जम्मू-कश्मीर में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठबंधन तीन साल में ही टूट गया. बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है.
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में डर की नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां अलग-अलग विचारधारा को मानती हैं, लेकिन फिर भी बड़े विजन को साथ लेकर BJP के साथ गठबंधन किया गया था.
महबूबा ने कहा कि सरकार के जरिये उन्होंने कश्मीर में अपना एजेंडा लागू करवाने में सफल रही हैं. महबूबा का कहना है कि कश्मीर के लोगों से बातचीत होनी चाहिए, पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए, ये उनकी हमेशा से कोशिश रही.
अपनी उपलब्धियां गिनाती हुईं महबूबा ने कहा, '370 को लेकर डरे हुए थे उसको लेकर हम डटे रहे. 11 हजार लोगों के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ था उसे वापस लिया गया.' यही नहीं, महबूबा की मानें तो उनकी सफल नीति की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान भी गए.
इससे पहले बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है.
उन्होंने आगे कहा कि पीडीपी और बीजेपी के नेताओं के बीच सीजफायर, अलगाववाद और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर जरूर अलग-अलग राय हैं, लेकिन यह गठबंधन तोड़ने की वजह नहीं हो सकती. बीजेपी जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ राजनीति फायदे का खेल कर रही है.
पीडीपी नेता नईम अख्तर ने कहा कि फिलहाल पीडीपी शाम 5 बजे प्रेस कांफ्रेंस करेगी. कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने यह कदम उठाया है.
महबूबा मुफ्ती ने दिया इस्तीफ़ा...
बताया जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की, जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के ऐलान के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. शाम चार बजे पीडीपी की बैठक बुलाई गई है. उधर, BJP कोटे के सभी मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
आदित्य बिड़वई