गत 18 दिसंबर को 57 वर्षीय विजय माल्या ने एक करोड़ रु. की कीमत की तीन किलों की सोने की ईंटें तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाईं. लेकिन भगवान भी शायद उनके व्यक्तिगत संपदा के इस नवीनतम भड़कीले प्रदर्शन को मंजूर नहीं करेंगे क्योंकि उनकी कर्ज में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस के सैकड़ों कर्मचारियों को मई से ही तनख्वाह नहीं मिली है.
यही नहीं, किंगफिशर एयरलाइंस पर 13 बैंकों के कंसोर्शियम का 7,500 करोड़ रु. बकाया है. उसे देश के कई एयरपोर्ट के करोड़ों रु. चुकाने हैं और सर्विस टैक्स बकाए के रूप में करीब 200 करोड़ रु. सरकार को देने हैं.
माल्या की एयरलाइंस 1 अक्तूबर से ही बंद है. उनका यह आडंबर भी सात साल पहले शुरू की गई एयरलाइंस के दिवालिया हो जाने की एक वजह है, जिसे उनके बेटे सिद्धार्थ के 18वें जन्म दिन के उपहार के तौर पर स्थापित किया गया था. नवंबर में माल्या ने अपने अच्छी कमाई करने वाले कारोबार यूनाइटेड स्पिरिट्स का कंट्रोलिंग स्टेक बहुराष्ट्रीय कंपनी डियाजियो को बेच दिया.
उन्होंने आखिरी रास्ता चुना और इससे उन्हें 2 अरब डॉलर (10,000 करोड़ रु.) की मोटी रकम मिली, लेकिन वे इसमें से एक पैसा भी ठप हो चुकी एयरलाइंस को पुनर्जीवित करने में नहीं लगाएंगे. अपने कर्मचारियों की दुर्दशा के बावजूद ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ की अपनी सार्वजनिक छवि को बनाए रखने पर जोर देकर माल्या ने 2012 में भारतीय कारोबार को बदनाम किया है.
धीरज नय्यर