पेटलावाद शहर ने कभी नहीं सोचा होगा कि उसकी आगोश में उसके अपने बच्चों की लाशें यूं बिखर जाएंगी. एक पल के धमाके ने सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. धमाका तो एक गोदाम में हुआ लेकिन शहर के तकरीबन हर घर में मातम पसर गया.
अपने नन्हें हाथों से अपनी मां की आंखों से बहते आंसू पोंछता मासूम नहीं जानता कि उसने इस हादसे में किसको खो दिया. उसे नहीं मालूम कि अब उसके पापा फिर कभी लौट कर नहीं आएंगे. बच्चा नहीं जानता कि अब वह अपने पापा का हाथ फिर कभी नहीं थाम पाएगा. लेकिन अपने छोटे-छोटे हाथों से अपनी मां के गिरते आंसूओं को थामने की कोशिश कर रहा है.
पेटलावद में हुए धमाके में 100 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. धमाके की गूंज इतनी तेज थी कि खुद मध्य प्रदेश के मुखिया को घटनास्थल पर आना पड़ा. लेकिन जब वो पहुंचे तो दर्द और मातम में डूबे लोगों के इस हुजूम का गम और गुस्से को मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को भी सहना पड़ा. लोगों के गुस्से को देख कर मुख्यमंत्री ने इस हादसे की जांच के न्यायिक आदेश दिए.
मुख्यमंत्री ने इस घटना में मारे गए लोगों के लिए 5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान भी कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले के दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को दिलासा दिया और उनके दर्द पर मरहम लगाने की कोशिश की. लेकिन सवाल है कि क्या वाकई इस हादसे के गुनहगार को सजा मिल पाएगी? दरअसल जिस शख्स पर इस हादसे का आरोप लग रहा है वो फिलहाल फरार है.
पुलिस के मुताबिक गोदाम में रखे विस्फोटकों की वजह से यह हादसा हुआ. दरअसल इस गोदाम में राजेंद्र कासवा नाम का एक शख्स खाद का कारोबार करता था. उसने अपने गोदाम में जिलेटिन और डाइनामाइट की छड़े भी रखी थीं. लोगों का आरोप है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की थी कि बाजार में बने गोदाम से विस्फोटकों को हटा देने चाहिए. लेकिन प्रशासन ने हर बार उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया.
हादसे के बाद से ही इस धमाके का आरोपी राजेंद्र कासवा अपने पूरे परिवार के साथ फरार हो गया. फिलहाल पुलिस ने गोदाम को सील कर दिया है. राजेंद्र कासवा के खिलाफ IPC की धारा 304 के तहत केस दर्ज कर लिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजेंद्र कासवा के बारे में जानकारी देने वाले को एक लाख रुपए के इनाम देने का भी ऐलान किया है.
पुलिस के मुताबिक राजेंद्र कासवा को विस्फोटक रखने का लाइसेंस इसी साल मिला था. यह लाइसेंस 5 जनवरी 2020 तक वैध था. लेकिन सवाल उठता है कि उसने इतनी बड़ी तादाद में विस्फोटकों को रिहायशी इलाके में क्यों रखा? अगर प्रशासन ने लोगों की शिकायत को गंभीरता से लिया होता तो सैंकड़ों घर बर्बाद होने से बच जाते.
aajtak.in