भारत के कई झरने अपनी ऊंचाई और खूबसूरती से मन मोह लेते हैं. मानसून में इनका नज़ारा और भी शानदार हो जाता है. कुंचिकल से लेकर नोहकलिकाई तक, हर झरने की अपनी एक अलग कहानी है. अगर आप प्रकृति के करीब जाना चाहते हैं, तो इन झरनों को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें.
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कुंचिकल जलप्रपात भारत का सबसे ऊंचा झरना है, जिसकी ऊंचाई 1,493 फीट है. यह कर्नाटक के शिमोगा जिले में वाराही नदी पर स्थित है. बरसात में यहां पानी तेज़ी से गिरता है और दृश्य बहुत सुंदर लगता है. यह झरना एक प्रतिबंधित क्षेत्र में है, इसलिए यहां जाने के लिए खास अनुमति लेनी पड़ती है.
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बरेहीपानी जलप्रपात भारत का दूसरा सबसे ऊंचा और ओडिशा का सबसे ऊंचा झरना है. इसकी ऊंचाई 1,309 फीट है और यह सिमिलिपाल नेशनल पार्क के बीचोंबीच स्थित है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है. इस झरने को देखने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक माना जाता है.
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नोहकलिकाई जलप्रपात भारत का तीसरा सबसे ऊंचा और सबसे ऊंचा डुबकी वाला झरना है, जो 1,115 फीट की ऊंचाई से सीधा फ़िरोज़ा रंग के कुंड में गिरता है. यह मेघालय के चेरापूंजी के पास पूर्वी खासी पहाड़ियों में स्थित है. मानसून के दौरान जब चारों ओर हरियाली और तेज़ प्रवाह होता है, तब यह झरना अपने पूरे वैभव में दिखता है.
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इस झरने को देखने का सही समय जून से सितंबर का मानसून और अक्टूबर से मार्च का सुहावना मौसम है, जब यहां का नज़ारा बेहद मनमोहक होता है. नोहकलिकाई का नाम खासी जनजाति की एक दुखद कथा से जुड़ा है, जिसमें लिकाई नाम की महिला की कहानी है. यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमय आकर्षण से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है.
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4. नोह्सिंगिथियांग जलप्रपात, मेघालय
नोह्सिंगिथियांग झरना, जिसे सेवन सिस्टर्स फॉल्स भी कहते हैं, 1,033 फीट ऊंचाई से गिरता है और भारत का चौथा सबसे ऊंचा जलप्रपात है. मेघालय के चेरापूंजी के पास स्थित यह झरना सात अलग-अलग धाराओं में चूना पत्थर की चट्टानों से गिरता है. बारिश के मौसम में जब ये सभी धाराएं एक साथ बहती हैं, तो नज़ारा बेहद मनमोहक लगता है.
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इस झरने को देखने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर का मानसून होता है, जब वर्षा से इसका प्रवाह और भी शानदार हो जाता है. कहा जाता है कि इसका नाम एक लोककथा से जुड़ा है, जिसमें सात आकाश बहनें धरती पर स्नान करने उतरी थीं और यहां की सुंदरता से इतनी प्रभावित हुईं कि हमेशा के लिए यहीं बस गईं.
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