वीडियोकॉन कर्मचारियों का आरोप, दिवालिया मामले पर धोखे में रखा धूत ने

वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के दो कारखानों के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि दिवालिया मामले में ग्रुप के प्रमुख वेणुगोपाल धूत और शीर्ष प्रबंधन के अन्य लोगों ने उन्हें धोखे में रखा और उन्हें 22 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा.

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वीडियोकॉन समूह के प्रमुख धूत वीडियोकॉन समूह के प्रमुख धूत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

दिवालिया होने के लिए आवेदन कर चुकी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी KAIL लिमिटेड के दो कारखानों के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि ग्रुप के प्रमुख वेणुगोपाल धूत और शीर्ष प्रबंधन के अन्य लोगों ने उन्हें धोखे में रखा है और उन्हें 22 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा.

कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी के कर्ज डिफाल्ट के पहले से ही उनको वेतन नहीं मिला रहा. कोलकाता केंद्रित KAIL के ये दोनों कारखाने अघोषित रूप से 2017 की शुरुआत में ही बंद कर दिए गए हैं. हालांकि, कर्मचारियों को वेतन देने का वादा किया गया था.

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कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि धूत यह जानते थे कि कंपनी दिवालिया हो जाएगी, लेकिन कर्मचारियों को बकाया राशि न देनी पड़े, इसलिए वे इसे टालते रहे. कंपनी दिवालिया होने के लिए मुंबई के एनसीएलटी कोर्ट की शरण में जा चुकी है और इससे 22 महीने से वेतन न हासिल करने वाले कर्मचारियों की आर्थ‍िक स्थ‍िति और बदतर हुई है.

वीडियोकॉन के एक पूर्व कर्मचारी गंगाधर चक्रवर्ती ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन बकाया की समस्या से निपटने के लिए मैनेजमेंट ने कुछ नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया कि आर्थ‍िक तंगहाली की वजह से ही साल्ट लेक कारखाने के छह लोगों और तारातला के 5 कर्म‍चारियों की मौत हो गई. पिछले दो साल से इन कारखानों के करीब 500 कर्मचारी अपने हक की रकम मिलने का इंतजार कर रहे हैं.

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एक और पूर्व कर्मचारी सूर्य कुमार सिन्हा ने बताया कि पिछले साल 3 जुलाई को हुई एक बैठक में कर्मचारियों से यह कहा गया था कि उन्हें बकाया वेतन का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा जरूर दिया जाएगा. इस बैठक में एनसीएलटी की तरफ से नियुक्त पेशेवर महिंद्रा खंडेवाल भी थे. उसके बाद चार महीने तक वेतन कर्मचारियों के खाते में आता रहा, उसके बाद अचानक यह आना बंद हो गया.

कोलकाता के साल्ट लेक स्थ‍ित कारखाने को अक्टूबर 2017 में बंद कर दिया गया, जबकि तारातला कारखाना दिसंबर, 2016 में ही बंद हो गया था. लेकिन सरकारी जांच का सामना न हो और कर्मचारियों द्वारा बकाया राशि देने का दबाव न आए इसकी वजह से मैनेजमेंट ने इसकी बंदी की आधिकारिक घोषणा नहीं की.

वेतन देने और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों ने पिछले साल कोलकाता लेबर कोर्ट में संपर्क किया, लेकिन उन्हें सलाह दी गई कि वे इसके लिए प्रबंधन के साथ बैठक करें, हालांकि ऐसी बैठक कभी नहीं हुई. कंपनी की यूनियन के उपाध्यक्ष गौतम देव ने बताया कि साल 2013-14 तक कारखानों से कलर टीवी, वाशिंग मशीन, एसी, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव आदि अप्लायंसेज का उत्पादन होता रहा. लेकिन जब धूत के नियंत्रण वाले मैनेजमेंट का इन पर नियंत्रण हुआ तो सिर्फ टीवी उत्पादन जारी रखा गया और बाकी काम बंद हो गए.

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एनसीएलटी ने अपने मुंबई बेंच से कहा है कि वीडियोकॉन समूह की 15 कंपनियों के दिवालिया होने की याचिका पर जुलाई, 2019 के अंत तक कोई निर्णय ले लिया जाए.

(www.businesstoday.in से साभार)

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