Dark web... इंटरनेट की काली दुनिया, जहां लगती है आपके डेटा की बोली, फिर शुरू होता है लूट का खेल

Dark Web: हैकर, डेटा और डार्क वेब... इन तीनों का नाम आपके कई बार सुना होगा. जब भी कोई प्लेटफॉर्म हैकिंग का शिकार होता है, उसके यूजर्स का पर्सनल डेटा डार्क वेब पर बेचा जाता है. डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वह हिस्सा है, जहां तक हर कोई नहीं पहुंचता. आइए जानते हैं डार्क वेब पर आपका डेटा कैसे बेचा जाता है.

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Dark web में कैसे बिकता है आपका डेटा और फिर शुरू होता है लूट का खेल Dark web में कैसे बिकता है आपका डेटा और फिर शुरू होता है लूट का खेल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

Dark Web, डेटा और हैकर्स फोरम का नाम आपने कई बार सुना होगा. खासकर डेटा लीक और उसकी खरीद फरोख्त की चर्चाओं में Dark Web के साथ इन दोनों शब्दों का जिक्र मिलता है. डार्क वेब इंटरनेट की वो दुनिया है, जहां तक हर कोई नहीं पहुंच सकता. इसके लिए एक खास ब्राउजर की जरूरत होती है.

अगर आप डार्क वेब में पहुंच भी जाएं, तो डेटा खरीद फरोख्त तक पहुंचना मुश्किल होता है. डार्क वेब को आप इंटरनेट की काली दुनिया समझ सकते हैं, जहां बहुत से अवैध काम होते हैं. एक आम शख्स के लिए जितना मुश्किल यहां पहुंचना है.

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उतना ही मुश्किल यहां हैकर्स से बचना भी है. आप कभी ठगी और हैकिंग का शिकार हो सकते हैं. खैर ये सब अलग चर्चा का विषय है. आपने कई बार सुना होगा कि डार्क वेब में हैकर्स फोरम पर फला डेटा इतने रुपये या डॉलर में बिक रहा है.

बहुत से लोगों के मन में सवाल आता है कि किसी भी डेटा की वैल्यू या कीमत इस मार्केट में तय कैसे होती है. Privacy Affairs ने इस बारे में जानकारी साझा की है. इससे पहले हमें डार्क वेब को समझना होगा.

क्या है डार्क वेब?

हम जिस इंटरनेट और वेब को रोज एक्सेस कर रहे होते हैं, ये इंटरनेट की दुनिया का छोटा सा हिस्सा है. इसे ओपन वेब या फिर सरफेस वेब भी कहते हैं. वहीं डार्क वेब वह हिस्सा है, जहां आप अपने सामान्य ब्राउचर से नहीं पहुंच सकते हैं. इसके लिए आपको स्पेशल ब्राउजर की जरूरत होती है, जिसे TOR कहते हैं.

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डार्क वेब में आपको वो सब मिलता है, जो सामान्य सर्च इंचन पर इंडेक्स तक नहीं होता है. Dark Web में आपके पर्सनल डेटा से लेकर किसी वेबसाइट की वल्नेरेबिलिटी तक की डिटेल्स बेची जाती हैं.

हैकर्स किसी भी वेबसाइट या प्लेटफॉर्म की वल्नेरेबिलिटी का फायदा उठाकर यूजर्स का डेटा चोरी करते हैं और फिर उसे डार्क वेब पर बेचते हैं. यहां पर क्रेडिट कार्ड डेटा, डॉक्यूमेंट्स और हैकिंग की डिटेल्स बेची जाती है. यहां तक कि इस प्लेटफॉर्म पर उस वल्नेरेबिलिटी को भी बेचा जाता है, जहां से हैकर्स के हाथ आम यूजर्स का डेटा लगता है. 

किस डेटा की कितनी होती है कीमत

प्राइवेसी अफेयर ने अपनी रिपोर्ट में डार्क वेब पर बिकने वाले डेटा की कीमतों के बारे में जानकारी दी है. इस प्लेटफॉर्म पर 5000 या इससे ज्यादा के अकाउंट बैलेंस वाले क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स का एवरेज प्राइस 120 डॉलर तक होता है. वहीं 1000 अकाउंट बैलेंस वाले क्रेडिट कार्ड्स का एवरेज प्राइस 80 डॉलर होता है. 

2000 अकाउंट्स के बैंक लॉगइन के डेटा की एवरेज कीमत 65 डॉलर होती है. वहीं क्लोन्ड अमेरिकन एक्सप्रेस के PIN डेटा का एवरेज प्राइस 25 डॉलर है. क्लोन्ड मास्टरकार्ड के पिन का औसत भाव 20 डॉलर होता है.

Visa कार्ड के पिन की कीमत 20 डॉलर, 100 अकाउंट्स के बैंकिंग लॉगइन की कीमत 35 डॉलर, Cashapp के वेरिफाइड अकाउंट्स की डिटेल्स 800 डॉलर तक में बिकती है. 

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ब्लॉकचेन के वेरिफाइड अकाउंट्स की औसत कीमत 90 डॉलर, Crypto.com के वेरिफाइड अकाउंट्स की डिटेल्स 250 डॉलर तक होती है. एक साल के सब्सक्रिप्शन वाले नेटफ्लिक्स अकाउंट की डिटेल 25 डॉलर, पासपोर्ट की डिटेल्स 3800 डॉलर तक की औसत कीमत पर बिकते हैं.

डेटा खरीदने के बाद शुरू होता है 'लूट' का खेल

ऐसे ही दूसरी डिटेल्स का भी प्राइस लगता है. हैकर्स डेटा की वैल्यू के हिसाब से उसकी कीमत लगाते हैं. डेटा सही है या इसके लिए हैकर्स कई बारे सैंपल भी ऑफर करते हैं. इससे डेटा खरीदने वाला चेक कर सकता है कि हैकर के पास मौजूद डेटा ऑथेंटिक है 

यहां से डेटा खरीदने के बाद हैकर्स आम लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. आपके कई ऐसे फ्रॉड्स के बारे में सुना होगा, जिसमें ठगों के पास आपका नाम, बैंक डिटेल्स, कार्ड और दूसरी जानकारियां होती हैं. हैकर्स फोरम से डेटा खरीदने के बाद ही फ्रॉडस्टर्स लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं.

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