सपा पर अपराधियों को शरण देने के आरोप हमेशा से लगते रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेता डीपी यादव को उनके आपराधिक रिकार्ड के चलते पार्टी में शामिल न करने वाले मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले पलटी मार ली है. मुलायम के इसी बदले रवैये के कारण बाहुबली नेता और पूर्व सांसद अतीक अहमद की पांच साल बाद सपा में वापसी हो गई है.
सपा ने अतीक अहमद को सुल्तानपुर सीट से लोकसभा का टिकट भी थमा दिया है. सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने शुक्रवार, 6 दिसंबर को इसकी घोषणा की. हत्या, हत्या की कोशिश, गैंगस्टर एक्ट और धोखाधड़ी समेत तीन दर्जन से अधिक मामलों के आरोपी अतीक ने 2004 में सपा उम्मीदवार के रूप में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. इलाहाबाद पश्चिमी सीट से दो बार सपा व एक-एक बार निर्दलीय और अपना दल से विधायक रहे अतीक का 2008 में सपा नेतृत्व से मतभेद हो गया था. नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इसके बाद इलाहाबाद के अतीक अहमद ने 2009 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन चौथे नंबर पर रहे थे.
सपा के प्रदेश प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि अतीक के खिलाफ अभी तक कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है. उनके आने से पार्टी को मजबूती मिली है. बाहुबली अतीक अहमद पर चुनावी दांव लगाने के सपा के फैसले को पूर्वांचल में मुस्लिम कार्ड का रंग गहराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. अतीक के बहाने सपा सुल्तानपुर के आसपास की कई सीटों पर सियासी समीकरण साधना चाहती है.
अतीक के पहले मुलायम ने आपराधिक रिकार्ड वाले कई नेताओं को अगले लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दे चुके हैं. कैसरगंज से सपा उम्मीदवार पंडित सिंह, फर्रुखाबाद से रामेश्वर यादव, फैजाबाद से मित्रसेन यादव, बिजनौर से सपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लडऩे जा रहे अमीर आलम के आपराधिक रिकार्ड ने पार्टी की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
aajtak.in