आईटी कंपनी विप्रो ने अपने कर्मचारियों को रोके रखने के लिए अपना सबसे बड़ा कार्यक्रम लागू किया है. तजुर्बेकार कर्मचारियों के कंपनी से जाने को रोकने के लिए उन्हें देश के नामचीन इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट कॉलेजों में पढ़ने का मौका दिया जा रहा है.
'नॉच अप' नाम का यह कार्यक्रम इस साल पांच साल से ज्यादा अनुभव वाले कर्मचारियों को अपने साथ बनाए रखने के लिए यह देश के दूसरे सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर की दूसरी बड़ी पहल है. एक वरिष्ठ अधिकार ने बताया कि कंपनी से नौकरी छोड़ने वालों की दर औसत से कहीं ज्यादा है.
विप्रो एक अधिकारी के अनुसार, 'हमारे सामने बड़ा सवाल था कि 5-6 साल के तजुर्बे वाले एम्पलॉइज, जो आईटी या एमबीए में मास्टर डिग्री रखते हैं, उन्हें कैसे रोका जाए? हम उन्हें आगे की पढ़ाई का यह मौका देते हैं और यह उनके साथ-साथ हमारे लिए भी अच्छा रहता है.'
इस साल जुलाई में जारी किए गए इस नए कार्यक्रम के अंतर्गत, जो कर्मचारी विप्रो में दो साल से ज्यादा काम कर चुके हैं; उन्हें पुणे के सिम्बॉयोसिस, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस या वेल्लोर की वीआईटी यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल करने का मौका दिया जाता है.
कंपनी ने प्रोफेशन एकाउंटिंग में दो साल के रेग्युलर प्रोग्राम के लिए आईसीएफए से भी हाथ मिलाया है. विप्रो के अनुसार 500 से ज्यादा कर्मचारी इस कार्यक्रम के तहत अपना नाम दर्ज करा चुके हैं और कार्यक्रम का लक्ष्य इसी साल इस संख्या को दस गुना तक बढ़ा कर 5,000 तक करने का है.
कंपनी ने इन संस्थानों के साथ फीस पर भी एक तालमेल बिठाया है, स्टाफ को यह फीस उनके स्कोर के हिसाब से वापिस की जाएगी.
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