योगी सरकार ने रोकी जवाहरबाग कांड की न्यायिक जांच, अब CBI करेगी पड़ताल

देश को हिला कर रख देने वाले 2 जून 2016 को मथुरा में हुए चर्चित जवाहरबाग कांड मामले में बुधवार को बड़ा अपडेट हुआ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के निर्देश पर गृह विभाग ने चल रही न्यायिक जांच पर रोक लगा दी है

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जवाहर बाग (फाइल फोटो) जवाहर बाग (फाइल फोटो)

कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह

  • लखनऊ,
  • 12 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST

देश को हिला कर रख देने वाले 2 जून 2016 को मथुरा में हुए चर्चित जवाहरबाग कांड मामले में बुधवार को बड़ा अपडेट हुआ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के निर्देश पर गृह विभाग ने चल रही न्यायिक जांच पर रोक लगा दी है. अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए 2 मार्च को कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.

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आपको बता दें कि जवाहर बाग में कब्जा जमाए उपद्रवियों और पुलिस के बीच कई घंटे चली मुठभेड़ में 2 पुलिस अधिकारी और 22 उपद्रवी मारे गए थे. बाबा जयगुरु देव का अनुयायी रामवृक्ष यादव पार्क पर कब्जा जमाए उपद्वियों का मुखिया था. उसके नेतृत्व में 15 मार्च 2014 को कुछ लोग मथुरा के जवाहर बाग में प्रदर्शन के मकसद से आए थे. प्रशासन से रामवृक्ष ने यहां रहने के लिए 2 दिन की इजाजत ली थी, लेकिन दो दिन बाद भी वो नहीं गए और देखते ही देखते 270 एकड़ क्षेत्र में फैले पार्क पर कब्जा जमा लिया.

विजयपाल तोमर नाम का एक याचिकाकर्ता इसके खिलाफ कोर्ट पहुंचा तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली कराने का आदेश दिया. मई में आदेश के खिलाफ डाली गई याचिका कोर्ट ने खारिज करते हुए रामवृक्ष यादव पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया.

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2 जून, 2016 को पुलिस फोर्स जवाहर बाग को खाली कराने पहुंची. रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में पहले से तैनात और हथियारों से लैस उपद्वियों ने हमला कर दिया. इस हमले में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव शहीद हो गए.

शहीद की पत्नी ने की थी सीबीआई जांच की मांग
मुठभेड़ में शहीद हुए तत्कालीन एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी और भाई प्रफुल्ल द्विवेदी ने सीबीआई जांच की मांग की थी. इसके अलावा दिल्ली के बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय और मथुरा के निवासी विजय पाल सिंह तोमर ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की एक खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच का आदेश पारित किया था.

आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था, ''यह मसला बहुत गंभीर है. इसमें पुलिसकर्मियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी. मामले में तेज व स्वतंत्र रूप से जांच हो ताकि दोषियों को सजा मिल सके.''

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