कोहली को धोनी से बहुत कुछ सीखने की जरूरतः स्टीव वॉ

वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी कर चुके और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्टीव वॉ का मानना है कि टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली को अपने जज्बात पर काबू रखना कैप्टन कूल एम एस धोनी से सीखना चाहिए.

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एम एस धोनी और विराट कोहली एम एस धोनी और विराट कोहली

aajtak.in

  • शंघाई,
  • 15 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी कर चुके और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्टीव वॉ का मानना है कि टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली को अपने जज्बात पर काबू रखना कैप्टन कूल एम एस धोनी से सीखना चाहिए. वॉ की माने तो एक कप्तान के तौर पर विराट को अभी परिपक्व होने की जरूरत है.

पिछले साल दिसंबर में धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कोहली को टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई. उनकी कप्तानी में भारत चार मैचों की सीरीज में ऑस्ट्रेलिया से 0-2 से हार गया. वॉ ने कहा कि अभी कोहली को काफी कुछ सीखना होगा.

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'कोहली के लिए धोनी बेस्ट रोलमॉडल'
उन्होंने कहा, ‘कोहली को परिपक्व होना होगा. इस वर्ल्ड कप में उसके साथ कुछ मसले रहे. वह काफी जज्बाती हो जाता है और कई मसलों को व्यक्तिगत तौर पर लेता है. एक कप्तान के तौर पर आपको अपनी चमड़ी मोटी करनी होती है और धोनी इसकी मिसाल हैं जो कभी किसी चीज से प्रभावित नहीं होते. वह कोहली के लिए अच्छे रोलमॉडल हो सकते हैं. कोहली को धोनी से सीखना चाहिए.’

'लोगों की बातों की परवाह नहीं करते धोनी'
वॉ ने कहा, ‘धोनी ने कभी इसकी परवाह नहीं की कि लोग क्या कह रहे हैं. बाहरी चीजों से वह प्रभावित नहीं होते. वह मैदान पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में भरोसा रखता है. मुझे कोहली का जुनून पसंद है लेकिन उसे थोड़ा और चालाकी से काम लेना होगा.’ टेस्ट सीरीज में माइकल क्लार्क के चोटिल होने से ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी भी युवा स्टीवन स्मिथ ने संभाली थी. क्लार्क ने वर्ल्ड कप जीतने के बाद वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया. वॉ ने स्मिथ और कोहली की भी तुलना की.

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'स्मिथ और विराट में जमीन आसमान का फर्क'
वॉ ने कहा, ‘दोनों में जमीन आसमान का फर्क है. एक अपने जज्बात पर काबू रखता है तो दूसरा हर समय उन्हें दिखाता फिरता है. दोनों महान खिलाड़ी हैं. कोहली तकनीक के महारथी हैं तो स्मिथ का रवैया बेहतर है. दोनों काफी प्रतिभाशाली हैं और बहुत रन बनाएंगे लेकिन कई चीजों पर मेहनत करनी होगी.’ यह पूछने पर कि पेशकश मिलने पर क्या वह भारत का कोच बनना चाहेंगे, वॉ ने कहा, ‘मैंने इसके बारे में सोचा नहीं है. मैं इस समय सही दावेदार नहीं हूं. मुझे खेल की अच्छी समझ है लेकिन कोचिंग का अनुभव नहीं है. भारत का कोच बनना कठिन काम है. आपको वहां की संस्कृति की जानकारी होनी चाहिए और टीम से हमेशा काफी अपेक्षाएं रहती हैं.’

'शायद 5 साल बाद कोच बनने के बारे में सोचूं'
उन्होंने कहा, ‘मेरे घर पर तीन बच्चे हैं और बिजनेस भी है. भारत का कोच बनना गर्व की बात होगी लेकिन शायद मैं पांच साल बाद इस बारे में सोच सकूं, अभी नहीं.’ वॉ ने कहा, ‘मुझे मेंटर का काम पसंद है और मैं वह करना चाहूंगा. अगर आईपीएल से यह पेशकश मिलती है तो मैं स्वीकार कर लूंगा.’ वर्ल्ड कप में भारत के प्रदर्शन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘भारत प्रबल दावेदार था लेकिन लक्ष्य बहुत बड़ा था. विकेट सुरक्षित रहने पर इसे हासिल किया जा सकता था. भारत का बल्लेबाजी क्रम बेहतरीन है और एक खराब मैच के लिए खिलाड़ियों को दोषी ठहराना सही नहीं है. मेरा मानना है कि टॉस की भूमिका अहम रही.’

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इनपुट भाषा से

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