Mark Zuckerberg ने की Apple की बुराई, कहा ये नहीं है ज्यादा सिक्योर

Mark Zuckerberg ने Apple पर iMessage को लेकर निशाना साधा है. उन्होंने WhatsApp से इसकी तुलना करते हुए Apple के iMessage को कम सिक्योर बताया है. इसके अलावा भी वॉट्सऐप के कई फीचर्स इसमें मौजूद नहीं हैं. इसको लेकर फेसबुक की पैरेंट कंपनी Meta ने एक पोस्टर भी शेयर किया है.

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मार्क जकरबर्ग ने ऐपल पर निशाना साधा है मार्क जकरबर्ग ने ऐपल पर निशाना साधा है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

Mark Zuckerberg ने Apple पर निशाना साधा है. उन्होंने Apple की मैसेजिंग सर्विस iMessage को लेकर सवाल उठाए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, Mark Zuckerberg ने कहा है कि Apple का iMessage ज्यादा सिक्योर नहीं है. 

दरअसल वो Apple के iMessage की तुलना WhatsApp से कर रहे थे. उन्होंने ऐपल पर निशाना साधते हुए कहा कि iMessage में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन भी नहीं दिया गया है. इससे कोई थर्ड पार्टी ऐप यूजर के पर्सनल डेटा को एक्सेस कर सकता है. 

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ग्रीन बबल और ब्लू बबल ऐपल के iMessege में देखने को मिलता है. iPhone से iPhone में किए गए मैसेज में ग्रीन बबल दिखता है, जबकि Android से iPhone में भेजे गए टेक्स्ट मैसेज ब्लू बबल में दिखते हैं. इसी को दर्शाते हुए फेसबुक की तरफ से कहा गया है कि ब्लू और ग्रीन बबल से बेहतर प्राइवेट बबल है जो WhatsApp में मिलता है. क्योंकि WhatsApp के चैट्स एंड टु एंड एन्क्रिप्टेड है. 

फोटो भी किया शेयर

Mark Zuckerberg ने तीन बबल्स के फोटो को शेयर किया है. उन्होंने कहा है कि iMessage में डिसअपीयरिंग चैट्स, एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन जैसे फीचर्स नहीं दिए गए हैं. जकरबर्ग के अनुसार, WhatsApp  iMessage से ज्यादा प्राइवेट और सिक्योर है. 

उन्होंने कहा कि ये आईफोन और एंड्रॉयड दोनों ही प्लेटफॉर्म पर काम करता है. वॉट्सऐप पर एक टैप से सभी चैट्स को डिसअपीयर किया जा सकता है. पिछले साल कंपनी ने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड बैकअप को भी पेश किया था. जबकि iMessage में ये फीचर्स नहीं दिए गए हैं. 

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Meta ने ऐपल के iMessage का मजार उड़ाने के लिए ग्रीन और ब्लू बबल को दिखाया है. पोस्टर में यूजर्स से ज्यादा सिक्योर मैसेजिंग एक्सपीरिएंस के लिए WhatsApp का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. हाल ही में iMessage में कोई बड़ा अपडेट नहीं आया है जबकि वॉट्सऐप लगातार नए फीचर्स को टेस्ट करके जारी कर रहा है. 

इससे पहले गूगल ने भी ऐपल का मजाक बनाया था. ये मजाक SMS के अगले वर्जन RCS के ना होने पर उड़ाया गया था. गूगल ने इसके लिए पब्लिक कैंपेन लॉन्च करके ऐपल पर RCS एडॉप्ट करने का दवाब बनाया था. ताकि एंड्रॉयड और आईओएस के बीच टैक्सटिंग सिंपल हो सके.

 

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