Grok AI ने बीते दिनों कुछ ऐसी टिप्पणियां की थी, जिसे लेकर सवाल उठ रहे थे. अब xAI ने इस पूरे मामले को साफ किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए xAI ने बताया कि एक अनाधिकृत मॉडिफिकेशन की वजह से ग्रोक इस तरह के जवाब दे रहा था. ये मॉडिफिकेशन इंटरनल प्रॉम्प्ट में किया गया था.
ये ग्लिच 14 मई को सामने आया, जब कुछ यूजर्स ने नोटिस किया कि ग्रोक अपने जवाब में 'White Genocide' और 'Kill the Boer' जैसे फ्रेज का इस्तेमाल कर रहा था. चैटबॉट ने ये रिस्पॉन्स साउथ अफ्रीका के संदर्भ में पूछे गए सवालों पर दिया था. जब तक ये समस्या दूर नहीं कर ली गई, तब तक चैटबॉट इस तरह के फ्रेज का इस्तेमाल करता रहा.
अब xAI ने समस्या को ट्रैक कर लिया है और प्रॉम्प्ट में जरूरी बदलाव कर दिए हैं. अपने बयान में कंपनी ने कहा है कि X पर ग्रोक रिस्पॉन्स बॉट प्रॉम्प्ट में एक अनाधिकारिक मॉडिफिकेशन किया गया था. इस बदलाव की वजह से ग्रोक पॉलिटिकल टॉपिक्स पर ऐसी प्रतिक्रिया दे रहा था, जो कंपनी की इंटरनल पॉलिसी और कोर वैल्यू का उल्लंघन करती है.
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अपने कुछ जवाबों में ग्रोक ने दावा किया कि 'xAI में उसके क्रिएटर्स' ने ऐसे रिस्पॉन्स देने के लिए उससे कहा है. इस मामले में xAI का कहना है कि वो भविष्य में ऐसा ना हो इसके लिए कुछ कदम उठा रहे हैं. पहला स्टेप ग्रोक के सिस्टम प्रॉम्प्ट को GitHub पर पब्लिक करना होगा. ये प्रॉम्प्ट सभी के लिए उपलब्ध होगा और भविष्य में किसी भी बदलाव को लेकर लोग अपनी राय दे पाएंगे.
कंपनी ने ये भी माना है कि उनकी मौजूदा रिव्यू पॉलिसी बायपास हुई थी. इसे फिक्स करने के लिए कंपनी ने अप्रूवल और चेक की एक नई लेयर जोड़ी है. इसके अलावा xAI ने कहा है कि वो एक 24x7 मॉनिटरिंग टीम बना रहे हैं, जो इस तरह की किसी भी समस्या को रियल टाइम में कैच कर पाएगी, जब ऑटोमेटेड सिस्टम फेल होगा.
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भले ही xAI ने इस पूरे मामले पर जानकारी दी है, लेकिन X की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. बुधवार को कई यूजर्स ने Grok के विवादित जवाबों के स्क्रीनशॉट लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट करना शुरू किया. दरअसल, White Genocide और Kill the Boer जैसे टर्म्स ना सिर्फ भड़काऊ हैं बल्कि ये राजनीति से भी जुड़े हुए हैं. इनका इस्तेमाल साउथ अफ्रीका से जुड़े मामलों में किया गया है.
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