तहत हर कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस (CDL) धारक को अंग्रेज़ी बोलने, समझने और पढ़ने में दक्ष होना जरूरी है. इसका मकसद यह है कि ड्राइवर सड़क के संकेत पढ़ सकें, अधिकारियों से बात कर सकें और सही रिकॉर्ड रख सकें. ट्रंप प्रशासन के आदेश के बाद, जो ड्राइवर अंग्रेज़ी परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें 25 जून 2025 से तुरंत काम से हटा दिया जाएगा.

हादसों के बाद सख्ती बढ़ी
यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि हाल के महीनों में भारतीय मूल के ट्रक ड्राइवरों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं.  कैलिफोर्निया में एक भारतीय ड्राइवर पर एक दुर्घटना में तीन अमेरिकियों की मौत का आरोप लगा. फ्लोरिडा में भी एक हादसे में तीन लोगों की जान गई, जब भारत से आए एक ड्राइवर ने गलत यू-टर्न लिया. इन मामलों के बाद अमेरिकी ट्रांसपोर्ट विभाग ने नियमों पर सख्ती बढ़ा दी.

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US भारतीय ड्राइवरों पर असर
अमेरिका में लगभग 1.5 लाख ट्रक ड्राइवर पंजाब और हरियाणा से हैं, और अब उनमें से हजारों पर इस नियम का असर पड़ेगा. कई लोग कह रहे हैं कि इससे कई अनुभवी और सुरक्षित ड्राइवरों को नौकरी से हटाया जा रहा है, सिर्फ इसलिए कि उनकी अंग्रेजी कमजोर है. कई उद्योग समूहों और संगठनों ने इस नीति की आलोचना की है. उनका कहना है कि यह नीति द्विभाषी या स्पेनिश बोलने वाले ड्राइवरों के साथ भेदभाव कर रही है. टेक्सास के एक कंपनी मालिक ने कहा- हमारे ड्राइवर सालों से सुरक्षित काम कर रहे हैं, लेकिन अब सिर्फ इसलिए निकाले जा रहे हैं क्योंकि वे अंग्रेजी में जल्दी जवाब नहीं दे पाते. यह सुरक्षा का नहीं, भाषा का मुद्दा है.”

सिख संगठन का विरोध
सिख कोलिशन, एक प्रमुख वकालत समूह, ने कहा कि नए नियम का असली उद्देश्य लगभग 1.94 लाख आप्रवासी ड्राइवरों को काम से हटाना है, न कि सुरक्षा बढ़ाना. उनका कहना है कि सरकार गैर-निवासी ड्राइवरों को "खतरनाक" बताने की कोशिश कर रही है, जबकि ज्यादातर लोग मेहनती और नियमों का पालन करने वाले हैं.

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