मुंबई से बेंगलुरु की एक कमर्शियल फ्लाइट में, युवा उद्यमी नरेन कृष्णा तब हैरत में आ गए जब उन्होंने देखा कि इकोनॉमी क्लास में उनके बगल में बैठा व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति हैं. भले ही नारायण मूर्ति का शुमार देश के सबसे सफल और पैसे वाले लोगों में होता हो. मगर ये उनकी सादगी ही है जिसके चलते आज भी वो अपनी यात्रा के लिए सामान्य विकल्पों का चयन करते हैं.
कृष्णा ने मूर्ति के साथ अपनी असाधारण मुलाकात को साझा करने के लिए लिंक्डइन का सहारा लिया. क्योंकि नारायण मूर्ति जिन्हें टेक जायंट कहा जाता है, ने कृष्णा के साथ फ्लाइट में कई मुद्दों पर व्यापक बातचीत की इसलिए वो उनकी विनम्रता के कायल हो गए.
दोनों ही लोगों ने जिन विषयों पर अपने विचार रखे उनमें एआई की क्षमता से लेकर भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका तक तमाम चीजें शामिल थीं. अपने पोस्ट में कृष्णा ने ये भी बताया कि मूर्ति की अंतर्दृष्टि वैराग्य के दर्शन तक फैली हुई है.
ऐसा इसलिए क्योंकि मूर्ति ने उनसे ऐसे समय का जिक्र किया जब, अत्यधिक प्रयास के बावजूद, इंफोसिस के कुछ सौदे सफल नहीं हुए, जबकि अन्य अप्रत्याशित रूप से सफल हुए. इसके बाद दोनों ही लोगों ने लुई पाश्चर के एक कोट पर विचार किया, जिसमें लुई ने अवसरों के लिए तैयार रहने के महत्व पर जोर दिया था.
इस बातचीत में एआई भी एक अहम मुद्दा रहा. जिसपर मूर्ति ने ये तर्क दिया कि इसका सबसे ज्यादा असर हमें स्वायत्त वाहनों और सर्जरी जैसे उद्योगों पर देखने को मिलेगा.
वहीं अपनी पोस्ट में नरेन ने ये भी कहा कि, मूर्ति की जिस बात ने उन्हें प्रभावित किया वह थी उनका यह विश्वास कि एआई विभिन्न क्षेत्रों में मानव उत्पादकता को 10-100 गुना तक तेजी से बढ़ाएगा.
मूर्ति के अनुसार आने वाले वर्षों में इनोवेशन की गति पिछले दशक से आगे निकल जाएगी. इस यादगार बातचीत के बारे में कृष्णा की लिंक्डइन पोस्ट वायरल हो गई, जो कई लोगों को पसंद आई, जिन्होंने जीवन और व्यवसाय के प्रति मूर्ति के जमीनी दृष्टिकोण की प्रशंसा की है.
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