जलियांवाला बाग नरसंहार पर ब्रिटेन ने माफी नहीं मांगी, पर इसे ‘बहुत शर्मनाक’बताया

ब्रिटेन ने आधिकारिक रूप से माफी मांगने के लंदन के मेयर सादिक खान के आह्वान से खुद को दूर रखते हुए कहा कि सरकार ब्रिटिश इतिहास के इस ‘बहुत शर्मनाक कृत्य’की अतीत में ‘निंदा' कर चुकी है.

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जलियांवाला बाग जहां अब स्‍मारक बन चुका है जलियांवाला बाग जहां अब स्‍मारक बन चुका है

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्‍ली,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:35 PM IST

ब्रिटेन सरकार ने कहा कि साल 1919 में भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए आधि‍कारिक रूप से माफी मांगने की जरूरत नहीं है. ब्रिटेन ने आधिकारिक रूप से माफी मांगने के लंदन के मेयर सादिक खान के आह्वान से खुद को दूर रखते हुए कहा कि सरकार ब्रिटिश इतिहास के इस ‘बहुत शर्मनाक कृत्य’की अतीत में ‘निंदा' कर चुकी है.

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समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब खान ने बुधवार को अमृतसर के अपने दौरे पर कहा कि ब्रिटिश सरकार को नरसंहार के लिए माफी मांगनी चाहिए.

भारत और पाकिस्तान के बिजनेस टूर पर निकले लंदन के मेयर पाकिस्तानी मूल के सादिक खान ने कहा, 'मैं इस बारे में स्पष्ट हूं कि सरकार को अब माफी मांगनी चाहिए, विशेषकर इसलिए, क्योंकि इस नरसंहार के सौ साल होने वाले हैं. यहां जो कुछ हुआ उसे उचित ढंग से स्वीकार करना चाहिए और औपचारिक माफी के जरिये अमृतसर तथा भारत के लोगों के लिए जिस तरह से इस मामले को बंद करने की जरूरत है, वह करना चाहिए.' उन्होंने नरसंहार को भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक बताया.

ब्रिटेन के फॉरेन ऑफिस ने खान द्वारा माफी के लिए कहने के बाद ब्रिटेश के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के इस मुद्दे पर नजरिये का जिक्र किया.

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फॉरेन ऑफिस ने बयान में कहा, 'जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने 2013 में जलियांवाला बाग का दौरा करने पर कहा था, नरसंहार ब्रिटेन के इतिहास का बहुत शर्मनाक कृत्य है और हमें इसे कभी नहीं भूलना चाहिए. यह सही है कि हम जान गंवाने वालों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और जो कुछ हुआ उसे याद करते हैं. ब्रिटिश सरकार ने इस घटना की निंदा की.' ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी नीत सरकार ने कैमरन द्वारा अमृतसर के दौरे के समय नरसंहार के लिए औपचारिक माफी से परहेज किया था.

फरवरी 2013 में अपने भारतीय कारोबारी मिशन पर कैमरन ने कहा था कि ‘इतिहास में पीछे जाना’और ब्रिटेन के उपनिवेशवाद की गलतियों के लिए माफी मांगना गलत होगा.

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