युवा तुर्क के नाम से मशहूर रहे दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपने ही संसदीय क्षेत्र बलिया में तीन दलों के बीच बंट गए हैं. बलिया जिले में उनके ही परिवार की तीन पीढ़ियां विधानसभा चुनावों में तीन अलग-अलग दलों के लिए वोट मांग रही हैं.
बलिया से चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर सांसद हैं और वह समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं, जबकि चंद्रशेखर के भतीजे के लड़के रविशंकर सिंह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट से विधान परिषद के सदस्य हैं. इस नाते वह बसपा के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं.
चंद्रशेखर के भाई के बेटे प्रवीण सिंह खुद चुनाव मैदान में हैं और वह कांग्रेस के टिकट पर बांसडीह से चुनाव मैदान में हैं. वह पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में थे और महज 2000 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे.
मजे की बात यह है कि चंद्रशेखर परिवार की ये तीनों पीढ़ी पूरे बलिया क्षेत्र में उनके ही नाम पर वोट मांग रही है. तीनों पीढ़ियां अपने पोस्टरों में चंद्रशेखर की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रही हैं. बलिया में विधानसभा की आठ सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने आठ में से छह सीटों पर कब्जा जमाया था जबिक दो सीटें सपा के खाते में गई थीं.
बसपा ने इस चुनाव में सभी वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर नए उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. बसपा ने जिन वर्तमान विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से दो को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है तो तीन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं. सपा यहां अच्छी स्थिति में दिख रही है लेकिन राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी और कौमी एकता दल का गठबंधन उसे नुकसान पहुंचा सकती है.
भाजपा एकमात्र सीट बैरियां में अच्छी स्थिति में दिख रही है. यहां से कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री रहे भरत सिंह का मुकाबला बसपा के मुक्तेश्वर सिंह और कांग्रेस के सुरेश तिवारी से है. तिवारी ने पिछले चुनाव में बसपा के टिकट से यहां चुनाव जीता था लेकिन बसपा से टिकट न मिलने पर इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. राजपूत बहुल इस क्षेत्र में मुक्तेश्वर सिंह भी कांटे की लड़ाई लड़ रहे हैं.
बलिया सदर सीट से बसपा की वर्तमान विधायक मंजू सिंह का टिकट काट दिए जाने पर वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं और बसपा के वोट बैंक में सेंध मारने का प्रयास कर रही हैं. बसपा ने यहां से संजय उपाध्याय को टिकट दिया है जबकि सपा से नारद राय मुकाबले में हैं.
कौमी एकता दल के रामजी गुप्ता सपा के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. बगल की रसडा विधानसभा सीट से बसपा ने वर्तमान विधायक घूराराम का टिकट काट दिया है. बसपा ने यहां से उमा शंकर सिंह को टिकट दिया है जबकि घूरा राम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. सपा ने यहां सनातन पांडे पर भरोसा जताया हैं.
भाजपा के रामइकबाल सिंह भी बसपा और सपा के उम्मीदवार को यहां टक्कर देते दिख रहे हैं. राजभर बहुल इस सीट पर भारतीय समाज पार्टी के तारामणि राजभर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि कांग्रस ने बब्बनराजभर को चुनावी मैदान में उतारा है.
चंद्रशेखर द्वारा गठित सजपा ने सिकंदरपुर से परवेज इकबाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है. वह भी चंद्रशेखर के नाम के सहारे चुनावी नैया पार करने में लगे हैं. ज्ञात हो कि चंद्रशेखर जब देश के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय सजपा का जबरदस्त प्रभाव था और उसके लगभग 58 उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. वर्तमान में उनके ही परिवार के सदस्य अलग-अलग दलों का दामन थामकर चंद्रशेखर के नाम के सहारे राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हैं.
रसडा के राजेश सिंह ने बताया, 'चंद्रशेखर जब जिंदा थे तब उन्हें हर जाति व धर्म के लोगों का समर्थन मिलता था लेकिन अब उनके बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर वह बात नहीं हैं. मतदाता अब अपनी सहूलियत के हिसाब से बंट गए हैं.' स्थानीय पत्रकार प्रमोद उपाध्याय ने कहा, 'क्षेत्र के अधिकांश लोग चंद्रशेखर से लगाव होने के चलते नीरज के साथ हैं लेकिन उनमें वह बात नहीं है जो चंद्रशेखर में थी. दो से तीन सीटों पर उनका प्रभाव जरूर है जो सपा के खाते में जा सकती है.'
आईएएनएस