आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में हुए गैस लीक मामले की जांच शुरू हो गई है. जगन मोहन रेड्डी सरकार ने हाई पॉवर कमेटी का गठन किया है, जो एलजी पॉलिमर प्लांट में हुए हादसे की जांच करेगी. कमेटी अपनी रिपोर्ट 22 जून को सौंपेगी. इसके बाद सरकार की ओर से आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने गैस लीक मामले में एलजी पॉलिमर कंपनी को लापरवाही का दोषी माना है. कंपनी को इस घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए एनजीटी की जॉइंट कमिटी ने यह भी आदेश दिया है कि वह इस घटना में मारे गए सभी लोगों के परिजनों को मुआवजा दे.
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क्या है पूरा मामला
7 मई को एलजी पॉलिमर्स के विजाग स्थित एक प्लांट से करीब 800 टन खतरनाक स्टाइरीन गैस का रिसाव हुआ था. इसकी वजह से 12 लोगों की मौत हो गई थी और 3,000 लोगों को गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा था. यह रिसाव एक टैंक से हुआ था जो काफी पुराना था, उसमें टेम्परेचर मॉनिटर करने वाला गॉज या स्प्रिंकलर सिस्टम नहीं था.
जब कंपनी के प्लांट में यह दुर्घटना हुई तो वहां कई प्लांट में करीब 3285 टन स्टाइरीन गैस थी. इसके अलावा कंपनी ने विजाग पोर्ट पर एक निजी कंपनी ईस्ट इंडिया कॉरपोरेशन से 10,000 किलोलीटर के दो और टैंक भी ले रखे थे. इसलिए यह सवाल पूछा जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर स्टाइरीन जैसी जहरीली गैस कंपनी ने क्यों इकट्ठा किया?ॉ
इस हादसे के बाद एलजी पॉलिमर्स को सारा केमिकल दक्षिण कोरिया ले जाने का आदेश दिया गया. सख्त निर्णय लेते हुए कंपनी से कहा गया कि वह सबसे पहले प्लांट में रखे गैस को तट के पास मौजूद टैंक में ले जाए और वहां से फिर जहाजों में उसका लदान करे. इसके बाद मई में कंपनी ने करीब 7,000 टन स्टाइरीन गैस दक्षिण कोरिया भेज दिया.
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