'पांच घंटे जिंदा दफन रहा...', शख्स ने बताया - मौत के मुंह से कैसे जिंदा बचा

बर्फ के अंदर पांच घंटे तक दबे होने की वजह से एक शख्स मौत के कगार तक पहुंच गया था. उसकी सांस की नली और फेंफड़ों में बर्फ भर गया था. डॉक्टर उसे ब्रेन डेड घोषित कर चुके थे और वह लाइफ सपोर्ट पर था. फिर कुछ ऐसा हुआ कि जिससे उम्मीद की किरण दिखाई दी.

Advertisement
ब्रेन डेड के बाद भी मौत के मुंह से ऐसे जिंदा बच निकला शख्स (Representational Photo - Pexels) ब्रेन डेड के बाद भी मौत के मुंह से ऐसे जिंदा बच निकला शख्स (Representational Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

एक शख्स पांच घंटे तक कई फुट बर्फ के नीचे जिंदा दफन रहा. परिवार वाले जब उसे अस्पताल लेकर पहुंचे तो वो समझ चुके थे कि उसकी मृत्यु हो चुकी है. डॉक्टर ने भी ब्रेन डेड बता दिया था और लाइफ सपोर्ट हटाकर अंतिम संस्कार के लिए उसे परिवार वालों को सौंपने वाले थे. तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने उसने नई जिंदगी दी. 

Advertisement

यह कहानी है 44 साल के एक शख्स मैट पोट्रैट्ज़ की.  27 साल के मैट अस्पताल के बिस्तर पर थे. उनके फैमिली मेंबर और दोस्त उनके बेड को चारों ओर से घेरे हुए थे. क्योंकि डॉक्टर ने सभी को लाइफ सपोर्ट मशीनें बंद करने के बारे में सोचने को कहा था. परिवार वालों के मुताबिक तो अस्पताल ले जाते समय ही मैट की मृत्यु हो चुकी थी. अस्पताल में जांच से पता चला कि मैट के मस्तिष्क में कोई गतिविधि नहीं थी. वह ब्रेन डेड हो चुके थे. उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था, जिसे अब हटाया जाता. 

मौत के मुंह से ऐसे निकला शख्स
मैट पोट्रैट्ज की ये कहानी संघर्ष से भरी हुई है. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, मैट ऐसे शख्स हैं, जो पांच घंटे तक बर्फ के अंदर जिंदा दफन रहे. जब उन्होंने बाहर निकाला गया तो उनके परिवार वालों को लगा कि उनकी मृत्यु हो गई है. यह सच भी था, क्योंकि उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. 
 
27 साल की उम्र में हुआ था हादसे का शिकार
मैट ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा कि मैं ब्रेन डेड हूं. मेरे पिता ने दूसरी राय मांगी. उन्होंने कहा कि अगर मैट मेरी जगह होता, तो वे इतनी जल्दी मुझे नहीं छोड़ता.  यह कहानी तक की है, जब मैट 27 साल के थे. अब मैट की उम्र 44 वर्ष हो चुकी है. 

Advertisement

मैट इडाहो में हुए एक हिमस्खलन में दब गए थे. जिसने उन्हें एक पहाड़ से नीचे गिरा दिया और एक पेड़ से टकराकर वह बुरी तरह से घायल हो गए थे. इस झटके से उनका हेलमेट फट गया और उनकी साँस की नली बर्फ से भर गई थी. पांच घंटे तक वह ऐसी हालत में बर्फ के अंदर दबे रहे. 

डॉक्टर करने वाले थे मौत की घोषणा
जब डॉक्टर उनकी मौत की आधिकारिक तौर पर पुष्टि करने की तैयारी कर रहे थे, तब मैट के परिवार और दोस्त उसके बिस्तर के चारों ओर इकट्ठा हो गए. सभी ने मिलकर मैट के शरीर पर हाथ रखा और ईश्वर से रो-रोकर दया की भीख मांगी.

मैट ने बताया कि परिवार वाले लगभग डेढ़ घंटे से वहां जमा थे. अब सभी लोग मेरी  मौत की वास्तविकता को स्वीकार करने ही वाले थे, तभी मेरे एक अच्छे दोस्त ने कहा कि मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि मैट को पता है कि हम यहां हैं. क्यों न हम देखें कि अगर हम उससे प्रतिक्रिया लेने की कोशिश करें तो क्या होता है?

दोस्त ने मैट को चिल्लाकर वापस बुलाया
फिर उनका दोस्त चिल्लाया -मैट, अगर तुम मुझे सुन सकते हो, तो अपनी आंखें खोलो. मैट ने अपनी आंखें नहीं खोलीं, लेकिन उसकी पलकें स्पष्ट रूप से हिल रही थीं. तब उन्होंने डॉक्टर को वापस बुलाया और उन्होंने कहा कि तुम लोगों को लगता है कि उसने प्रतिक्रिया दी है? फिर डॉक्टर ने मुझे उसका हाथ हल्के से दबाने को कहा. मुझे लगता है कि उस समय मेरे साथ कोई चमत्कार हुआ. 

Advertisement

मैट बताते हैं कि उनके साथ हादसा मार्च 2009 में हुआ था. तब वह 27 साल के थे. वह इडाहो के एक पेशेवर स्नोमोबाइल एथलीट थे. उन्होंने तब फिल्मों की शूटिंग के लिए पश्चिमी अमेरिका और कनाडा की यात्रा की थी.

मैट ने बताया कि मैंने उन फ़िल्म कंपनियों के लिए पेशेवर स्तर पर साइकिलिंग की जो चरम ग्रामीण फ़िल्में बनाती हैं. चट्टानों से कूदना, ढलानों पर चढ़ना और भी कई अजीबोगरीब काम किए. उन्हें हिमस्खलन की याद तो नहीं है. उनके साथियों ने बाद में उस गड्ढे को भर दिया, जहां मैट दफन हो गए थे. मैट ने बताया कि मेरे दोस्तों को मेरा सिर्फ चमकीला नारंगी रंग का हेलमेट बर्फ से बाहर निकला हुआ दिखा था.

बर्फ के नीचे दब गए थे मैट 
मैट ने कहा कि जहां मैं बर्फ से दब गया था, उस जगह पर मेरे दोस्त दौड़े-दौड़े आए, चारों ओर की सारी बर्फ खोद डाली और सोचा कि उन्होंने मुझे इतनी जल्दी ढूंढ लिया. फिर उन्हें सिर्फ एक खाली हेलमेट मिली. लेकिन, वह पूरी तरह से सही सलामत सिर्फ ठोड़ी का पट्टा था. अंदर मैं या मेरा हैलमेट नहीं था. 

नाक, मुंह और फेंफड़ों में बर्फ भरा था
ग्रुप ने मैट को ढूंढ़ने के लिए हिमस्खलन लोकेटर बीकन का इस्तेमाल किया. उन्होंने मेरी उंगलियां बर्फ से बाहर निकली हुई पाईं. फिर जब कई फुट बर्फ खोदी गई तो मेरे कान, नाक और मुंह पूरी तरह बर्फ से भरे हुए थे. मेरी सांस की नली बंद थी. उन्होंने मेरी एक उंगली ली और मेरे मुंह से बर्फ निकालकर मेरी श्वासनली खोली.

Advertisement

मैंट ने बताया कि बचाव कार्य में पांच घंटे लगे. खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर उतरना संभव नहीं था, इसलिए ग्राउंड क्रू को उसे स्लेज से ले जाना पड़ा. मेरी गर्दन टूट गई थी, फीमर टूटा हुआ था, तीन पसलियां टूटी थीं, फेफड़ा धंस गया था, चेहरे की हड्डियां टूटी थीं और मस्तिष्क में गंभीर चोट लगी थीं.

88 दिनों तक अस्पताल में रहे मैट
मैट ने 88 दिन अस्पताल में बिताए. इनमें से आधे दिन वे कोमा में रहे. मैट ने बताया कि जब मैं पहली बार कोमा से बाहर आया, तो उन्होंने मुझे एक पेन दिया और मुझसे मेरा नाम लिखने को कहा. मैं नहीं लिख सका. उन्होंने मुझसे वर्णमाला लिखने को कहा. मैं नहीं लिख सका. मैं कोई शब्द नहीं लिख पा रहा था न बोल पा रहा था. मेरी हालत बच्चों जैसी हो गई थी. 

मैट को प्राइमरी स्कूल के फ़्लैशकार्ड और संख्याओं के साथ पढ़ना और बोलना फिर से सीखना पड़ा और फिर से चलना भी सीखना पड़ा. शारीरिक रूप से ठीक होना धीमा था, लेकिन भावनात्मक रूप से ठीक होना ज़्यादा मुश्किल था.

मुझे पता था कि मैं एथलेटिक और मज़बूत था, लेकिन यह जानना कि मेरे दिमाग़ और शरीर में अब मैं वो इंसान नहीं रहा, वाकई बहुत निराशाजनक था. उस पर शारीरिक दर्द भी बहुत ज़्यादा था.

Advertisement

कभी आत्महत्या करने का आया था विचार
एक समय तो दर्द ने उन्हें आत्महत्या के कगार पर ला दिया था. मैट बताते हैं कि एक रात मैं उठा और चिल्लाया, बस, अब मेरा काम खत्म. मैंने अपना स्नोमोबाइल गियर निकाला. मेरी योजना थी कि मैं गियर लगाऊं, सिर से पांव तक सारे राइडिंग गियर पहनूं, पास के पुल तक गाड़ी चलाऊं, हिमस्खलन से बचा हुआ हेलमेट वापस अपने सिर पर रखूं और कूद जाऊं.

लेकिन कपड़े पहनते समय, अपने  बेटे एथन के ख्याल ने उन्हें रोक दिया. फिर वह रोते हुए बिस्तर पर गिर पड़े.  एक साल बाद, शिकागो के सर्जनों ने नसों के दर्द को कम करने के लिए एक ऑपरेशन किया. सोलह साल बाद भी, मैट अपने बाएं हाथ को पूरी तरह से लकवाग्रस्त होने से ठीक नहीं कर पाए हैं. फिर भी हालत पहले से काफी ठीक है.

वर्षों के संघर्ष के बाद ऐसे संवारा जीवन
अब वे 44 साल के हैं और एक मोटिवेशनल वक्ता, लेखक और पॉडकास्ट निर्माता हैं. उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया था कि मैं फिर कभी नहीं चल पाऊंगा, लेकिन मैं चलता हूं. मुझे बताया गया था कि मैं सामान्य रूप से बात नहीं कर पाऊंगा, लेकिन अब मैं जीविका के लिए बोलने का ही काम करता हूं. कहा गया था कि मुझे विचारों को समझने में मुश्किल होगी, पर मैंने बिना किसी सहायता के एक किताब लिख डाली है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement