सुर्खियों के सरताज 2014: जानें कब-कब और किन वजहों से सुर्खियों में रहे गौतम अडानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी के करीबी माने जाने वाले गौतम अडानी के लिए खास मौका वह रहा जब उनकी कंपनी ने 5,500 करोड़ रु. में धमरा बंदरगाह हासिल किया.

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एम.जी. अरुण

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  • 29 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

अहमदाबाद का एक लड़का जो गुजरात यूनिवर्सिटी से कॉमर्स की पढ़ाई नहीं पूरी कर सका और आगे चलकर भारत का दिग्गज उद्योगपति बना. 52 वर्षीय गौतम अडानी ने वाकई लंबा सफर तय किया है. 26 साल के सफर में आज उनका कारोबारी साम्राज्य 9 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की ओर से कथित मदद पाने की वजह से गैर-बीजेपी पार्टियां उन्हें अपना निशाना बनाती रही हैं. इन सबसे बेअसर उन्होंने लगातार अपने विस्तार की योजनाएं जारी रखीं. जिस दिन लोकसभा चुनावों के नतीजे घोषित हुए और मोदी की बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला, उसी दिन इस उद्योगपति ने सीना तानकर घोषित कर दिया कि अडानी पोर्ट्स ने ओडिसा में टाटा स्टील और एल ऐंड टी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से 5,500 करोड़ रु. में धमरा बंदरगाह को हासिल कर लिया है. जुलाई, 2014 में एक बार फिर उन्होंने सुर्खियां बटोरीं, जब अडानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्र ने लंबे समय से लटकी चली आ रही पर्यावरणगत और तटीय नियंत्रक क्षेत्र की मंजूरी हासिल कर ली, और अगस्त में उनकी ऊर्जा कंपनी ने 6,000 करोड़ रु. में लैंको इन्फ्राटेक के 1,200 मेगावाट के उडुपी बिजली संयंत्र का अधिग्रहण कर लिया. मोदी से नजदीकियों को देखते हुए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं थी कि प्रधानमंत्री के जापान दौरे के समय वे भी व्यापार प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. सत्ता की दौड़ में बीजेपी के आगे आने के बाद से ही अडानी की कंपनियां निवेशकों की पसंद रही हैं-अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर तीन गुना बढ़ गया, जबकि सितंबर, 2013 और नवंबर, 2014 के बीच अडानी पोर्ट्स के शेयरों में 65 फीसदी और अडानी पावर के शेयरों में 53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

अडानी को लेकर विवाद उठते रहे, हालांकि उन्होंने उनसे बाहर निकलने की भरसक कोशिशें की हैं. सबसे ताजा विवाद एक अरब डॉलर के कर्ज को लेकर है. उनकी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में कोयला खदान विकसित करने के लिए यह कर्ज भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) से हासिल किया था. संयोग से इसकी घोषणा उस वक्त हुई जब मोदी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए हुए थे. इससे उनके आलोचकों को यह कहने का मौका मिल गया कि जोखिम भरे इस सौदे को हासिल करने में उन्हें मोदी का वरदहस्त प्राप्त था. हालांकि पहले ही डूबत वाले भारी कर्ज के बोझ से दबा स्टेट बैंक कह चुका है कि यह पैसा भुगतान करने से पहले वह इस पर अच्छी तरह सोच-विचार करेगा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को अपनी सबसे बड़ी थर्मल कोयला खदान पाने की पूरी उम्मीद है. वह जानता है कि भारतीय कंपनी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने को बेताब है.

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