यह शांति भय से चुप्पी की तरह है

पहाड़ के लोग हमेशा से शांति चाहते रहे हैं. हिंसा तो पश्चिम बंगाल सरकार की विभिन्न एजेंसियों की ओर से शुरू की गई थी. आज भी हजारों लोग गिरफ्तारी के डर से अपने घरों को वापस नहीं लौट पाए हैं.

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सही मौके का इंतजार जीजेएम नेता बिमल गुरुंग की 2017 की तस्वीर सही मौके का इंतजार जीजेएम नेता बिमल गुरुंग की 2017 की तस्वीर

मंजीत ठाकुर

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

गोरखा टेरिटोरियल अथॉरिटी (जीटीए) के प्रमुख पद से हटा दिए गए बिमल गुरुंग भूमिगत हैं. क्योंकि ममता बनर्जी सरकार उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. वे कहते हैं कि वे गोरखालैंड के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) आंदोलन को फिर से खड़ा करने के लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने रोमिता दत्ता के साथ एक बातचीत में अपनी योजनाओं के बारे में बात की. मुख्य अंशः

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आप भूमिगत हैं और बिनय तमांग ने जीजेएम व जीटीए का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है.

तमांग का नियंत्रण अपनी ही जिंदगी और विचारों पर ही नहीं रह गया है. वे बस एक कठपुतली हैं जिसकी डोर कोलकाता के हाथों में है. मैं भूमिगत नहीं हूं लेकिन केंद्र की ओर से त्रिपक्षीय बातचीत का वादा पूरा होने तक खामोश बैठा हूं. लोग मेरे साथ हैं. राज्य की खुफिया रिपोर्टें भी बताती हैं कि '70 प्रतिशत लोगों का समर्थन मेरे साथ है.

अब लोकसभा का अगला चुनाव नजदीक आ रहा है.

मैंने सत्ता हासिल करने के लिए कभी राजनीति नहीं की. जीजेएम का गठन लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए किया गया था और मैं उसके लिए आज भी समर्पित हूं. मुझे पहाड़ों में लोकतंत्र लौटने के लिए अनुकूल माहौल बनाने और बातचीत शुरू करने का इंतजार है.

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चर्चा है कि आप कोई नई पार्टी बना सकते हैं, या आप खुद को असली जीजेएम का नेता मानते हैं?

मैं कोई भी दावा नहीं करता हूं. कोलकाता की ओर से लादे गए कुछ लोगों को छोड़कर सभी लोग जानते हैं कि मैं ही जीजेएम का नेता हूं. अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि हम किसका समर्थन करेंगे. फिलहाल हम भाजपा के साथ हैं.

भाजपा को समर्थन देने के लिए आपकी क्या शर्तें हैं?

हमने अभी यह फैसला नहीं किया है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे या गठबंधन करेंगे. केंद्रीय समिति इसका फैसला करेगी. मैं चाहता हूं कि इस क्षेत्र के गरीब बच्चों—चाहे वे गोरखा, आदिवासी, राजबोंगशी, बंगाली, बिहारी या किसी भी समुदाय के हों-उन परिस्थितियों का सामना न करना पड़े जो मैंने अपने बचपन में झेली हैं.

क्या राज्य सरकार के साथ शांति वार्ता की कोई उम्मीद है?

पश्चिम बंगाल सरकार के साथ हमारा कभी झगड़ा नहीं था. हां, गोरखालैंड के मुद्दे पर अलग राय रखने वाली हम दो राजनैतिक पार्टियां हैं. राजनीति में बातचीत जरूरी है. हम केंद्र और राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय बातचीत के लिए तैयार हैं.

ममता बनर्जी ने सिक्किम से समझौता कर लिया है. आपने मुख्यमंत्री पी.के. चामलिंग के रूप में एक दोस्त खो दिया है?

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ममता भले ही चामलिंग की दोस्त हो सकती हैं, लेकिन सिक्किम और दार्जिलिंग के लोग एक परिवार के रूप में हैं. जरूरत के समय सिक्किम ने हमेशा हमारा साथ दिया है.

राज्य सरकार आप पर जीटीए के पैसों में हेरफेर करने का आरोप लगाती है...

वे तीन बार ऑडिट करा चुके हैं लेकिन उन्हें कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. हमें जो भी थोड़ा-बहुत पैसा मंजूर किया गया, हमने उसमें से एक रुपए का भी दुरुपयोग नहीं किया है. मैं चाहता हूं कि सीएजी उसका विशेष ऑडिट करे.

लेकिन अब पहाड़ों में शांति है...

पहाड़ के लोग हमेशा से शांति चाहते रहे हैं. हिंसा तो पश्चिम बंगाल सरकार की विभिन्न एजेंसियों की ओर से शुरू की गई थी. आज भी हजारों लोग गिरफ्तारी के डर से अपने घरों को वापस नहीं लौट पाए हैं.

इसे शांति नहीं कहते हैं. इसे "भय से चुप्पी'' कहा जाता है. यह आपातकाल की तरह है. लोगों को फेसबुक पर प्रतिक्रियाओं के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है. दार्जिलिंग एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसकी सीमाएं चार देशों से लगती हैं. यहां रोहिंग्या शरणार्थी और बांग्लादेश के अवैध प्रवासी आकर रहते हैं. यह राज्य खतरों से खेल रहा है.

क्या तृणमूल कांग्रेस से दोस्ती का कोई संदेश मिला है?

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(हंसते हैं) टीएमसी सरकार की ओर से तनाव दूर करने का अब तक कोई भी प्रयास नहीं किया गया है. टीएमसी राजनैतिक पार्टी है. मैं सिर्फ यह कहने की कोशिश कर रहा हूं कि मित्रता तभी हो सकती है जब हम एक-दूसरे के महत्व का सम्मान करें.

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