AC, रेफ्रिजरेटर और TV जल्द हो सकते हैं 10 परसेंट तक महंगे, जानें क्या है वजह

AC, रेफ्रिजरेटर या TV खरीदने की सोच रहे हैं तो जल्दी इसे खरीद लें. इस गर्मी सीजन इन एप्लायंसेज की कीमत 10 परसेंट तक बढ़ने वाली है. इसकी कई वजहें हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:40 AM IST
  • कंपोनेंट्स की कमी भी है दाम बढ़ने की एक वजह
  • पड़ोसी देशों में लगे लॉकडाउन से भी इंडस्ट्री प्रभावित

एक बार फिर से लोगों को महंगाई का झटका लगने वाला है. AC, रेफ्रिजरेटर और TV इस गर्मी 10 परसेंट तक महंगे हो सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह कंपोनेंट सप्लाई की कमी होना है. इसके अलावा फ्रेट कंटेनर के जरूरी पोर्ट पर फंसने की वजह से भी मैन्युफैक्चरर को कंपोनेंट की कमी हो रही है. 

Kodak, Thomson और Blaupunkt के स्मार्ट टीवी को मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी Superplastronics के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर Avneet Singh Marwah ने बताया कि ज्यादा डिमांड और सप्लाई की कमी वजह से बड़े TV सेट्स की कमी अभी से हो गई है. 

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उन्होंने Business Today को बताया कि 65-इंच मॉडल अभी से खत्म हो गए हैं. Godrej Appliances के बिजनेस हेड और एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट Kamal Nandi ने बताया कि रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर मार्केट कंपोनेंट शॉर्ट सप्लाई से इसलिए भी प्रभावित हो रहा है क्योंकि शिपमेंट कंटेनर्स चीन के कई पोर्ट्स पर फंसे हुए हैं. 

लॉकडाउन से भी पड़ा है प्रभाव

Kamal Nandi ने ये भी बताया कि पड़ोसी देशों में लगे लॉकडाउन की वजह से भी सप्लाई प्रभावित हो रहा है. AC और रेफ्रिजरेटर जैसे कूलिंग प्रोडक्ट्स में यूज होने वाले कंप्रेसर की सप्लाई भी भारत में प्रभावित हो रही है. 

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस साल गर्मी बढ़ने से कूलिंग प्रोडक्ट्स की डिमांड 10 से 30 परसेंट तक बढ़ी है. कंप्रेसर और चिपसेट्स जैसे कंपोनेंट्स की कमी की वजह से एक बार फिर से 5 से 10 परसेंट तक प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ सकते हैं. मैटेरियल की कीमत बढ़ने से इस इंडस्ट्री में 7 से 10 परसेंट तक हाइक देखा जा चुका है. 

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Videotronics के CEO Arjun Bajaj ने बताया कि कॉपर और एल्यूमीनियम जैसे मेटल्स की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. इसके अलावा प्लास्टिक भी महंगे हुए हैं. करेंसी एक्सचेंज रेट्स बढ़ने से भी कीमतें बढ़ी हैं. अभी भी भारत चीन के बने कंपोनेंट पर काफी ज्यादा डिपेंड है. मेक इन इंडिया, फैज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और M-SIPS के बाद भी जरूरी कंपोनेंट्स जैसे कंप्रेसर में लोकल मैन्युफैक्चर के शेयर लोकल डिमांड के 15 परसेंट से भी कम है. 

 

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