फिलहाल तो लालू नीतीश सरकार को पीछे बैठकर हांक रहे हैं जबकि उसकी करनी की जिम्मेदारी भी उन पर नहीं आने वाली. उन्होंने इंडिया टुडे के एसोसिएट एडिटर अमिताभ श्रीवास्तव से बातचीत की. उसके प्रमुख अंशः
आरजेडी सरकार में नहीं है. सो उसे सत्ता विरोधी भावना को नहीं झेलना पड़ेगा और आप सत्ता सुख भी ले रहे हैं.
नीतीशजी की सरकार को हमारा बाहरी समर्थन सिर्फ सेकुलर ताकतों को मजबूत करने के लिए है, सत्ता सुख के लिए नहीं.
सेकुलर, समाजवादी दलों का विलय अब दूर की कौड़ी लग रहा है.
विलय को अंतिम रूप देने और फैसले लेने के लिए मुलायम सिंह यादव जी अधिकृत है. मैं और वे अभी शादी में व्यस्त थे. अब वे इसे आगे बढ़ाएंगे.
क्या विलय का काम विधानसभा चुनावों तक पूरा हो जाएगा?
मैं डेडलाइन कैसे बता सकता हूं.
इसका मतलब है कि यह नहीं होगा.
मैंने ऐसा तो नहीं कहा. मैं सकारात्मक हूं.
क्या मांझी को हटाना गलती थी? इससे आरजेडी-जेडी (यू) गठबंधन को दलित वोटों का नुक्सान नहीं होगा?
मांझी ने खुद कुर्सी छोड़ी थी. वे आत्ममंथन कर रहे होंगे कि उन्हें क्यों जाना पड़ा. उन पर टिप्प्णी करने वाला मैं कौन होता हूं?
पर रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे आरजेडी नीतीश से आग्रह कर रहे हैं कि वे मांझी को डिप्टी सीएम बनाकर ले आएं.
हमारी पार्टी में लोकतंत्र है. हर किसी को अपनी राय देने का अधिकार है.
मधेपुरा के आपके सांसद पप्पू यादव ने भी कहा है कि आरजेडी को नीतीश की बजाए मांझी को तरजीह देनी चाहिए?
उनकी अपनी कोई समस्या होगी.
गठबंधन सहयोगी के बतौर आप नीतीश को कैसा पाते हैं?
हमारा काम सेकुलर ताकतों को मजबूती और गरीबों को इंसाफ सुनिश्चित करना है.
फिर आरजेडी ने सरकार में हिस्सेदारी क्यों नहीं की? आप दोनों मिलकर सुशासन क्यों नहीं देते?
इसलिए क्योंकि 2010 के विधानसभा चुनाव में हमारे पास जनादेश नहीं था. जनादेश नीतीशजी के साथ था, इसलिए सरकार उन्हें चलानी चाहिए. यह समय लोगों के पास जाने का है, उन्हें बीजेपी की साजिशों के खिलाफ सतर्क करने का है न कि कुछ महीनों के लिए मंत्री बनने का.
क्या आप सरकार पर निगरानी भी रखेंगे या किसी न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जोर देंगे?
मैं क्यों निगरानी करूंगा? अगर जरूरत होगी तो मैं नीतीशजी से बात कर लूंगा.
अमिताभ श्रीवास्तव