उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में बारिश ने हाहाकार मचा रखा है. हफ्ते भर से जारी मूसलाधार बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है. पहाड़ धंस रहे हैं, सड़कें टूटकर बिखर रही हैं और जहां देखो वहीं सैलाब है. यहां 5 दिनों की मूसलाधार बारिश का अलर्ट था और आज चौथा दिन है. जितनी आशंका जताई गई थी, उत्तराखंड में अभी तक उससे ज्यादा ही आफत बरसी है.
बीते 4 दिनों से यहां जोरदार बारिश हो रही है, गंगा और सहायक नदियां किनारे तोड़ने पर आमादा हैं. भूस्खलन के कारण उत्तराखंड और हिमाचल में कई जगहों पर पहाड़ी रास्ते बंद पड़े हैं. उत्तराखंड में पहाड़ों को भी चकनाचूर कर देने वाली बारिश हो रही है.
बद्रीनाथ में मूसलाधार बारिश के चलते अलकनंदा नदी की धार हाइवे पर आ पड़ी है. पहाड़ों से उतरती नदी तेज उफान के चलते बिखरकर बद्रीनाथ हाइवे पर आ गई और सैलाब के आगे सड़क गुम हो गई. पहाड़ दरकने से भी हाइवे में कई जगहों पर मलबा जमा हो गया है. सड़क दो दिनों से बंद पड़ी है और मौसम को देखते हुए फिलहाल खुलने के आसार नहीं हैं.
उत्तराखंड के बागेश्वर में भी 4 दिनों से मूसलाधार बारिश जारी है. गुरुवार को रिहायशी इलाके के ठीक बाजू से पानी की चौड़ी धार फूट पड़ी. नदी के किनारे बसे इस इलाके का हाल टापू जैसा हो गया है. तेज बारिश से जमीन भी धंस रही है. यहां भूस्खलन की वजह से एक भारी भरकम पेड़ मकान के ऊपर ही जा गिरा, मकान के नाम पर अब यहां सिर्फ मलबे का ढेर बचा है.
पिथौरागढ़ में सड़क पर सैलाब में एक बाइक सवार फंस गया. पहाड़ी नाले की तेज धार सड़क पर आ गई थी लेकिन बाइक सवार ने खतरे को नजरअंदाज करते हुए बाइक आगे बढ़ा दी. थोड़ा आगे बढ़ते ही बाइक बहने लगी. आसपास के लोगों ने पानी में उतरकर रस्सियों के सहारे युवक को बाहर खींचा.
रुद्रप्रयाग में भी जोरदार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. बस्तियों में पानी घुसने से आम जनजीवन अस्त व्यस्त है. बारिश के चलते जहां-तहां भूस्खलन की तस्वीरें भी आम हो गई हैं. केदारघाटी इलाके में सड़कें टूटने से करीब दर्जनभर गांवों का संपर्क कट गया है.
गुरुवार को गुजरात के कई इलाकों में भी मूसलाधार बारिश हुई. राजकोट में बारिश से भारी जलजमाव के चलते कई गाड़ियां सड़कों पर फंस गई. एक एंबुलेंस अंडरपास में भरे पानी में फंस गई, इसमें मरीज भी था. जैसे-तैसे उसे बाहर निकालकर दूसरे वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया.
मध्य प्रदेश के बैतूल में गुरुवार को हुई तेज बारिश में एक तीन मंजिला इमारत ढह गई. करीब 50 साल पुरानी इस इमारत की मरम्मत का काम चल रहा था, लेकिन तेज बारिश के आगे इमारत टिक नहीं सकी और भरभराकर नीचे आ गई. गनीमत ये रही कि हादसे के वक्त इसमें कोई नहीं था.
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