कन्फ्यूजन या रणनीति? सावरकर पर बीच चुनाव में क्यों बदले कांग्रेस के बोल

गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये कहकर गेम पलटने की कोशिश की कि सावरकर पर तो इंदिरा सरकार ने ही डाक टिकट जारी किया था. सावरकर पर पहले आक्रामक और फिर सॉफ्ट रुख को जहां कुछ लोग कांग्रेस का कन्फ्यूज़न बता रहे हैं, वहीं कुछ सोची-समझी रणनीति.

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वीर सावरकर (फोटो: www.savarkarsmarak.com) वीर सावरकर (फोटो: www.savarkarsmarak.com)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

  • महाराष्ट्र चुनाव में मुद्दा बने वीर सावरकर
  • बीजेपी ने किया है भारत रत्न का वादा
  • इंदिरा गांधी की लिखी चिट्ठी भी आई सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उठाए जा रहे कई मुद्दों के बीच एक मसला ऐसा उठकर आया है, जिससे पूरा चुनाव ही हाईजैक हो गया लगता है. भारतीय जनता पार्टी ने विनायक दामोदर सावरकर उर्फ वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की तो कांग्रेस हमलावर हो गई. कांग्रेस ने तब सावरकर को गांधी की हत्या का आरोपी करार दिया, लेकिन गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये कहकर गेम पलटने की कोशिश की कि सावरकर पर तो इंदिरा सरकार ने ही डाक टिकट जारी किया था. सावरकर पर पहले आक्रामक और फिर सॉफ्ट रुख को जहां कुछ लोग कांग्रेस का कन्फ्यूज़न बता रहे हैं, वहीं कुछ सोची-समझी रणनीति.

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महाराष्ट्र चुनाव का केंद्र बने वीर सावरकर

बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने की बात कही, लेकिन कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया. सबसे पहले कांग्रेस की ओर से सांसद मनीष तिवारी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि अगर ऐसा होता है, तो इस देश को भगवान ही बचाए.

मनीष तिवारी ने कहा था, ‘जब इस देश में 'महात्मा गांधी ने आत्महत्या की' लिखा जा सकता है तो कुछ भी हो सकता है. गांधी की हत्या के लिए सावरकर को आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ा. कपूर आयोग ने भी जांच की थी. उन्होंने कहा कि हाल ही में एक लेख में यह दावा किया गया था कि आयोग ने सावरकर को जिम्मेदार माना था. अब इस देश को भगवान ही बचाए.’

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मोदी ने लपका कांग्रेस का बयान

वीर सावरकर पर कांग्रेस का हमला तेज होते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में इस मसले को उठाया और तीखा पलटवार कर दिया. पीएम मोदी ने जनसभा में कहा, 'ये वीर सावरकर के ही संस्कार हैं जो राष्ट्रवाद को हमने राष्ट्र निर्माण के मूल में रखा है.' पीएम ने एक तरफ सावरकर के संस्कार गिनाए तो दूसरी ओर कांग्रेस पर बाबा साहेब के अपमान करने का आरोप भी लगाया.

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मनमोहन के बयान ने बदला गेम

कांग्रेस और नरेंद्र मोदी के बीच सावरकर को लेकर चल रही जुबानी जंग के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक बयान सामने आया, जिसने इस मसले पर कांग्रेस का सॉफ्ट रुख सामने रख दिया. गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर के लिए पोस्टल स्टाम्प (डाक टिकट) जारी किया था. हालांकि, मनमोहन सिंह ने इसके बाद यह भी कहा कि हम हिंदुत्व की उस विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं, जिसके पक्षधर वीर सावरकर थे.

सामने आई इंदिरा की चिट्ठी

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एक तरफ मनमोहन सिंह का बयान सामने आया तो दूसरी ओर एक चिट्ठी भी सामने आई है, जिसने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया. 20 मई 1980 को लिखी एक चिट्ठी में इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर को भारत का सपूत बताया था और आजादी के आंदोलन में उनके योगदान को सराहा था. इंदिरा गांधी ने ये चिट्ठी वीर सावरकर ट्रस्ट को लिखी थी.

सामने आई थी इंदिरा की लिखी चिट्ठी

क्यों बदला कांग्रेस का रुख?

दरअसल, जिस तरह नरेंद्र मोदी ने इस मसले को अपने रुख में करने का काम किया और हर जनसभा में इस पर बोलना शुरू किया तो इससे ये संदेश गया कि ये मामला बीजेपी के पक्ष में जा सकता है. वीर सावरकर महाराष्ट्र से ही थे, ऐसे में वहां ये मसला वोटरों को प्रभावित कर सकता है. यही कारण है कि आक्रामक रही कांग्रेस के इस मसले पर अब तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं.

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