फोन ऑफ होने के बाद भी हो सकती है जासूसी? द फैमिली मैन के प्लॉट की हकीकत जानें

स्मार्टफोन बंद है लेकिन फिर भी आपके पास से सिग्नल जासूसों को जा सकता है. लेकिन कैसे? द फैमिली मैन के नए सीजन का प्लॉट में कुछ ऐसा ही दिखाया गया है. आइए जानते हैं फोन ऑफ होता भी या भी या नहीं?

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द फैमिली मैन का प्लॉट कितना असल? द फैमिली मैन का प्लॉट कितना असल?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

द फैमिली मैन के नए सीज़न में एक सीन ने सबको हैरान कर दिया. सीरीज के लीड श्रीकांत तिवारी (मनोज बाजपेयी) का फ़ोन ऑफ होने के बाद भी दुश्मनों को सिग्नल भेज रहा ता. शो में दिखाया गया कि फ़ोन भले ही 'ऑफ' लगे, लेकिन उसकी वजह से जानलेवा ग़लतफ़हमियां और गलत सिग्नल सेंड होते हैं. कहानी तो काल्पनिक है, लेकिन इसका टेक्नोलॉजी वाला हिस्सा असल ज़िंदगी में भी डर पैदा करने वाला है.

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आज की दुनिया में हमारा स्मार्टफ़ोन सिर्फ़ एक डिवाइस नहीं, पूरा डेटा बैंक है. लोकेशन, कॉल लॉग्स, ऐप हिस्ट्री, मेटाडेटा… सब कुछ इसमें सेव रहता है. ऐसे में अगर कोई फ़ोन को इस तरह इंफेक्ट कर दे कि वो बंद दिखे लेकिन पूरी तरह बंद न हो, तो खतरनाक नतीजे सामने आ सकते हैं.

फोन 'Off' और 'Actually Off' में ज़मीन-आसमान का फ़र्क?

ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि फ़ोन पावर बटन से बंद करने का मतलब है कि वो पूरी तरह डेड हो गया. लेकिन मॉडर्न स्मार्टफ़ोन 'सॉफ्ट ऑफ़' होते हैं. यानी स्क्रीन बंद हो जाती है, पर अंदर कुछ चिप्स बेहद कम पावर पर चलते रहते हैं. जैसे Find-My-Device, Wake Signal और System Logs. इसी वजह से iPhone स्विच होने के बावजूद Find my से सर्च किया जा सकता है. 

इसका मतलब ये है कि अगर फ़ोन पहले से इन्फेक्टेड है, तो कुछ डेटा रिकॉर्ड हो सकता है और नेटवर्क वापस आते ही भेज भी सकता है.

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स्पाईवेयर और फेक फोन शटडाउन

कई रिसर्च में ऐसे मैलवेयर मिले हैं जो फ़ोन के शटडाउन प्रोसेस को ही हाईजैक कर लेते हैं. स्क्रीन पर पावर-ऑफ ऐनिमेशन दिखेगा, वाइब्रेशन भी आएगी, लेकिन फ़ोन अंदर से पूरी तरह चालू रहेगा. आपको लगेगा कि फोन ऑफ हो गया. 

ऐसे मामलों में ये हो सकता है:

  • माइक्रोफ़ोन बैकग्राउंड में एक्टिव रहे.

  • लो-पावर मोड में लोकेशन या नज़दीकी डिवाइस का डेटा और लॉग बनता रहे. 

  • मोबाइल नेटवर्क आने पर चोरी हुआ डेटा दोबारा भेज दिया जाए.

हालांकि ये तकनीक आसान नहीं है, आम आदमी के फ़ोन पर ये नहीं होगा, लेकिन टार्गेटेड हाई-वैल्यू ऑपरेशंस, जैसे एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट, इन्वेस्टिगेटर, या सरकारी अधिकारियों के मामले में ये वेल डॉक्यूमेंटेड है. कई बार ऐसे मामले आए भी हैं. 

क्या फोन के अंदर से बैटरी निकालना ही सॉल्यूशन है?

जो डिवाइस बैटरी-रिमूवेबल होते थे, उन्हें निकालते ही पूरा डिवाइस बिना पावर के हो जाता था. आज की सील्ड-बैटरी वाली दुनिया में यह विकल्प लगभग खत्म हो चुका है. यानी फ़ोन का सही मायने में पूरी तरह से शटडाउन होना मुश्किल है. 

इसीलिए कई साइबर एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि संवेदनशील मीटिंग्स या यात्रा के समय अलग से एक एयर-गैप्ड यानी जिसमें कोई नेटवर्क न हो वैसा बेसिक फ़ोन रखना सुरक्षित रहता है.

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क्या शो में दिखाया गया प्लॉट सच हो सकता है?

फिक्शन में चीजों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है. लेकिन बेसिक बात करें तो फोन ऑफ होने के बावजूद सिग्नल भेज सकता है और आपको इसके जरिए ट्रैक भी किया जा सकता है. 

अगर किसी डिवाइस में पहले से फ़र्मवेयर लेवल का मालवेयर किसी ने डाला हो, तो वो पावर ऑफ जैसे प्रोसेस को भी मैनिपुलेट कर सकता है. ऐसे में फ़ोन के लॉग्स, मूवमेंट पैटर्न्स और स्टोर्ड डेटा का गलत इस्तेमाल हो सकता है. 

आम यूज़र क्या करें?

  • फ़ोन का OS और सिक्योरिटी पैच अपडेट रखें.

  • अनजान लिंक, ऐप्स, फ़ॉरवर्डेड APK से बचें.

  • सेंसिटिव मोमेंट्स के दौरान फोन को एयरप्लेन मोड पर रखें या ऑफर कर दें, लेकिन याद रहे, ये कंपलीट प्रोटेक्शन नहीं है.

  • अगर आपको लगता है कि आप हाई-रिस्क यूज़र हैं, तो प्राइमरी और सेकंडरी फोन अलग रखें. 

  • Public WiFi और कहीं भी फोन को चार्ज पर लगाने से बचें, खास तौर पर पब्लिक चार्जिंग स्पेस.

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