टीम अन्ना ने की प्रधानमंत्री कार्यालय की निंदा

समाजसेवी अन्ना हजारे के सहयोगियों ने प्रधानमंत्री पर कोयला आवंटन में लगे आरोपों को खारिज करने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की आलोचना की और कहा कि कार्यालय ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे कि देश में कहीं भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है.

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किरण बेदी और अन्ना किरण बेदी और अन्ना

आईएएनएस

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2012,
  • अपडेटेड 9:40 PM IST

समाजसेवी अन्ना हजारे के सहयोगियों ने प्रधानमंत्री पर कोयला आवंटन में लगे आरोपों को खारिज करने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की आलोचना की और कहा कि कार्यालय ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे कि देश में कहीं भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है.

अन्ना के वरिष्ठ सहयोगी मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा, 'पत्र की विषय वस्तु यह सिद्ध करने का प्रयास कर रही है कि जैसे देश में भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है और सभी मंत्री और अधिकारी ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं और हम लोग बेवजह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शोर कर रहे हैं.' उन्होंने सरकार की निंदा करते हुए कहा कि एक तरफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कोई अनियमितता नहीं हुई है. मनीष ने कहा, 'इस तरह सरकार को पहले ही मालूम है कि सीबीआई की जांच का क्या परिणाम आएगा.'

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अन्ना की एक अन्य सहयोगी किरण बेदी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, 'अन्नाजी के प्रधानमंत्री एवं 14 मंत्रियों पर लगाए आरोपों को पीएमओ द्वारा खारिज करने का आधार तुच्छ है. कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव ने कैमरे के सामने सीएजी की रिपोर्ट का समर्थन किया है.'

पीएमओ ने अन्ना हजारे व उनके सहयोगियों के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अनियमितता बरतने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा था कि ऐसे 'निराधार' आरोपों को सहन नहीं किया जाएगा.

पीएमओ में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने शुक्रवार को अन्ना को लिखे पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ लगे आरोप भारत के नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की लीक ड्रॉफ्ट रिपोर्ट एवं संचार माध्यमों में आई खबरों पर आधारित हैं. पत्र में कहा गया, 'आपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया और आप स्वयं कह चुके हैं कि आप आरोप नहीं लगा रहे हैं. कोयला ब्लॉकों के आवंटन की नीति एवं प्रक्रिया कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है.' यह पत्र शनिवार को सार्वजनिक किया गया.

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अन्ना के सहयोगियों ने 26 मई को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री एवं उनके मंत्रिमंडल के 14 सहयोगियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त रहने का आरोप लगाया और इसकी स्वतंत्र जांच कराने की मांग की. नारायणसामी ने कहा कि सरकार ने अन्ना के सहयोगियों की मांग पर विचार किया है. उन्होंने कहा, 'आप के द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच एवं कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त कानूनी एवं संवैधानिक प्रावधान हैं. आप की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती.'

नवम्बर 2006 से मई 2009 के मध्य तक कोयला मंत्रालय का प्रभार मनमोहन सिंह के पास था. नारायणसामी ने कहा कि अन्ना के सहयोगियों के पत्र का तरीका एवं 'निराधार' आरोप स्वीकार नहीं किए जाएंगे. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने भी बिना सबूत के आरोप लगाने पर अन्ना के सहयोगियों की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'आप किसी और पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे हैं. आप अपने आरोपों के समर्थन में किसी भी प्रकार का सबूत भी नहीं पेश कर रहे हैं और ऊपर से आशा करते हैं कि आप के सिर्फ आरोपों के कारण प्रक्रिया शुरू हो जाए.'

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