इस ट्रेन से 35 बार उतरता है स्टाफ, खुद बंद करता है, खोलता है फाटक

ट्रेन में दो ‘गेटमैन’ सवार रहते हैं. एक अगले डिब्बे में और दूसरा पिछले डिब्बे में. जब ट्रेन मानवरहित रेलवे फाटक पर रुकती है तो अगले डिब्बे में सवार कर्मी नीचे उतरता है और गेट को बंद कर देता है.

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प्रतीकात्मक फोटो: Getty Images प्रतीकात्मक फोटो: Getty Images

अभि‍षेक आनंद

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

ऐसे समय में जब भारतीय रेलवे मानवरहित क्रॉसिंग को समाप्त करने के लिए अभियान चला रही है उस समय तमिलनाडु में सप्ताह में दो दिन चलने वाली एक ट्रेन ऐसी 35 जगहों पर रूकती है जिसमें सवार दो कर्मचारी उतरकर फाटक खोलते और बंद करते हैं.

इन मानवरहित क्रासिंग पर रुकने के अलावा हाल में शुरू की गई यह ट्रेन अपने करीब साढ़े तीन घंटे के सफर में सात स्टेशनों पर ठहरती है. यह तमिलनाडु के करैकुडी और पत्तुकोट्टई के बीच 72 किलोमीटर के रेलखंड पर चलती है.

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पटरियों को ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने के तीन महीने बाद ट्रेन का परिचालन 30 जून को शुरू हुआ था. यह सिर्फ सोमवार और गुरूवार को चलती है. ट्रेन में दो ‘गेटमैन’ सवार रहते हैं. एक अगले डिब्बे में और दूसरा पिछले डिब्बे में. जब ट्रेन मानवरहित रेलवे फाटक पर रुकती है तो अगले डिब्बे में सवार कर्मी नीचे उतरता है और गेट को बंद कर देता है.

जब ट्रेन चलती है और फाटक से कुछ आगे रूकती है तो दूसरा गेटमैन नीचे उतरकर फाटक खोलता है और ट्रेन में चढ़ जाता है. फिर ट्रेन गंतव्य के लिए रवाना हो जाती है. तिरुचिराप्पल्ली संभागीय रेलवे के प्रबंधक उदय कुमार रेड्डी ने भाषा को बताया कि इस पहल की शुरुआत प्रायोगिक तौर पर तीन महीने के लिए की गयी है.

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