अब रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर भी केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार में ठन गई है. केंद्र सरकार की ओर से एकीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति जारी किए जाने के एक दिन बाद दिल्ली सरकार ने राजधानी में रिटेल में एफडीआई की इजाजत देने से इनकार कर दिया है.
सरकार का कहना है कि यह दिल्ली के व्यापारियों के हित में नहीं होगा. सालाना एफडीआई दस्तावेज के ताजा संस्करण में केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के विदेशी रिटेलरों को 51 फीसदी स्वामित्व के साथ बहु ब्रांड खुदरा स्टोर खोलने की इजाजत के फैसले को कायम रखा है.
दिल्ली सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘हम दिल्ली के खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति नहीं देंगे.’ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली सरकार के रुख के बारे में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) को 14 जनवरी, 2014 को जानकारी दे दी गई थी. इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.
दिल्ली सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि उसका विचार है कि राष्ट्रीय राजधानी इस समय अपने खुदरा कारोबार के चरित्र में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं है. बयान में कहा गया है, ‘खुदरा क्षेत्र में एफडीआई आने से स्थानीय व्यापारियों का हित प्रभावित होगा और इससे बेरोजगारी बढ़ेगी.’ सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जनवरी, 2014 में लिया गया फैसला पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को वापस लेने का फैसला कायम है.
गौरतलब है कि सरकार ने अपनी एकीकृत एफडीआई नीति में विदेशी खुदरा कंपनियों को 51 फीसदी स्वामित्व के साथ मल्टीब्रांड स्टोर खोलने की इजाजत देने के यूपीए सरकार के फैसले को कायम रखा है. सरकार ने यह एकीकृत एफडीआई नीति सोमवार को जारी की थी.
(इनपुट: भाषा)
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