भारत-रूस में परमाणु ऊर्जा समेत 16 समझौते, मोदी के मेक इन इंडिया के लिए बढ़ाया हाथ

गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता हुई. इस बैठक में दोनों देशों के बीच 16 समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इनमें परमाणु ऊर्जा और हेल्थ सेक्टर से जुड़े कई अहम समझौते शामिल हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देश मिलकर काम करेंगे.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST


रूस 2035 तक भारत में कम-से-कम 12 परमाणु रिएक्टर लगाएगा और उसने यहां अत्याधुनिक हेलीकॉप्टरों के विनिर्माण पर भी सहमति भी जतायी है. दोनों देशों ने कुल मिलाकर अपने रणनीतिक सहयोग को और गति देने के लिये तेल, गैस, रक्षा, निवेश और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किये.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने दोनों देशों की सालाना शिखर बैठक में दोनों देशों के निकट संबंधों को नये धरातल पर ले जाने का संकल्प किया. दोनों ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग का एक नया दृष्टिकोण तय किया. भारत के लिये रूस को ‘शक्ति का स्तंभ’ बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के लिए यद्यपि विकल्पों का दायारा बढ़ा है, बवाजूद इसके भारत का रणनीतिक भागीदार रस देश का ‘सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी’ बना रहेगा, हालांकि विकल्प बढ़े हैं.

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पुतिन के साथ करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राष्ट्रपति पुतिन और मैंने विभिन्न नयी रक्षा परियोजनाओं के बारे में चर्चा की. हमने इस बात पर चर्चा की कि हम हमारे रक्षा संबंधों को ‘मेक इन इंडिया’ समेत भारत की अपनी प्राथमिकताओं के साथ कैसे जोड़ सकते है.’ नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि रूस ने अपने अत्याधुनिक हेलीकॉप्टरों में से एक के भारत में पूरी तरह से विनिर्माण की पेशकश की है. इसमें भारत से निर्यात की संभावना शामिल है. इसका सैन्य और असैन्य दोनों इस्तेमाल हो सकता है. हम इस पर जल्दी ही कदम बढ़ाएंगे.’

परमाणु क्षेत्र में सहयोग का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग का महत्वकांक्षी दृष्टिकोण तय किया है और इसमें कम-से-कम 10 और परमाणु रिएक्टरों के निर्माण किए जाएंगे. मोदी ने कहा कि इन रिएक्टरों में सुरक्षा के विश्वस्तरीय उच्चतम मानक अपनाए जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘इसमें उपकरणों और कल-पुर्जे का भारत में विनिर्माण भी शामिल होगा. यह हमारी ‘मेक इन इंडिया’ नीति से मेल खाता है.’{mospagebreak}

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परमाणु सहयोग पर रणनीतिक दृष्टिकोण के दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने उन परमाणु बिजलीघरों के तेजी से क्रियान्वयन का निर्णय किया है जिस पर सहयोग की सहमति बनी है. दोनों पक्ष 2008 के समझौते के तहत अगले दो दशकों में कम-से-कम 12 परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और उसे चालू करने का प्रयास करेंगे. दोनों पक्षों ने कुल 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिसमें परमाणु ऊर्जा, तेल एवं गैस, स्वास्थ्य, निवेश, खनन, मीडिया तथा पवन ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की बात कही गयी है.

बातचीत को ‘ठोस’ बताते हुए पुतिन ने कहा कि रूस ‘संयुक्त उच्च प्रौद्योगिकी’ परियोजनाओं में सहायता करेगा और एक भारतीय मोबाइल दूरसंचार सेवा कंपनी की स्थापना को सुगम बनाएगा. साथ ही उन्होंने भारत को रूस यात्री विमान बेचने की भी पेशकश की. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस और भारत का रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालीन सहयोग रहा है और दोनों देश सैन्य हार्डवेयर के संयुक्त रूप से उत्पादन के स्तर पर पहुंच गये हैं. पुतिन ने संकेत दिया कि रूस भारत में सैन्य साजो सामान बनाने को लेकर अनिच्छुक नहीं है.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने ब्राह्मोस मिसाइल कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है और एक लड़ाकू जेट तथा बहु-आयामी भूमिका वाले परिवहन विमान के विनिर्माण कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं. बातचीत के दौरान भारत रूसी डिजाइन वाले परमाणु बिजलीघरों के निर्माण के लिये कुडनकुलम के अलावा किसी नयी जगह की तेजी से पहचान करने पर सहमति दी. रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विभिन्न नई रक्षा परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई जिसमें यह भी शामिल था कि हमारे रक्षा संबंधों को ‘मेक इन इंडिया’ समेत भारत की अपनी प्राथमिकताओं के साथ कैसे संबद्ध किया जाए.

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उन्होंने कहा, ‘मैंने यह भी प्रस्ताव दिया कि रूस को भारत में रूसी रक्षा उपकरणों के लिये कल-पुर्जे और अन्य संबंधित उपकरणों हेतु विनिर्माण केंद्र लगाना चाहिए.’ भारत की आर्थिक वृद्धि के लिये ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देश तेल एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सहयोग के लिये महत्वकांक्षी एजेंडा तय करेंगे. जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए उनमें तेल एवं गैस के संयुक्त उत्खनन तथा उत्पादन, दीर्घकालीन एलएनजी आपूर्ति तथा रूस से भारत के बीच हाइड्रोकार्बन पाइपलाइन प्रणाली के लिये संयुक्त अध्ययन शामिल है.{mospagebreak}

ऑयल इंडिया लि. ने संयुक्त अनुसंधान तथा नये हाइड्रोकार्बन उत्खनन, उत्पादन तथा परिवहन संबंधी परियोजनाओं के लिये रूस की जारूबेजनेफ्ट के साथ सहमति पर हस्ताक्षर किया. भारत की एस्सार तथा रूस की रोजनेफ्ट ने भी कच्चे तेल की दीर्घकालीन आपूर्ति के लिये समझौते किये. समझौते के तहत भारत 10 साल तल तेल खरीदेगा. टाटा पावर तथा रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के बीच भी एक सहमति पत्र पर दस्तखत किये गये. यह शुरूआती समझौता रूसी परिसंघ में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश अवसरों को तलाशने में सहयोग के लिये है.

भारतीय कंपनियों के एक समूह द्वारा रूस की उर्वरक कंपनी एसीआरओएन की दो अरब डॉलर की परियोजना के अधिग्रहण के लिये भी एक समझौता किया गया. कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई लगाने के लिये भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लि. (एनपीसीआईएल) तथा एटीओएमएसटीआरओवाई एक्सपोर्ट (एएसई) ने समझौते किये. प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया रूसी न्यूज एजेंसी तास ने भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके तहत खबरों के आदान-प्रदान में सहयोग किया जाएगा. संयुक्त बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने जम्मू और चेचन्या में आतंकवादी हमलों में मारे गये लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की और उम्मीद जतायी कि बिना किसी देरी के आतंकवादियों के लिये सभी सुरक्षित पनाहगाह और शरणस्थलों को समाप्त किया जाएगा और एक दशक में साझा क्षेत्र से आतंकवाद के पूरी तरह सफाया हो जाएगा.

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इसके अनुसार, ‘दोनों देशों ने उम्मीद जतायी कि उनके साझा पड़ोसी क्षेत्रों में हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की प्रकृति और जो प्रसार दिखा है, उसे निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर संकल्प और सहयोग के उपाय की आवश्यकता है और इसके लिये कोई दोहरे मानक या भेदभाव नहीं होना चाहिए.’ मोदी और पुतिन अगले एक दशक में भारत-रूस सहयोग को मजबूत बनाने के लिये एक दृष्टिकोण पर सहमत हुए. दोनों नेताओं ने रेखांकित किया कि द्विपक्षीय सहयोग को उल्लेखनीय रूप से व्यापक बनाने तथा रिश्तों को गुणात्मक रूप से नये स्तर पर ले जाने का समय आ गया है. आर्थिक मोर्चे पर दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिये राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान को बढ़ावा देने पर सहमत हुए. संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘इसके लिये गठित कार्य समूह मौजूदा बाधाओं को दूर करने तथा राष्ट्रीय मुद्राओं में लेन-देन को बढ़ावा देने के बारे में सिफारिशें देगा.’

ऊर्जा के क्षेत्र में प्राकृतिक अन्योन्याश्रय संबंधों तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा की तलाश को स्वीकार करते हुए दोनों देशों ने तेल एवं गैस, बिजली उत्पादन, परमाणु ऊर्जा समेत ऊर्जा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग कई गुना बढ़ाने का निर्णय किया. मोदी तथा पुतिन ने तेल एवं गैस उत्खनन, कोयला खनन एवं उत्पादन के साथ एलएनजी परियोजनाओं और आपूर्ति के क्षेत्र में दोनों देशों की तेल एवं गैस कंपनियों के बीच व्यापक सहयोग पर जोर दिया. ऐसी संभावना है कि भारतीय कंपनियां रूस में नए तेल एवं गैस फील्डों से जुड़ी परियोजनाओं में मजबूती से भाग लेंगी. साथ दोनों पक्ष रूस और भारत के बीच हाइड्रोकार्बन पाइपलाइन के निर्माण की संभावना का अध्ययन करेंगे.{mospagebreak}

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बयान के अनुसार दोनों पक्ष एक-दूसरे देश तथा तीसरे देश में पेट्रोरसायन परियोजनाओं में भाग लेने की संभावना भी टटोलेंगे. दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी उत्पादों के संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास, विनिर्माण तथा विपणन बढ़ाने का भी निर्णय किया. विशेष रूप से इस प्रकार का सहयोग अंतरिक्ष क्षेत्र, रक्षा प्रद्योगिकी, विमानन, नये सामग्री, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होगा. दोनों नेताओं की नजर में अंतरिक्ष में सहयोग की अपार संभावना है. दोनों नेताओं ने रेखांकित किया कि ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ समय और माल ढुलाई लागत में कमी लाकर द्विपक्षीय व्यापार की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार ला सकता है.

उन्होंने कहा कि गलियरा ईरान के रास्ते गुजरेगा. दोनों पक्षों ने भारत और रूस के बीच हीरे के सीधे व्यापार को बढ़ावा देने के मामले में हुई प्रगति पर संतोष जताया. संयुक्त बयान के अनुसार, ‘रूस में औषधि, उर्वरक, कोयला तथा ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक पार्क तथा प्रौद्योगिकी मंचों में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा.’ दोनों पक्ष इन क्षेत्रों में निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों के संयुक्त रूप से विनिर्माण में विशेषीकृत निवेश कोष को प्रोत्साहन देंगे. मोदी और पुतिन आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिये प्रयास तेज करने पर सहमत हुए और 2025 तक 30 अरब डॉलर के वस्तुओं एवं सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा.

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संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘ऐसी उम्मीद है कि तबतक द्विपक्षीय निवेश दोनों तरफ से 15-15 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा.’ इसमें कहा गया है कि भारत और रूस आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध करता है जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी नहीं है. दोनों नेताओं ने सामूहिक प्रयासों के आधार पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संतुलित तथा समावेशी सुरक्षा ढांचा का भी समर्थन किया.{mospagebreak}

नेताओं ने अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण तरीके से राजनीतिक सत्ता परिवर्तन का स्वागत किया और वहां पुनर्निर्माण, आर्थिक विकास तथा उसके राष्ट्रीय सुरक्षा बल की क्षमता बढ़ाने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संयुक्त प्रयास का आह्वान किया. दोनों देशों ने कहा कि परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना दोनों देशों के हित में है. रूस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण सदस्यता को लेकर अपने समर्थन की पुष्टि की. साथ ही प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण संधि और वासेनार संधि में भी भारत की सदस्यता के प्रस्ताव का समर्थन किया है.

दोनों पक्ष कुछ प्रकार के व्यक्तियों के एक-दूसरे के यहां की यात्रा के लिये वीजा नियमों को आसान बनाने पर भी सहमत हुए हैं. इसमें व्यवसायियों के लिये वीजा भी शामिल है. इससे जनता के स्तर पर संपर्क और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

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