सोनभद्र के सोने से अमीर बनने का सपना टूटा! पढ़ें- दावा फुस्स होने की पूरी कहानी

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खदान में 3000 टन नहीं, बल्कि सिर्फ 160 किलो सोना होने का दावा किया है जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की काफी किरकिरी हो रही है.

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सोना (सांकेतिक तस्वीर) सोना (सांकेतिक तस्वीर)

शिवेंद्र श्रीवास्तव

  • सोनभद्र,
  • 23 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

  • 3000 टन सोने की बात से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का इनकार
  • जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने सोने की बात पर जारी किया खंडन
  • अनदेखी और लापरवाही भरे ऐलान की वजह से यूपी की किरकिरी हुई

उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला इन दिनों सोने की खदान को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने शनिवार को खदान में 3000 टन नहीं, बल्कि सिर्फ 160 किलो सोना होने का दावा किया है जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की काफी किरकिरी हो रही है.

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दरअसल, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की सोन और हरदी पहाड़ी में अधिकारियों ने सोना मिलने की पुष्टि की थी. इसके अलावा क्षेत्र की पहाड़ियों में एंडालुसाइट, पोटाश, लौह अयस्क आदि खनिज संपदा होने की बात भी चर्चा में है.

उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं माइनिंग निदेशालय ने 31 जनवरी 2020 को अपने पत्र के माध्यम से सरकार को जानकारी भेजी कि प्रदेश के सोनभद्र इलाके में कई जगहों पर हजारों टन सोने का बड़ा भंडार मिला है. जिसकी पहचान हो चुकी है और आगे की कार्यवाही के लिए नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जानी है.

माइनिंग निदेशालय की तरफ से सोने और दूसरे खनिज पदार्थों की एक विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की गई, जिसमें बताया गया कि सोनभद्र की सोन पहाड़ी ब्लॉक में 2943.25 मिलियन टन सोने का भंडार है. इसके अलावा दूसरे ब्लॉक में सोनभद्र के बाहरी क्षेत्र में लौह अयस्क का भी भंडार मिला है.

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सोनभद्र: सोने की खदान में 3000 टन नहीं, सिर्फ 160 किलो है सोना!

सोनभद्र जिले के ही हरदी ब्लॉक में 646.15 किलोग्राम सोने के भंडार की बात कही गई. छपिया ब्लॉक में भी खनिज पदार्थ के मिलने की बात कही गई. जिसके लिए शासन को लिखा गया कि आगे की नीलामी की कार्यवाही मैपिंग और तमाम दूसरी कार्यवाही करने के लिए यह जगह योग्य है.

सोने का इतना बड़ा भंडार मिलने की खबर के बाद पूरे प्रदेश में हलचल मच गई. हर तरफ से देश के एक बार फिर सोने की चिड़िया बनने के उम्मीदें जगीं. सोनभद्र के तमाम गांव और इलाकों में यह खबर आग की तरह फैली और लोगों को लगने लगा कि उनके दिन सुधरने वाले हैं.

सरकार के दावों पर इस तरह फिरा पानी

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इतने बड़े भंडार मिलने की बात को भगवान की बहुत बड़ी कृपा मानकर प्रदेश की खुशहाली के लिए कामनाएं करनी शुरू कर दी. काफी दिन तक मीडिया और अखबारों में भी इस रिपोर्ट के आधार पर खोज-पड़ताल और खबरें छपने लगी. लेकिन 22 फरवरी की शाम जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से एक खंडन का पत्र जारी हुआ और जिसके कारण सबकी उम्मीदों और सरकार के दावों पर पानी फिर गया.

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सोने की राख

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि सोनभद्र इलाके में सोने का इतना बड़ा कोई भंडार नहीं मिला है और जिस सोने के भंडार की बात माइनिंग विभाग की उत्तर प्रदेश इकाई कर रही है, वह दरअसल सोने की राख यानी 'गोल्ड ओर' है. वह भी अगर लंबे प्रोसेस के बाद निकाली जाती है तो उससे करीब 160 किलो सोना ही निकल पाएगा.

बिना जांच के क्यों किया दावा?

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार प्रदेश सरकार और उसके माइनिंग विभाग ने आनन-फानन में बगैर पूरी जांच किए या बिना पुख्ता जानकारी के इस तरह की दावे क्यों किए कि सोनभद्र की स्वर्ण पहाड़ी में हजारों टन सोना मिला है. दावा तो यहां तक किया गया कि इस पहाड़ी के भीतर यूरेनियम के भंडार भी हैं.

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

कहा गया कि इतने बड़े भंडार के बाद भारत न सिर्फ दुनिया भर में सोने के भंडार के मामले में दूसरे नंबर पर आ जाएगा, बल्कि देश और प्रदेश की इकोनॉमी भी 1 ट्रिलियन तक सुधर जाएगी. लेकिन जीएसआई की रिपोर्ट के बाद अब अधिकारियों की तरफ से चुप्पी साध ली गई है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के कोलकाता हेड ऑफिस से इस तरह का पत्र एक बम की तरह फूटा. जो लोग सर्वे के आधार पर दावा कर रहे थे कि सोन पहाड़ी में सोने का बहुत बड़ा भंडार मिल रहा है, वह कोई भी जवाब देने से कतराने लगे.

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यह भी पढ़ें: सोनभद्र में 3 हजार टन सोना मिलने की बात कहां से फैली? जानें पूरी कहानी

दरअसल, सोने का भंडार मिलने के बाद भी उसके खनन और शुद्ध रूप से सोना निकालने के लिए बहुत लंबा चौड़ा तरीका होता है और उसमें भारी भरकम मशीनरी और काफी वक्त लगता है. लेकिन खनिज विभाग ने बगैर किसी पुख्ता तसल्ली किए आनन-फानन में इतनी बड़ी उपलब्धि की रिपोर्ट सरकार को भेज दी और सरकार ने भी बिना गहरी छानबीन और तसल्ली के दावा कर दिया कि उत्तर प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा सोने का भंडार मिला है.

सोने की खोज लगातार जारी

जानकारों की मानें तो सोनभद्र इलाके में खनिज पदार्थ की भरमार है. जिसकी लगातार खोज जारी रहती है. सोन पहाड़ी और हल्दी ब्लॉक में भी साल 2005 से ही इसकी कोशिश जारी है. इस कोशिश में कई बार इस बात की संभावना जगी कि सोनभद्र के इस इलाके में खनिज पदार्थों और सोने का भंडार है, लेकिन कभी भी रिपोर्ट में साफ तौर पर यह दावा नहीं किया गया कि आखिरकार कितनी मात्रा में सोना हासिल होगा.

साल 2012 में भी जीएसआई ने सर्वे कराया और उसमें सोना होने की बात कही गई, लेकिन मात्रा तय न होने के बाद उस काम को वहीं छोड़ दिया गया. इसके बाद एक बार फिर से साल 2019 में इसकी कवायद शुरू की गई और जनवरी 2020 के महीने में विभाग ने दावा कर दिया कि सोनभद्र में बहुत बड़ा सोने का भंडार मिलना तय है. फिर क्या था, खनिज विभाग से लेकर सरकार के मंत्रियों तक ने दावे करने शुरू कर दिए किए कि ये भंडार भारत के लिए बहुत बड़ा माइलस्टोन साबित होगा.

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लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जो कि भारत सरकार का खनिज पदार्थों की खोज के लिए सबसे बड़ा संस्थान है और उसी की उत्तर प्रदेश इकाई जो कि इस मामले में लगातार सर्वे कर रही थी, इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती है. दावा हजारों टन का सोना मिलने का किया गया. लेकिन बाद में पता चला कि वहां सोना नहीं बल्कि सोने की राख मिलेगी, वह भी काफी मशक्कत के बाद और अगर इसको प्रोसेस करके सोना निकाला जाएगा तो वह करीब 160 किलो ही होगा.

बड़ी मशीनरी और लंबा वक्त

ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार या खनिज विभाग आगे कदम बढ़ाएगा, क्योंकि अगर विभाग की रिपोर्ट पर यकीन करें तो अकेले सोन पहाड़ी के इलाके में ही करीब 4 वर्ग किलोमीटर इलाके में यह सोने का तत्व पाने का मामला है. ऐसे में जो सोना निकालने का तरीका इस्तेमाल किया जाएगा, उसमें काफी बड़ी मशीनरी और लंबा वक्त लगेगा, जिस पर अच्छा खासा खर्चा भी आ सकता है.

ऐसे में सरकार 160 किलो सोने के लिए लंबी चौड़ी नीलामी और खनन की प्रोसेस शुरू करे, ये मुश्किल लगता है. अब इस बात की सच्चाई सामने आने के बाद खनिज विभाग और सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. लेकिन सरकारी विभाग की इस लापरवाही के चलते सोनभद्र समेत प्रदेश के तमाम लोगों का सपना तो टूटा ही है, साथ ही साथ खनिज विभाग की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल उठा है कि आखिरकार इतने जिम्मेदार विभाग में इस तरह की अनदेखी और लापरवाही कैसे की जा सकती है.

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