देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं. इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने केवडिया में स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पहुंचकर सरदार पटेल को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. यह पूरा आयोजन देश की एकता और श्रेष्ठता के प्रतीक 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के संकल्प को समर्पित है. आइये जानते हैं कि दुनिया की सबसे ऊंची और अद्भुत 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की खासियतें क्या है?
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यह मूर्ति अपनी ऊंचाई के कारण पूरे विश्व में खास पहचान रखती है. इसकी लंबाई 182 मीटर है, जो इसे दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाती है. यह इतनी विशाल है कि इसे दूर 7 किलोमीटर की दूरी से भी साफ-साफ देखा जा सकता है. यह अमेरिका की प्रसिद्ध 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' (93 मीटर) से ऊंचाई में लगभग दोगुनी है.
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इस प्रतिमा में पर्यटकों के लिए एक विशेष सुविधा भी है. इसमें दो खास लिफ्ट लगाई गई हैं, जिनके माध्यम से दर्शक सरदार पटेल की छाती के स्तर तक पहुंच सकते हैं. वहां से पर्यटक सरदार सरोवर बांध का मनमोहक नजारा और आसपास फैली हुई खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं.
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इंजीनियरों ने इस मूर्ति के कंस्ट्रक्शन को चार मुख्य चरणों में पूरा किया. इसमें पहले 'मॉक-अप' तैयार किया गया, फिर 3डी स्कैनिंग तकनीक और कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक जैसी आधुनिक पद्धतियों का उपयोग किया गया. मूर्ति के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती इसे हर तरह की प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रखना था, जिसे इंजीनियर्स ने बखूबी निभाया.
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इंजीनियरों ने इस मूर्ति के निर्माण में कमाल की इंजीनियरिंग दिखाई है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं में भी स्थिर खड़ी रह सकती है. इतना ही नहीं, यह स्टैच्यू 6.5 तीव्रता तक के भूकंप के झटकों को भी आसानी से सहने की क्षमता रखता है. मूर्ति के निर्माण के दौरान, भारतीय मजदूरों के साथ-साथ, 200 चीनी कर्मचारियों ने भी सितंबर 2017 से अलग-अलग बैचों में दो से तीन महीने तक हाथ बंटाया था.
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31 अक्टूबर 2018 को लोकार्पण होने के बाद से ही 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक बड़ा केंद्र बन गया है. साल-दर-साल यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. साल 2024 तक यहां घूमने आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 2 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है. पिछले साल, 2024 में ही 58.25 लाख से अधिक लोग इस विशाल प्रतिमा को देखने पहुंचे, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है.
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