सरकार की बड़ी तैयारी, साइबर फ्रॉड रोकेगा FRI सिस्टम! इन नंबर्स पर नहीं होगी पेमेंट

साइबर फ्रॉड्स और ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने एक बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए DoT ने फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर टूल पेश किया है. ये टूल आपको किसी भी साइबर फ्रॉड की संभावना को लेकर अलर्ट करेगा. ये सिस्टम पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स अपने प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेड करेंगे, जो किसी संभावित फाइनेंशियल फ्रॉड को रोकने में मदद करेगा.

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Cyber Fraud (AI Generated Photo) Cyber Fraud (AI Generated Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए दूरसंचार विभाग यानी डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने एक नया टूल इंट्रोड्यूस किया है. ये टूल साइबर फ्रॉड और वित्तीय अपराधों से लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा. इस टूल का नाम Financial Fraud Risk Indicator (FRI) है. 

ये टूल डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) का हिस्सा है. FRI को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये किसी मोबाइल नंबर के फ्रॉड से जुड़े होने की आपको वॉर्निंग देता है. DoT अब FRI अलर्ट्स को वित्तीय संस्थाओं और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स से शेयर करेगा. 

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ये वॉर्निंग अलर्ट्स विभिन्न डेटा के मल्टी-लेयर एनालिसिस पर बेस्ड होंगे और स्टेकहोल्डर्स को फ्रॉड से बचाने का काम करेंगे. ये अलर्ट्स आपको किसी ट्रांजेक्शन प्रॉसेसिंग से पहले मिलेंगे. आसान भाषा में कहें, तो ये ये सिस्टम आपके डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म में जोड़ा जाएगा, जो भविष्य में किसी भी संभावित फ्रॉड ट्रांजेक्शन से पहले आपको अलर्ट करेगा. 

कैसे काम करेगा ये टूल? 

FRI ने मोबाइल नंबर्स को तीन रिस्क कैटेगरी- मीडियम, हाई और वेरी हाई में बांट रखा है. ये क्लासिफिकेशन नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर रजिस्टर्ड केस के आधार पर किया गया है. इसके अलावा DoT के चक्षु पोर्टल के साथ बैंक और वित्तीय संस्थाओं के इंटेलिजेंस के आधार पर इन फोन नंबर्स को रिस्क कैटेगरी में डाला जाएगा. 

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दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट मोबाइल नंबर्स की लिस्ट जारी करती रहेगी. इस लिस्ट में ऐसे फोन नंबर्स की जानकारी होगी, जिन्हें साइबर क्राइम, रि-वेरिफिकेशन फेलियर और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल की वजह से डिस्कनेक्ट किया गया है. 

नहीं होगी हाई-रिस्क वाली पेमेंट

PhonePe पहला प्लेटफॉर्म है, जो FRI सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है. डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म का कहना है कि वो 'Very High' रिस्क वाले नंबर्स के ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कर देगा. इसके अलावा PhonePe Protect फीचर के जरिए यूजर्स को अलर्ट भी दिखाएगा. वहीं मीडियम रिस्क वाले नंबर्स के लिए कंपनी ट्रांजेक्शन से पहले वॉर्निंग डेवलप कर रही है.

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दूसरे UPI प्लेटफॉर्म्स ने Paytm और Google Pay ने भी FRI (Fraud Risk Indicator) टूल का इंटीग्रेशन शुरू कर दिया है. इस इंटीग्रेशन के तहत प्लेटफॉर्म्स रिस्क वाले ट्रांजेक्शन की प्रॉसेसिंग स्लो करेंगे और अलर्ट्स भेजेंगे. यूजर्स के कन्फर्मेशन के बाद ही इन ट्रांजेक्शन को पूरा किया जाएगा.

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