कोरोना इफेक्ट: भारत में 66% लोगों को लगी हर समय ऑनलाइन रहने की आदत

66 फीसदी लोग महामारी की वजह से ऑनलाइन रहने की आदत का शिकार बन गए. काम के अलावा भी भारतीय रोजाना औसतन 4.4 घंटे डिजिटल स्क्रीन पर गुजारते हैं.

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आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST
  • काम के बाद डिजिटल स्क्रीन के कुल वक्त में से 84% समय मोबाइल पर गुजरता है
  • हर वक्त ऑनलाइन रहने से सेहत पर पड़ रहा है असर

डिजिटल दुनिया ने कोरोना में कामकाज को भी मुमकिन बनाया और इसकी आदत पड़ने के बाद अब कामकाज आसान भी हो गया है.

लेकिन इस नए अंदाज ने लोगों को हर वक्त ऑनलाइन रहने की आदत डाल दी है. हालात ये है कि ऑनलाइन काम करने के बाद भी डिजिटल स्क्रीन के मोह को नहीं छोड़ पा रहे हैं. 

82% लोगों का डिजिटल स्क्रीन पर बिताने वाला वक्त बढ़ा

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साइबर सिक्योरिटी कंपनी के एक सर्वे में दावा किया गया है - 

-हर 3 में से 2 भारतीय यानी 66 फीसदी लोग  महामारी की वजह से ऑनलाइन रहने की आदत का शिकार बन गए हैं

- सर्वे में शामिल 1,000 लोगों में से 82 फीसदी ने कहा है कि कोरोना में डिजिटल स्क्रीन के सामने बीतने वाला उनका समय काफी ज्यादा बढ़ गया है 

-ये बढ़ोतरी एजुकेशन और प्रोफेशनल काम के अलावा है और इनके अलावा भारतीय रोजाना औसतन 4.4 घंटे गुजारते हैं


-डिजिटिल स्क्रीन के सामने वक्त बिताने के मामले में मोबाइल सबसे आगे है जहां लोग अपने एक्स्ट्रा टाइम का कुल 84 परसेंट समय गुजारते हैं 

हर वक्त ऑनलाइन रहने से सेहत पर पड़ रहा है असर

एक्सपर्ट के मुताबिक महामारी ने उन गतिविधियों के लिए स्क्रीन पर लोगों की निर्भरता बढ़ा दी है जो ऑफलाइन भी किए जा सकते हैं.

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ऐसे में ज़रुरी है कि हर व्यक्ति अपने ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन समय के बीच संतुलन बनाए जिससे उनके स्वास्थ्य और उनके घर परिवार पर असर ना पड़े. हेल्थ पर ऑनलाइन दुनिया के असर से लोग भी अच्छी तरह वाकिफ हैं. सर्वे में शामिल 
-74 फीसदी लोग खुद मानते हैं कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है 

-55 परसेंट लोगों का कहना है कि इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है 

-76 फीसदी लोगों ने कहा कि वो अब स्क्रीन की जगह दोस्तों के साथ समय बिताने की कोशिश कर रहे हैं


ऑनलाइन दुनिया ने बढ़ाई साइबर ठगी की आशंका

ऑनलाइन वक्त बिताने में सेहत से जुड़े खतरों के साथ ही साइबर के खतरों की आशंका भी बढ़ जाती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि साइबर खतरों से लोगों को खुद आगाह होने के साथ ही बच्चों को भी समझाने की ज़रुरत है क्योंकि फ्रॉड के मामले बच्चों के हाथ में मोबाइल थमाने से भी हो रहे हैं.

 

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