कमल रानी कोरोना से संक्रमित थीं और लखनऊ के पीजीआई में उनका इलाज चल रहा था. वह पिछले महीने 18 जुलाई को कोरोना से संक्रमित हुई थीं. बाद में इलाज के लिए उन्हें लखनऊ पीजीआई में दाखिल कराया गया था.
निधन से पहले किया ट्वीट
62 वर्षीय कमल रानी वरुण निधन से कुछ समय पहले तक सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय थीं. निधन से कुछ देर पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को उनके जन्मदिन की शुभकामना दी थी. इससे पहले शनिवार को भी कई ट्वीट रिट्वीट किए थे. साथ ही वरिष्ठ नेता अमर सिंह के निधन पर ट्वीट के जरिए शोक जताया था.
पिछले साल 21 अगस्त को कमल यूपी सरकार में प्राविधिक मंत्री (टेक्निकल एजुकेशन मंत्री) बनी थीं. राजनीति के लिहाज से देखा जाए तो कानपुर के घाटमपुर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में कमल रानी की बड़ी भूमिका रही है. बतौर सभासद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.
कमल रानी का जन्म 3 मई 1958 को राजधानी लखनऊ में हुआ था. उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से समाज शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की थी. उनकी शादी 1975 में 25 मई को किशन लाल वरुण से हुई थी. दोनों से एक बेटी और एक बेटा हैं.
उनके पति किशन लाल एलआईसी में काम करते थे और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ी हुई थीं. राजनीति में आने से पहले वरुण संघ द्वारा संचालित सेवा केंद्रों में गरीब बच्चों को शिक्षा और महिलाओं को सिलाई और कढ़ाई का प्रक्षिशण देती थी.
2 बार लोकसभा सांसद भी रहीं
कानपुर क्षेत्र में कमल रानी की पहचान एक प्रतिभाशाली राजनेताओं में होती रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी. कानपुर नगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2017 के चुनाव में कमल रानी यहां से चुनी गई थीं.
कमल रानी ने 2017 के चुनाव में 92,776 वोट मिले जो कुल मत के 48.52 फीसदी थे. उन्होंने बसपा की सरोज कुरील को हराया था. कमल ने यह सीट समाजवादी पार्टी से छीनी थी. कमल ने 3 साल पहले भारतीय जनता पार्टी का खाता इस सीट से खोला था.
इसे भी पढ़ें --- यूपी की कैबिनेट मंत्री कमला वरुण की कोरोना से मौत, लखनऊ में ली अंतिम सांस
इससे पहले कमल रानी दो बार लोकसभा सांसद भी रहीं. वह 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. 1996 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर कमल ने भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां से खाता खोला था.
इसे भी पढ़ें --- सीएम योगी का अयोध्या दौरा कैंसिल, भूमि पूजन की तैयारियों का लेने वाले थे जायजा
खास बात यह रही कि 1998 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. यह लोकसभा सीट 2008 तक अस्तित्व में रही, बाद में इसे खत्म कर दिया गया. इस सीट पर 2004 में आखिरी बार हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राधेश्याम कोरी जीते थे.
सपा और बसपा का गढ़ रहे घाटमपुर क्षेत्र में कमल रानी ने जमकर मेहनत किया और वहां पर भारतीय जनता पार्टी कोे मजबूत किया और यही वजह रही कि वह बीजेपी के लिए घाटमपुर से पहली बार सांसद बनीं फिर पहली बार विधायक भी चुनी गईं.
सुरेंद्र कुमार वर्मा / नीलांशु शुक्ला