पाकिस्तान में इन दिनों छह साल की बच्ची जैनब के रेप और मर्डर के बाद उबाल आया हुआ है. यह उबाल भारत में दिसंबर 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद आए उबाल जैसा है. भारत ने इस जघन्य अपराध के बाद जेएस वर्मा कमेटी बनाकर कानूनों में कई बदलाव किए थे तो पाकिस्तान में ऐसे अपराधों के लिए तालिबानी सजा की वकालत की जा रही है.
यह वकालत कोई और नहीं आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी सीनेट (उच्च सदन) की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन रहमान मलिक ने की है. वह पूर्व में देश के गृह मंत्री भी रह चुके हैं.
मलिक ने बुधवार को सीनेट से एक खास बिल लाने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस बिल में 14 साल के कम उम्र के बच्चों को किडनैप या रेप करने वालों को सरेआम फांसी देने का प्रावधान होगा. सरेआम फांसी देना या दूसरे तरीकों से हत्या करना तालिबान का तरीका रहा है.
पकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पीपीपी (पाकिस्तान पीनल कोड) और सीआरपीसी की मौजूदा धाराओं में बदलावों की मांग की जा रही है. मलिक ने सीनेट सचिवालय को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि इन बदलावों के लिए सीनेट की कमेटी से भी मंजूरी ले ली गई है. रहमान मलिक ने अपील की है कि यह बदलाव सीनेट के इसी सत्र में कर लिया जाए.
यह बदलाव पाकिस्तान के पीपीपी एक्ट 1860 की धारा 364-ए में होगा. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई 14 साल तक की उम्र के बच्चे/बच्ची की हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए उसे किडनैप करता/करती है तो उसे मौत की सजा दी जाएगी.
कानून में 'मौत की सजा' की जगह 'सरेआम फांसी दी जाएगी' को जोड़ने की मांग की जा रही है. यानी इस मामले में पकड़े गए आरोपी इमरान अली के दोषी साबित होने पर पहले से ही मौत की सजा का प्रावधान था.
मलिक ने कहा है कि जैनब के हत्यारे की सजा देश में एक उदाहरण बननी चाहिए. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार के मुताबिक इस मामले में पकड़ा गया आरोपी सीरियल रेपिस्ट और मर्डरर है. इसे दो हफ्तों की छानबीन के बाद पकड़ा जा सका है.
पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने मंगलवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोपी को सरेआम फांसी देने की मांग की थी. शरीफ ने दावा किया था कि जैनब के परिजन, वह खुद और पूरा देश भी आरोपी के लिए इसी किस्म की सजा चाहता है.
भारत सिंह