नहीं, मुगलकाल के मशहूर शायर मिर्जा गालिब से सूचना-प्रौद्योगिकी का दूर का भी रिश्ता नहीं है, न ही माइक्रोसॉफ्ट के कर्मचारियों को अपने नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) से इस बारे में कुछ सुनने को मिला है. लेकिन हैदराबाद में जन्मे 46 वर्षीय सत्य नडेला गजलों के दीवाने हैं और गालिब तो जैसे उनकी जबान पर बसते हैं. नडेला 77 अरब डॉलर कारोबार वाली, टेक्नोलॉजी की बहुराष्ट्रीय कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स और स्टीव बामर के बाद तीसरे सीईओ बनाए गए हैं. वे नियुक्ति के बाद कंपनी के कर्मचारियों से मुखातिब हुए तो कोड को शायरी से जोड़ाः ‘‘आप जो ग्रहण करने की कोशिश कर रहे हैं उसका वर्णन गद्य में कई-कई वाक्यों और पन्नों तक में किया जा सकता है लेकिन आप उसका सार कविता या शायरी में कुछेक शब्दों में आराम से बता सकते हैं. यह उसी तरह का कंप्रेशन है.’’
माइक्रोसॉफ्ट का मुख्यालय वॉशिंगटन के रेडमंड में है और वह फिलहाल इंटरनेट सर्च और मोबाइल कंप्यूटिंग जैसे नए क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धियों से पीछे चल रही है इसलिए नडेला को कंपनी की बढ़ोतरी के लिए शायरी की नजाकत के साथ गद्य की ठोस खुराक भी देनी होगी. माइक्रोसॉफ्ट में अपने 22 साल के करियर में उन्होंने कंपनी को क्लाउड और एंटरप्राइज बिजनेस के क्षेत्र में बढ़त दिलाई है और उन नए क्षेत्रों में उसे मजबूती प्रदान की है, जिनमें गूगल और अमेजन जैसे प्रतिस्पर्धियों से वह पिछड़ गई है. माइक्रोसॉफ्ट में पावर प्वाइंट मैनेजर रह चुके उद्यमियों के नेटवर्किंग ग्रुप द इंडस आंट्रेप्रेन्यर्स यानी टीआइई के सिएट्ल चौप्टर के संस्थापक विजय वशी कहते हैं, ‘‘अब सत्य अपनी टीम में जोश भरेंगे और वे कंपनी की बाजार हिस्सेदारी शून्य से इकाई और फिर दहाई अंकों में ले जाएंगे. उसके बाद सुरक्षित स्तर पर पहुंचा देंगे.’’
नडेला कंपनी को सहज और दोस्ताना चेहरा प्रदान करेंगे जो हाल के वर्षों में बामर की अगुआई में बाजार में बेहद आक्रामक मानी जाती रही है. माइक्रोसॉफ्ट की पार्टनर सिएट्ल स्थित क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर आइसेर्टिस के सीईओ समीर बोडस वह वक्त याद करते हैं जब उन्होंने नडेला को माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड प्लेटफॉर्म विंडोज एज्यूर के बारे में जानकारी दी थी. नडेला ने फौरन माइक्रोसॉफ्ट के बड़े अधिकारियों के साथ उनकी मुलाकात तय कर दी थी. बोडस कहते हैं, ‘‘वे हमेशा पूछा करते थे कि माइक्रोसॉफ्ट कैसे बेहतर पार्टनर बन सकती है. वे गौर से बातें सुनते हैं और बड़ी बात यह है कि वे फौरन अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं.’’
नडेला की तकनीकी महारत भी बामर का उत्तराधिकारी बनाए जाने की एक मुख्य वजह बताई जा रही है. बामर की पृष्ठभूमि सेल्स क्षेत्र की रही है. नडेला कर्नाटक के मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मिलवॉकी की यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कोंसिन से इंजीनियरिंग डिग्री ले चुके हैं. माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स अब चेयरमैन के रूप में बतौर टेक्नोलॉजी सलाहकार ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘सत्य अपनी इंजीनियरिंग स्किल, कारोबारी नजरिए और लोगों को जोड़कर रखने की क्षमताएं साबित कर चुके हैं. दुनिया में टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल हो, इस बारे में उनका नजरिया उसी रुझान वाला है, जिस ओर माइक्रोसॉफ्ट अपना अध्याय शुरू करना चाहती है और कंपनी को विस्तार देना चाहती है.’’
यह बात खासकर इसलिए सही हो सकती है क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट नए क्षेत्र में पैर पसारने जा रही है, जो लंबे समय से बाजार में दबदबा कायम करने वाली इस कंपनी के लिए अपरिचित क्षेत्र है. नडेला ने माइक्रोसॉफ्ट कर्मचारियों के नाम एक चिट्ठी में अगली चुनौतियों के बारे में लिखा, ‘‘हमारी इंडस्ट्री परंपरा का सम्मान नहीं करती, यह सिर्फ नवाचारों यानी इनोवेशन का सम्मान करती है. हमारा कर्तव्य यह आश्वस्त करना है कि माइक्रोसॉफ्ट मोबाइल और क्लाउड के क्षेत्र में दबदबा कायम कर सके.’’ वाशी कहते हैं कि नडेला का इन क्षेत्रों में अनुभव उन्हें इस काम के लिए माकूल व्यक्ति बनाता हैः ‘‘वे माइक्रोसॉफ्ट में ऐसे आदमी हैं जिसे पता है कि कहां धीमे चलना है, कहां तेज स्पर्धा करनी है और कैसे अपना दबदबा कायम करना है.’’
नडेला का चयन कई माह चले जोरदार अभियान के बाद हुआ. इसकी शुरुआत अगस्त, 2013 में बामर के इस ऐलान के बाद हुई कि वे सीईओ पद से हटने की योजना बना रहे हैं. फोर्ड मोटर के सीईओ एलन मुलाली को संभावित विकल्प बताया जा रहा था और हाल के दिनों में भारतीय मूल के एक और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट गूगल के सुंदर पिचाई के भी बड़े दावेदारों के रूप में उभरने की अटकलें चल पड़ी थीं. नडेला के दोस्त कहते हैं कि उनकी विनम्रता और दूसरों की बात गौर से सुनने के गुणों के कारण उनकी अपने काम के प्रति दृढ़ता और संकल्प-शक्ति खुलकर नहीं दिखती हैः 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुडऩे के बाद नडेला हर हफ्ते अपनी एमबीए क्लासेस के लिए सिएट्ल से शिकागो जाया करते थे.
माइक्रोसॉफ्ट अब अमेरिका की वह सबसे बड़ी कंपनी है जिसका मुखिया भारतीय मूल का व्यक्ति है. दूसरी बड़ी कंपनियों में भारतीय-अमेरिकी सीईओ हैं, पेप्सिको की इंदिरा नूई और मास्टरकार्ड के अजय बंगा. फिर सिटीबैंक के सीईओ के रूप में विक्रम पंडित का 2007 से 2012 का कार्यकाल कुछ उठापटक वाला रहा है. नडेला ने शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया है. उसके डीन सुनील कुमार कहते हैं, ‘‘लंबे समय से अमेरिका में टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भारतीय-अमेरिकी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. यह दोहरी जीत की तरह है क्योंकि दोनों क्षेत्र जुड़े हुए हैं.’’ इस बार अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की तैयारी कर रहे रो खन्ना कहते हैं कि नडेला की नई जिम्मेदारी ‘‘अर्थव्यवस्था, अन्वेषण और रोजगार सृजन में भारतीय-अमेरिकियों के बढ़ते योगदान की मिसाल है.’’ खन्ना के संभावित चुनाव क्षेत्र में कैलिफोर्निया की सिलिकन वैली भी है और याहू की सीईओ मरीसा मेयर उनके प्रमुख वित्तीय मददगारों में हैं.
नडेला आज दुनिया के सबसे ताकतवर कंपनी अधिकारियों में से एक हैं लेकिन उन्हें जानने वाले बताते हैं कि उनमें रत्ती भर घमंड नहीं है. कुछ महीने पहले बोडस उनके घर रात्रि भोज पर गए तो नडेला कुछ देर से पहुंचे थे क्योंकि दफ्तर से लौटते हुए रास्ते में वे खुद खाने का सामान लेने लगे थे. बोडस कहते हैं, ‘‘आप उनसे किसी मॉल या एयरपोर्ट पर मिल जाएं तो वे बेहद सामान्य आदमी ही लगेंगे.’’ माइक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी एक फोटोग्राफ में नडेला हुडी (कैप वाली फुल जैकेट) पहने दिखते हैं जैसा कि फेसबुक के संस्थापक जकरबर्ग पहना करते हैं.
नडेला दौडऩे और पढऩे के अलावा क्रिकेट के शौकीन हैं. वाशी कहते हैं कि उनमें अकसर कुछ इस तरह के मैसेज का आदान-प्रदान होता हैः ‘‘भारतीय टीम को चारों खाने चित होते देखा?’’ नडेला के संगीत प्रेम के बारे में बोडस कहते हैं, ‘‘उन्हें गजल बहुत पसंद है. उनके पास गजल की ढेरों किताबें हैं.’’ नडेला और उनकी पत्नी अनुपमा घर पर हैदराबादी व्यंजनों की दावत देने के लिए मशहूर हैं. ये व्यंजन ज्यादातर अनुपमा बनाती हैं लेकिन नडेला भी कुछ-कुछ करते हैं. वे अपने किशोरवय बेटे और दो बेटियों की जरूरतों का भी ख्याल रखते हैं.
अब दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी की अगुआई करने वाले नडेला के सामने चुनौतियां भी बड़ी हो सकती हैं. माइक्रोसॉफ्ट के दुनियाभर में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं और 2013 में नोकिया के मोबाइल डिवाइस डिविजन के अधिग्रहण से 30,000 और कर्मचारी इसमें आ जुड़े हैं. माइक्रोसॉफ्ट के शिखर पर पहुंचना बेशक बड़ी कामयाबी है. सुनील कुमार कहते हैं, ‘‘बेसबॉल की मिसाल लें तो सत्य ने गेंद मैदान के बाहर उछाल दी है.’’ और गजल पर दाद देने की शैली में कहें तो वाह, वाह!
इंदिरा कानन